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Ground Report: माओवादियों के खात्मे के लिए सरकार ने उठाया है ये बड़ा कदम, NDTV Exclusive

Naxalite in Chhattisgarh: जवानों की मुस्तैदी और बहादुरी की वजह से अब चिंतावागु नदी पर बन रहे इस पुल के निर्माण में तेजी आ सकी है. अब चूंकि मानसून का सीजन शुरू होने ही वाला है. ऐसे में इस मानसून में इस पुल का निर्माण कार्य किसी भी सूरत में पूरा नहीं हो सकता.

Ground Report: माओवादियों के खात्मे के लिए सरकार ने उठाया है ये बड़ा कदम, NDTV Exclusive
Naxalite Activities: माओवादियों पर लगेगा अब अंकुश

Naxalite in Chhattisgarh: माओवादियों के खात्मे के लिए सरकार ने कमर कस ली है. सरकार आए दिन इस समस्या से निबटने के लिए नए -नए प्रयोग भी कर रही है. जिसका सकारात्मक परिणाम धरातल पर भी नजर आने लगा है. हाल के दिनों में सुरक्षाबल के जवानों ने बस्तर के बीहड़ में माओवाद संगठन पर नकेल कसने के लिए पहली बार अनूठी पहल की है.

जवानों ने चिंतावागु नदी पर कराया है रोप वे का निर्माण

दरअसल इंटर स्टेट कॉरिडोर पर बसे छत्तीसगढ़ के दक्षिणी छोर पर बसे पामेड गांव से सात किलोमीटर की दूरी से होकर बहने वाली चिंतावागु नदी पर जवानों ने "रोप वे" का निर्माण किया है. बस्तर के बीहड़ में पहली बार इस तरह के रोप वे का निर्माण करवाया गया है. तो चलिए आपको बताते हैं इस रोप वे के निर्माण के पीछे की असल वजह और इसके निर्माण से सुरक्षाबलों के जवानों के साथ ग्रामीणों को होने वाले फायदे और माओवाद संगठन पर नकेल कसने में ये रोप वे कैसे मददगार साबित होगा. इस "रोप वे" के निर्माण से पांच साल पहले छत्तीसगढ़ तेलंगाना की सीमा पर बसे पामेड थाने से 7 किलोमीटर की दूरी पर बसे धर्माराम गांव के नजदीक से होकर बहने वाली चिंतावागु नदी पर पुल निर्माण का कार्य शुरू हुआ. चूंकि पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है. विकास विरोधी नक्सली अक्सर सड़क और पुल पुलिए के निर्माण कार्य में लगे मशीनरियों में आगजनी के साथ ही कई बार मजदूरों के साथ मारपीट और ठेकेदार, मुंशी की हत्याएं कर चुके हैं.

माओवादी दे रहे थे आए दिन घटनाओं को अंजाम

लिहाजा बस्तर के इन इलाकों में सड़क और पुल पुलिये के निर्माण के लिए सरकार द्वारा तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए जाते हैं. तब किसी तरह इन इलाकों में सड़क और पुल पुलिए का निर्माण कार्य पूरा हो पाता है. इसी तरह धर्माराम गांव के नजदीक से होकर बहने वाली चिंतावागू नदी पर बन रहे इस पुल के निर्माण के लिए पांच साल पहले सुरक्षाबल का एक कैंप स्थापित किया गया था. इस कैंप की स्थापना के साथ ही पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ. मगर आए दिन माओवाद संगठन द्वारा कैंप के साथ ही पुल निर्माण स्थल पर नदी के दूसरे छोर से अलग अलग घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा. कभी नदी के दूसरे छोर से फायरिंग की जाती तो, कभी प्रेशर IED प्लांट किया जाता था. लगातार हो रही नक्सल घटनाओं के खौफ से निर्माण कार्य में लगे मजदूर भाग खड़े होते थे. तो वहीं ठेकेदार भी बिन मजदूरों के पुल के निर्माण कार्य में तेजी नहीं ला पा रहे थे.

पुल के निर्माण की सरकार और सुरक्षाबलों के सामने थी चुनौती

अब सरकार और सुरक्षाबल के जवानों के सामने बड़ी चुनौती ये थी कि इस पुल का निर्माण कार्य कैसे पूरा होगा. लिहाजा सुरक्षाबल के जवानों ने बड़ा रिस्क लेते हुए पुल के निर्माण से पहले ही नदी के दूसरे छोर पर कैंप स्थापित कर दिया. अब माओवादियों के निशाने पर दूसरे छोर पर बसाया गया सुरक्षाबल का कैंप रहा. इस कैंप पर नक्सल संगठन लगातार हमले करता रहा. 16 जनवरी 2024 को नक्सलियों द्वारा एक बड़ी रणनीति के साथ कैंप को लूटने और जवानों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य के साथ बड़े हमले को अंजाम देने की कोशिश की गई थी. 16 जनवरी को रात करीब 7 बजे नक्सलियों ने इस कैंप पर धावा बोला, करीब 8 घंटे तक कैंप पर लगातार हमला करते रहे. इस दौरान नक्सल संगठन द्वारा BGL के 1,000 से अधिक सेल दागे गए थे. जिसमे से करीब 700 सेल में ब्लास्ट ही नहीं हुआ. नक्सलियों के इस हमले को जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया. बिना किसी नुकसान के जवानों ने नक्सलियों के कंपनी नंबर 2 के 3 लड़ाकों को मार गिराया. इस एक पुल के निर्माण के लिए नदी के दोनों किनारों पर बसाए गए सुरक्षाबल के दोनों कैंप पर नक्सलियों ने कई दफे इस तरह के अलग- अलग हमलों को अंजाम दिया.

जवानों की वजह से निर्माण में आ सकी है तेजी

जवानों की मुस्तैदी और बहादुरी की वजह से अब चिंतावागु नदी पर बन रहे इस पुल के निर्माण में तेजी आ सकी है. अब चूंकि मानसून का सीजन शुरू होने ही वाला है. ऐसे में इस मानसून में इस पुल का निर्माण कार्य किसी भी सूरत में पूरा नहीं हो सकता. सुकमा, बीजापुर से होकर बहने वाली चिंतावागु नदी बारिश के दिनों में पूरे उफान पर होती है. ऐसे में नदी के दूसरे छोर पर बसे कैंप में तैनात जवानों तक साधन, संसाधन, राशन से लेकर नक्सल हमले के दौरान बैक अप पार्टी भेजवाना बड़ी चुनौती थी. लिहाजा, जवानों ने एक तरकीब ढूंढ निकाली. ITBP के 25 इंजीनियर्स की मदद से 31 दिनों में 200 मीटर लंबा रोप वे का निर्माण कार्य पूरा किया गया. अब बारिश के दिनों में इस रोप वे के माध्यम से जवानों तक मदद ही नहीं बल्कि नदी के पार बस रहे 55 गांव के हजारों बशिदों के लिए ये रोप वे इमरजेंसी हालातों में वरदान साबित होगा. 

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