Election King K. Padmarajan: राजनीति में कोई उम्मीदवार अगर 10 चुनाव लगातार हार जाए तो शायद ही वो वापस चुनावी मैदान में कदम रखे, लेकिन तमिलनाडु (Tamil Nadu) के 65 वर्षीय के पद्मराजन (K Padmarajan) 5-10 या 15 नहीं बल्कि 200 से अधिक बार चुनाव (Election) लड़े हैं और उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा है. अब इनकी पहचान 'इलेक्शन किंग' के रूप के नाम पर बन चुकी है. तमिलनाडु के मेट्टूर में रहने वाले के पद्मराजन ने 1988 से चुनाव लड़ना शुरू किया था. उस समय कई लोगों ने उनका मज़ाक भी उड़ाया था, लेकिन पद्मराजन यह साबित करना चाहते थे कि आम आदमी भी चुनाव लड़ सकता है. इसलिए उन्होंने सबको अनदेखा करते हुए चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. अपनी बड़ी-बड़ी मूछों के लिए पहचाने जाने वाले पद्मराजन कहते हैं कि “सभी उम्मीदवार चुनाव में जीतना चाहते हैं. लेकिन मेरे लिए जीत तो चुनाव में भाग लेना है. वे कहते हैं कि मेरी हार पहले से ही तय होती है लेकिन मैं हारकर भी खुश होता हूं.” के पद्मराजन टायर दुकान के मालिक हैं, इसके अलावा वो होम्योपैथी डॉक्टर भी हैं.
PM मोदी, अटल और मनमोहन के खिलाफ भी लड़ चुके हैं चुनाव
के पद्मराजन ने हर चुनाव में किस्मत आज़माई है. उन्होंने स्थानीय चुनाव (Local Election) से लेकर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) तक सभी चुनाव लड़े हैं. इतना ही नहीं वे राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में भी उम्मीदवारी पेश कर चुके हैं. हालांकि हर जगह और हर बार उन्हें हार ही हार मिली है. के पद्मराजन अभी तक कई दिग्गजों के सामने चुनाव लड़ चुके हैं, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee), मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukharjee) और एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) के अलावा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में पद्मराजन तमिलनाडु के धर्मपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं.
लिम्का बुक में दर्ज है रिकॉर्ड
के पद्मराजन के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड दर्ज है, जिसके कोई भी इंसान अपने नाम नहीं करना चाहेगा. लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स (Limca Book of Records) में सबसे असफल उम्मीदवार (Biggest Election Loser) के रूप में उनका नाम दर्ज है. सभी चुनाव मिलाकर कुल 238 चुनाव हार चुके हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2011 में था, जब वह मेट्टूर में विधानसभा चुनाव के लिए खड़े हुए थे. तब उन्हें उस चुनाव में 6,273 वोट मिले थे.
लाखों रुपए कर चुके हैं खर्च पद्मराजन
पद्मराजन का मानना है कि उन्होंने अभी तक चुनाव पर लाखों रुपए खर्च कर दिए हैं. उनका अनुमान है कि उन्होंने नामांकन शुल्क पर तीन दशकों से अधिक समय में लाखों रुपये खर्च दिए हैं. इस लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने ₹25,000 की राशि जमा की है, जो तब तक वापस नहीं की जाएगी जब तक कि वो 16% से ज़्यादा वोट अर्जित नहीं कर लेते हैं.
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