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Motivational Story : गरियाबंद की ये बेटी बेबसी को तोड़ ऐसे बढ़ रही आगे, 'फादर्स डे' पर वायरल हुई दर्दभरी कहानी

Motivational Story In Gariaband : हालात कैसे भी हों... पर उससे लड़ने का जज्बा आपको बहुत दूर तक ले जाता है. 15 जून को 'फादर्स डे' के मौके पर गरियाबंद में एक ऐसी बच्ची की कहानी सामने आई, जिसके बाद हर शख्स की आंखें भावना से भर गई. ये कहानी है बबली की. 

Motivational Story : गरियाबंद की ये बेटी बेबसी को तोड़ ऐसे बढ़ रही आगे, 'फादर्स डे' पर वायरल हुई दर्दभरी कहानी

Motivational Story News :  जब हालात कमजोर हों और जिम्मेदारियां बड़ी, तब अक्सर सपनों को दम तोड़ना पड़ता है. लेकिन कभी-कभी कोई प्रतिभाशाली उन हालात को मात दे देती है. यह सिर्फ एक बच्ची बबली की कहानी नहीं, यह उम्मीद और जज्बे की ऐसी मिसाल है जो दिल को छू जाती है और सिस्टम को भी संवेदनशील बना देती है. आज हम आपको बता रहे हैं संघर्ष की एक ऐसी ही शानदार कहानी...जिसे जानकर आप भी बबली जैसी बहादुर बेटियों को सलाम करेंगे.

डॉक्टर बनने का सपना और लाचार पिता का संघर्ष

बबली केंदूपारटी गांव की एक होनहार छात्रा है. बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना उसकी आंखों में पल रहा है.लेकिन ज़िंदगी ने उसे वह सब दिया, जिससे सपनों को कुचलना आसान होता लाचार पिता, छूटती मां, गरीबी, बीमारी और बेबसी. बबली की मां तब छोड़ गईं जब वह महज तीन साल की थी. पिता तहसील नेताम लकवाग्रस्त हैं और चलने-फिरने में असमर्थ. मां की गैरहाज़िरी और पिता की बीमारी के बीच बबली नन्हीं उम्र में ही जीवन से दो-दो हाथ करने लगी.

 कक्षा 9 में दाखिले के लिए भी नहीं थे पैसे

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बबली ने आठवीं तक की पढ़ाई पूरी कर ली थी, लेकिन नौवीं में दाखिले के लिए उसके पास न ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने के पैसे थे, न किताबें खरीदने के हालात इतने खराब थे कि स्कूल बैग और स्टेशनरी भी सपना लगने लगे थे.पिता तहसील नेताम अब ट्राइसाइकिल पर गांव-गांव घूमकर भीख मांगते हैं ताकि किसी तरह बेटी का पेट भर सके और उसकी पढ़ाई जारी रह सके.

'फादर्स डे' पर वायरल हुई कहानी ने जगाया सिस्टम को

जब यह भावुक कर देने वाली कहानी फादर्स डे के दिन सामने आई, तो उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के इंदा परिक्षेत्र के वन विभाग का दिल पसीज गया. रेंजर सुशील कुमार सागर और उनकी टीम ने न सिर्फ बबली से मुलाकात की, बल्कि तुरंत 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी. साथ में स्कूल बैग, किताबें और स्टेशनरी भी उपलब्ध कराई गई. उन्होंने आश्वासन दिया कि बबली का दाखिला जल्द से जल्द स्कूल में करवाया जाएगा और आगे की पढ़ाई में हर संभव सहयोग मिलेगा.

अब मिलेगा पक्का घर भी

इस मानवीय पहल के बाद जनपद पंचायत मैनपुर के सीईओ ने भी संवेदनशीलता दिखाते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तहसील नेताम को पक्का मकान देने की प्रक्रिया शुरू कर दी. पंचायत सचिव को निर्देश दे दिए गए हैं कि नाम जल्द से जल्द आवास सूची में जोड़ा जाए.

बबली बनी प्रेरणा, समाज आगे आया

बबली अब सिर्फ एक बच्ची नहीं, वह पूरे क्षेत्र की प्रेरणा बन चुकी है. उसकी कहानी ने यह साबित कर दिया है कि जब व्यवस्था जागे और समाज साथ दे, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह जाता. इस घटना के बाद कई सामाजिक संगठन भी मदद के लिए आगे आए हैं और बबली की आगे की शिक्षा का जिम्मा उठाने की बात कर रहे हैं.

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