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बीजापुर के गांव को हाईजैक कर माओवादियों ने 2 छात्रों समेत 3 लोगों का रेता था गला, दहशत के मारे बोलने से कतरा रहे ग्रामीण; जानें कैसे हैं हालात

Bijapur Naxalites Attack: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में माओवादियों ने तीन ग्रामीणों की बेरहमी से हत्या कर दी है, जिनमें दो छात्र शामिल हैं. मृतकों की पहचान झींगु मोडियम, सोमा मोडियम और अनिल माड़वी के रूप में हुई है. इनमें से दो मृतक पूर्व नक्सली कमांडर दिनेश मोडियम के नजदीकी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं.

बीजापुर के गांव को हाईजैक कर माओवादियों ने 2 छात्रों समेत 3 लोगों का रेता था गला, दहशत के मारे बोलने से कतरा रहे ग्रामीण; जानें कैसे हैं हालात

Naxalt Terror in Bijapur Chhattisgarh: अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे माओवादियों ने 17 जून को बीजापुर के पेद्दाकोरमा में तीन ग्रामीणों की रस्सी से गला घोंट कर निर्ममता से हत्या कर दी. साथ ही गांव के ही अन्य 10 ग्रामीणों की बेदम पिटाई भी की है. घटना के बाद से ही पूरे इलाके में दहशत का माहौल है. ऐसे में NDTV की टीम ने घटनास्थल पर जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. इस घटना ने माओवादियों के क्रूर चेहरे को उजागर तो किया है, साथ ही साथ कई सवाल भी खड़े किए हैं. मारे गए तीन ग्रामीणों में दो छात्र थे और उसमें भी एक छात्र तो केवल 13 वर्ष का था. पूरे गांव में कोई भी इस विषय पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था. बहुत कठिनाई से चेहरा न दिखाने की शर्त पर मृतक छात्रों के परिजनों ने डरते-डरते आपबीती बताई और पूरी घटना की जानकारी दी.

दरअसल, दंडकारण्य से माओवाद को जड़ से समाप्त करने की अंतिम तिथि जारी करने के बाद से जवानों ने अपनी रणनीतियों में परिवर्तन करते हुए माओवादियों को लगातार नुकसान पहुंचाया है. आलम यह है कि 2024 और 2025 में दंडकारण्य में माओवादियों को ऐतिहासिक नुकसान पहुंचाते हुए उनके महासचिव स्तर तक के नेता को मार गिराया गया. इन सभी ऑपरेशन में लगातार मिल रही सफलता के पीछे उन माओवादियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिन्होंने ने हाल ही में समर्पण किया है.

माओवादियों ने भी इस बात को महसूस किया है. इसी के तहत बीजापुर के गंगालूर क्षेत्र में सक्रिय बड़े माओवादी नेता दिनेश मोडियाम ने भी बीते दिनों समर्पण किया और उसके बाद माओवादियों में इस बात को लेकर बेहद नाराजगी भी थी. नाराजगी के पीछे की वजह है कि दिनेश ने ही गंगालूर क्षेत्र में माओवाद को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अब उसका समर्पण संगठन के लिए सबसे बड़ा नुकसान था.

वहीं, बीते दिनों माओवादियों के महासचिव बसवराज की मौत के पीछे भी उनकी सुरक्षा में तैनात माओवादियों के समर्पण को ही प्रमुख वजह मानी जा रही है. ऐसे में माओवादियों ने समर्पित माओवादियों को सबक सिखाने के उद्देश्य से इस पूरी घटना को अंजाम दिया. माओवादियों ने इसके लिए हाल में समर्पण किए दिनेश मोडियाम के परिवार को चुना और पूरी तैयारी भी की.

