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This Article is From May 01, 2025

आधुनिक भारत का बिना नेटवर्क वाला गांव, लोग ऐसे-ऐसे जुगाड़ से चलाते हैं काम

Kanker News: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दबेना गांव में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं है, जिससे ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गांव में सरकारी कार्य, स्वास्थ्य सेवाएं, और अन्य काम नेटवर्क की कमी के कारण प्रभावित होते हैं.

आधुनिक भारत का बिना नेटवर्क वाला गांव, लोग ऐसे-ऐसे जुगाड़ से चलाते हैं काम

Village Without Mobile Network: सुशासन तिहार के चलते छत्तीसगढ़ सरकार गांवों को डिजिटल कर रही है. लेकिन आधुनिक भारत का एक गांव ऐसा है जहां नेटवर्क रोज थैली पर रस्सी के सहारे टांगा जाता है. सरकार की योजना हो या अन्य कोई कार्य बिना नेटवर्क इस गांव और आसपास के ग्रामीणों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं. 

दरअसल, छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले का गांव है दबेना.  हजार से अधिक की आबादी वाले इस गांव में आज भी मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं है. इस गांव ने चार बार सांसद और अविभाजित मध्यप्रदेश शासन काल मे वन मंत्री भी दिए लेकिन गांव को नेटवर्क नहीं मिल सका. स्थिति यह है कि गांव में सरकारी हो या अन्य कोई कार्य, सभी मुसीबत बन चुके है.

ऐसे करते हैं जुगाड़

1 लैम्प्स पर 9 गांव के किसान निर्भर हैं. लैम्प्स के कम्प्यूटर आपरेटर ने नेटवर्क के लिए छत के ऊपर बड़ा सा पोल लगाकर ऊंचे स्थान में डोंगल टांग रखा है. लेकिन इससे भी केवल रोजाना 2 से 3 किसानों का काम हो पाता है. किसानों का कहना है कि एक कार्य के लिए 3 से 4 दिन लैम्प्स में चक्कर काटने पड़ते है. नेटवर्क की वजह से न तो उन्हें अपनी मेहनत की राशि मिल पाती है ना ही कोई कार्य हो पाते है.

सीएससी सेंटर तो है लेकिन नेटवर्क नहीं

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सीएससी सेंटर तो है लेकिन नेटवर्क नहीं. ग्राहक सेवा केन्द्र चलाने वाला संचालक रोजना एक थैले में डोंगल रखता है जिसे रस्सी के सहारे हाईमास्क लाईट में ऊंचाई पर टांग दिया जाता है. लेकिन फिर भी नेटवर्क में दिक्कत बनी रहती है. दिन भर में 10 में कुछ का ही काम हो पाता है. नहीं हुआ तो लंबी दूरी तय कर ब्लॉक मुख्यालय जाकर काम करना मजबूरी बन गई है.

ऐसे करते हैं मोबाइल पर बात

आज भी यहां के ग्रामीणों को मोबाइल पर बात करने पेड़ व छत पर चढ़ना पड़ता है. राशन लेने के लिए पॉश मशीन में अंगूठा लगाने दूसरे गांव या नेटर्वक वाली जगह में जाना पड़ता है. स्वास्थ्य एमरजेंसी वाहनों को बुलाने दूसरे गांव जाकर फोन लगाना पड़ता है. गांव में हाई स्कूल जिला सहकारी मर्यादित केंद्रीय कार्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, राजस्व विभाग से जुड़े पटवारी कार्यालय, वन परिक्षेत्र अधिकारी ,ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के कार्यालय है लेकिन नेटवर्क नही होने के कारण कोई काम नही होते है. कर्मचारी भी यहां रुकना पसन्द नही करते है.

क्या बोले ग्रामीण? 

ग्रामीणों का कहना है कि इस सम्बंध में कई बार प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. उनकी मांग है कि इन क्षेत्रों में लगे टावरों की कनेक्टिविटी बढ़ाई जाए ताकि किसी भी कार्य में लोगो को तकलीफ ना हो. 

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