NDTV Chhattisgarh Conclave 2025: छत्तीसगढ़ की स्थापना के 25 साल पूरे हो चुके हैं. इन 25 सालों का जश्न पूरा छत्तीसगढ़ मना रहा है. NDTV ने इस खास मौके पर 'छत्तीसगढ़ के बेमिसाल 25 साल' कॉन्क्लेव का आयोजन कर रहा है. इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय, डिप्टी सीएम विजय शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह और पूर्व डिप्टी सीएम व कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस देव सिंह शामिल हुए. छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने NDTV से बात करते हुए नक्सली सरेंडर, नक्सलवाद और पुनर्वास पर खुलकर बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा.
हिड़मा की मौत पर उठ रहे सवालों पर दिया ये जवाब
डिप्टी सीएम से जब पूछा गया कि हिड़मा सरेंडर करने वाला था, लेकिन उससे पहले वो मार दिया गया. इस पर हिड़मा के परिवार वालों समेत कई अन्य लाेग सवाल उठा रहे हैं. क्या आपको कोई इशारा मिला था कि हिडमा छत्तीसगढ़ में बस्तर में सरेंडर कर सकता है? इसका जवाब देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि "ताड़बैठला में हमारे 76 जवान मारे गए. गुनहगार हिड़मा था? उस पर क्यों चर्चा नहीं करते हैं? झीरम में हमारे छत्तीसगढ़ के नेतृत्व को मारा गया. खत्म कर दिया गया.
क्यों चर्चा नहीं होती है भाई? ऐसा नहीं होना चाहिए था. अब ऐसा होना चाहिए था. क्यों नहीं कहता है कोई? मणिकोंटा में क्या हुआ था? दरभागुड़ा में क्या हुआ था, घोड़ा गांव में क्या हुआ था, एर्रा बोर में क्या हुआ था? समूह में आदिवासियों की हत्याएं की गई थी. इन्हीं लोगों के द्वारा की गई थी सब में लगभग. बार-बार समझाने की कोशिश की गई. नहीं माने. नहीं माने तो क्या किया जाए? बंदूक लेकर जंगल में घूमने दिया जाए. शिक्षा दूतों के गला रेत कर मारने दिया जाए. ये स्कूलों को बम से उड़ा दे. ये तालाब, नदी और सड़कों पर आईडी बिछाएं. ये गांव तक स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, बिजली, पानी, सड़क न पहुंचने दें और इनको स्वतंत्र रखा जाए? और अगर कोई एनकाउंटर हो जाता है, मुठभेड़ हो जाती है तो इस तरह की प्रश्न करेगा कोई? इस प्रश्न के लिए जगह कहाँ है कोई मुझे ये बता दे?"
बताया जाता है कि हिड़मा सेंट्रल कमिटी में था और माना जाता है कि हमेशा तीन स्तरों की सुरक्षा में रहता था तो ऐसे में ये सवाल आते हैं कि छह नक्सली ही उसके साथ मारे गए? क्यों? जो सुरक्षा के मामलों को समझते हैं, जानते हैं वो भी ये सवाल पूछ रहे हैं.
डिप्टी सीएम ने कहा कि "जब ये एनकाउंटर की खबर आई. तो हमने आला अधिकारियों को फ़ोन लगाया तो उनकी तरफ से भी पहली प्रतिक्रिया यही थी कि संभावना बहुत कम है कि वो आंध्र प्रदेश गया होगा. क्योंकि माना जा रहा था कि करेंगुट्टा के आसपास ही हिडमा छिपा हुआ है."
डिप्टी सीएम ने कहा कि "जिनको भी भ्रम फैलाना है. जिनके भी मन में ये है कि किसी तरह ये नक्सलवाद बचा रहे? ये बंदूक लेकर घूमते हैं जंगल में लोग. ये बचे रहें. कोई किसी भी तरह से चाहता है हल्के से मन में चाहता है और उसी से सोचता है कि मेरी मेरी पूछ परख तो यही से है. जो ऐसे सोचता है. उसको इस बात पर परेशानी है. भैया! एक भी ऑपरेशन ऐसा नहीं है. जो गलत हुआ है. बहरहाल, ये हमारे प्रदेश का विषय भी नहीं था. आंध्र प्रदेश में हुआ था, लेकिन वहाँ भी अगर है.
तो बहुत स्पष्टता है. आप मुझे बताएं कितना सिनेरियो चेंज हुआ तीन लेयर की सुरक्षा, तीन लेयर की सुरक्षा? वो बीते समय की बात हो. डेढ़ साल, 2 साल पुरानी बात. अभी सब कुछ बदल चुका है. अभी कौन कहाँ है उनको खुद ही नहीं पता.
बार बार जब हमसे संपर्क करते हैं, हम लोग अन्य विषयों पर कहते हैं कि भैया आप लोग. पुनर्वास कर लीजिए. सरकार लाल कालीन बिछाकर आपका स्वागत करना चाहती है. उनको अपने लोगों को खोज दें. मेरा ये कहना है आपसे. जो घटनाक्रम है वो आपके सामने प्रमाणिकता के साथ. इस पर इस तरह की कथा करना. इस तरह की बात करना.
ये बिलकुल नया उचित नहीं. अब जैसे बसव राजू हिडमा इनकी मौत हो गई, कई बड़ी नक्सलियों ने सरेंडर किया, रूपेश ने सरेंडर किया. लेकिन अब हमारा जो ट्राई सेक्शन है."
मार्च 2026 तक नक्सलवाद का अंत तय
डिप्टी सीएम ने कहा कि "माननीय केंद्रीय गृह मंत्री जी 2026 तक लाल आतंक के अंत को लेकर जो कहा, वो बस्तर की जनता के मनोभाव के अनुरूप कहा. उन्होंने बस्तर की जनता के भाव को पढ़ लिया. उसके आधार पर कहा. और बस्तर की जनता अब नहीं चाहती है कि ऐसा कोई लाल आतंक जैसी चीज़ यहाँ पर रहे. दशकों बीत गए भैया. वहाँ के बच्चों को हम घूमाने लाते हैं कार रायपुर. वहाँ के बच्चों को हम घूमाने लाते हैं कार रायपुर. 25 साल का बच्चा ये कहता है कि मैंने टीवी नहीं देखा आज तक दुनिया में. तो क्या करना चाहते हो भाई अजायब घर बना कर रखना चाहते हो? वहाँ पर क्या करना चाहते हैं? हम ये नहीं चाहते हैं कि हमारे जैसे हो जाए. वहाँ तो जीवन हमारे से बहुत अच्छा. बस्तर का जीवन हमारे जीवन से बहुत अच्छा है. हम बिलकुल नहीं कहते. लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि जो मौलिक सुविधाएं आज के जमाने की है. वो पहुंचे ना वहाँ तक. तो इन सारी ही चीजों को खत्म करके रख दिया गया, बंद करके रख दिया गया. इसको कैसे स्वीकार किया जा सकता है? मेरा बहुत ही स्पष्टता के साथ इसमें मानना है कि जितनी कार्यवाहियां हो चुकी है, आज तक हो चुकी. एक एक बात का कैलकुलेशन है कि कौन कहाँ है, कैसा है, कितनी संख्या है? निर्धारित समय तक. जो मार्च 2026 की डेडलाइन निर्धारित हुई है. उस समय तक सशस्त्र नक्सलिज्म समाप्त होकर रहेगा, उसमें कहीं कोई संशोधन."
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