पूरे गांव को किया हाईजैक

आज जब जवान अबूझमाड़ के बेहद अंदरूनी इलाकों में जाकर सफल ऑपरेशन कर रहे हैं तो ऐसे में पेद्दाकोरमा जैसा इलाका, जहां तक पहंचने के लिए कच्ची सड़क है, वहां इतनी बड़ी घटना को अंजाम देना हतप्रभ करने वाला है. ऐसे में माओवादियों ने इस घटना को अंजाम देने के लिए पूरी तैयारी की. घटनास्थल से पोंजेर कैंप महज 7 से 8 किमी की दूरी पर है. इसलिए 17 जून की सुबह माओवादियों ने पहले गांव को घेरकर सभी के मोबाइल जब्त कर लिए और किसी को भी गांव से बाहर जाने की मनाही कर दी. उसके बाद उन्होंने गांव के बगल में ही जनअदालत लगायाई, जिसमें गांव के तीन ग्रामीणों को हत्या कर दी. इनमें दो छात्र भी शामिल थे.

पूरे गांव में सन्नाटा

लगातार नुकसान उठा रहे माओवादी इस तरह की घटना को अंजाम दे देंगे, ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था. घटना के बाद जब NDTV की टीम मौके पर पहुंची तो बड़ी संख्या में जवान मृतकों के शव और उनके परिजनों को लेकर बीजापुर मुख्यालय जा रहे थे, जिससे कि मृतकों के पोस्टमॉर्टम करवाए जा सकें. वहीं, गांव पहुंचने पर ग्रामीण धीरे-धीरे वापस लौट रहे थे, जो हत्या के बाद डर कर भाग गए थे. कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं था, पर सोमा मोडियाम की भाभी ने डरते हुए हमसे बातचीत की.

इस दैरान उन्होंने पूरी घटना की जानकारी देते हुए सहम गईं और रोने लगीं. उन्होंने बताया कि किस तरह सोमा आखिरी वक्त चीख रहा था, अपनी जान की भीख मांग रहा था लेकिन माओवादियों का दिल नहीं पसीजा. उन्होंने बेरहमी से रस्सी गले मे लपेट कर उसकी जान ले ली. सोमा की भाभी ने बताया कि सोमा कॉलेज की तैयारी कर रहा था और पढ़ाई में भी अच्छा था, पर माओवादियों ने उसे मार कर सब खत्म कर दिया. अब वो और दहशत में हैं कि कहीं माओवादी उन्हें या उनके पति की भी हत्या न कर दें.

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क्या बोले 13 साल के छात्र के भाई

वहीं, उनके घर के ठीक बगल अनिल माड़वी का घर है, जो महज 13 साल का था और उनके भाई ने बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहता था, पर माओवादियों ने उसे भी उसी बेरहमी से मारा जैसे कि सोमा को मारा. अनिल के भाई ने बताया कि सुबह जब वो खेत की जुताई कर रहा था, तभी माओवादी धीरे-धीरे इलाके को घेरने लगे और उसे आकर पकड़ लिया. इस दैरान उन्होंने उसके छोटे भाई अनिल और उसे रस्सियों से बांध कर गांव के बाहर ले गए, जहां और भी गांव वालों को एकत्रित किया गया था.

वहां जाकर उसके छोटे भाई को उससे दूर कर दिया गया. इस दौरान इसे भी तब तक मारा गया, जब तक उसने ये दबाव में स्वीकार नहीं कर लिया कि उसने समर्पित माओवादी दिनेश मोडियाम से पैसा लिया है. पूरे दिन माओवादी गांव के बगल जनअदालत लगाए हत्या कि पर ये सूचना गांव से बाहर नहीं निकल पाई. हत्या के बाद जब माओवादियों ने पूरे गांव को चेतावनी देकर चले गए तब किसी ने इसकी जानकारी बाहर पहुंचाई और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पूरा गांव दहशत में है और मृतकों के परिजनों के आंखों के सामने तो अभी भी मौत नाच रही है. ऐसे में हमने बस्तर आईजी सुंदरराज पी से उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल किया तो उन्होंने परिजनों को पूरी सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है.

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