
Medical Drones: देश के दुर्गम इलाकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. दरअसल, देश के दूर दराज और दुर्गम इलाकों में दवाइयों की सप्लाई अब ड्रोन के जरिए की जाएगी. इसके साथ ही अब आदिवासियों और ग्रामीणों को हर मौसम में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराया जा सकेगा. इसके लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'स्वास्थ्य सुविधाओं में ड्रोन तकनीक का उपयोग' के तहत मंगलवार को ड्रोन के माध्यम से दवा एवं रक्त सैंपल अंबिकापुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महज 20 मिनट में सफलतापूर्वक भेज कर परीक्षण किया गया.
सफल रहा परीक्षण
दरअसल, देश के 25 मेडिकल कॉलेजों में से छत्तीसगढ़ के एक मात्र शामिल शासकीय राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंह देव चिकित्सा महाविद्यालय अंबिकापुर का भी इसमें चयन हुआ हुआ था. लिहाजा, अंबिकापुर से उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक रक्त सैंपल और रिपोर्ट के साथ दवा भेजने का सफल ट्रायल किया गया. इस दौरान मेडिकल कॉलेज से यह ड्रोन दवा लेकर उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुरक्षित लैंडिंग की. इसके बाद इससे सामग्री उतारा गया और स्वास्थ्य केंद्र से रक्त सैंपल जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया. ड्रोन से वांछित स्थल तक दवा पहुंचाने के सफल ट्रायल से महाविद्यालय प्रबंधन के साथ मेडिकल विद्यार्थियों में जबरदस्त उत्साह भी देखने को मिला. मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रमनेश मूर्ति, अस्पताल अधीक्षक डॉ. काइट्स मैप्स ड्रोन कंपनी के तकनीकी अमले के द्वारा ट्रायल किया गया.
ये है योजना का उद्देश्य
केंद्र सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद इस योजना के लागू होने पर जाम लगने, पुल टूटने अथवा अन्य कारणों से मार्ग बाधित होने की स्थिति में वांछित इलाकों तक जरूरी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने, दवा पहुंचाने से लेकर सैंपल कलेक्शन, रिपोर्ट देने सहित अन्य जरूरी कार्य करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो सकेगा. दरअसल, ड्रोन प्रोजेक्ट की योजना इसलिए बनाई गई थी, ताकि संकट के समय भी स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मुहैया कराया जा सके.
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शासकीय राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंह देव चिकित्सा महाविद्यालय अंबिकापुर के डीन डॉ. रमनेश मूर्ति ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधाओं में ड्रोन तकनीक के उपयोग के लिए प्रथम चरण में देश के 25 मेडिकल कॉलेज, 8 एम्स और 7 राष्ट्रीय महत्व की स्वास्थ संस्थाओं का चयन किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़ के एक मात्र मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. इसके अलावा रायपुर एम्स का भी चयन किया गया है. उन्होंने बताया कि सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य और पिछड़े इलाके में यह प्रोजेक्ट स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बड़ा उपयोगी साबित होगा, जिससे पहुंच विहीन इलाकों में भी आसानी से स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा सकेगी. डीन ने बताया कि समय के अनुसार डेंगू किट, स्पायरोसिस, जांच रिपोर्ट, रक्त सैंपल, दवा भेजने और लाने का ट्रायल किया जा रहा है, ताकि ड्रोन टेक्नोलॉजी का सही-सही अनुमान लगाया जा सके और इसे कैसे उपयोग करना है. इसका भी पूरा रिकॉर्ड दर्ज किया जा सके.
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