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नक्सलियों की 'अबूझ राजधानी' में सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक: ग्राउंड जीरो आपको चौंका देगा

छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या को लेकर सुखिर्यों में रहने वाला बस्तर (Bastar News)एक बार फिर से चर्चा में है. दंतेवाड़ा और नारायणपुर के सीमावर्ती इलाके में सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ ऐतिहासिक कामयाबी हासिल कर ली है. NDTV की टीम ने ग्राउंड जीरों पर जाकर हालात का जायजा लिया.

नक्सलियों की 'अबूझ राजधानी' में सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक: ग्राउंड जीरो आपको चौंका देगा

CG Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या को लेकर सुखिर्यों में रहने वाला बस्तर (Bastar News)एक बार फिर से चर्चा में है. दंतेवाड़ा और नारायणपुर के सीमावर्ती इलाके में सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ ऐतिहासिक कामयाबी हासिल कर ली है. सरकार का दावा है कि राज्य के बनने के बाद से पहली बार किसी एक मुठभेड़ में एक साथ 31 नक्सलियों को मार गिराने का रिकॉर्ड जवानों ने बनाया है. 4 अक्टूबर को मुठभेड़ की जानकारी मिलने के बाद 5 अक्टूबर की देर शाम तक जो जानकारियां मिलीं, उसे इकट्ठा कर NDTV की टीम ग्राउंड जीरो के लिए निकल गई. 

दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 165 किलोमीटर का सफर तयकर हम अबूझमाड़ के थुलथुली, ग्वाल के मध्य स्थित ओरछा तक पहुंचे, जिसे अबूझमाड़ में नक्सलियों की कथित राजधानी का प्रवेश द्वार कहा जाता है. इसके बाद हमारा 16 किलोमीटर का सबसे खतरनाक सफर शुरू हुआ. हम जगगुड़ा, जुआड़ा होते नेंदूर और  फिर अंतिम गांव गवाड़ी पहुंचे. हमारे सामने 4 बड़ी नदियां पार करने और घनघोर जंगल की खतरनाक पगडंडियों पर बाइक चलानी की चुनौती भी सामने आई. इस सफर में बार-बार मन में ख्याल आया कि जिस जंगह पर बाइक के सहारे दिन में पहुंचना इतना कठिन है, कई बार हम रास्ता भी भटके, वहां रात में पैदल यात्रा कर जवान किन चुनौतियों के साथ पहुंचे होंगे?

 थुलथुली के जंगल: यहां नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद मौके पर छूटे हथियार

थुलथुली के जंगल: यहां नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद मौके पर छूटे हथियार
Photo Credit: पंकज सिंह भदौरिया

बहरहाल मुठभेड़ के बाद से ग्वाल, नेंदूर गांव खाली है, सन्नाटा पसरा पड़ा है. कोई भी कुछ बोलने को और मुठभेड़ से जुड़ी बात को बताने को तैयार नही है. कुछ देर की मशक्कत के बाद एक लड़का बातचीत को तैयार हुआ, उसने कहा- मैं जानता हूं, गोलियां कहां चलीं और नीति कहां बैठी थीं. इसके बाद हम उसके साथ पैदल निकल पड़े.

ग्वाल गांव लगभग 500 मीटर दूर मैदान में जहां जवानों की मदद के लिये चौपर उतरा था. उस जगह हम पहुंचे वहां खेत में चौपर को उतारने के लिये लकड़ियां जलाकर रखी गयी थी. इसके बाद हम अपने सहयोगी गुड्डू के साथ पहाड़ की खड़ी चढ़ाई चढ़ने लगे लगभग पहाड़ी रास्ते में 3 किलोमीटर पैदल चलकर हम एकदम ग्राउंड जीरो पर पहुंच गये.

पेड़ों पर गोलियों के निशान और नक्सलियों का जला सामान 

मुठभेड़ स्थल पर चारों तरफ पेड़ों पर गोलियों के निशान दिखे, एक जगह नक्सलियों के कैम्प का सामान दिखा, जिस पर पीएलजीए कंपनी नम्बर-06 के अहम दस्तावेज हमारे हाथ लगे. इस इलाके में मुठभेड़ स्थल पर यूबीजीएल के गोले पड़े नजर आये. साथ ही महिलाओं के बाल पत्थरों पर पड़े थे. नक्सलियों ने जिन जगहों पर मोर्चा लिया था, वहां खाने के पैकेट भी थे. जहां नक्सलियों का भारी मात्रा में सामान जला हुआ दिखा, वहां पर उनके थर्मस, थालिया और दवाइंयां दिखीं. साथ ही उनके दिनचर्या का बहुत कुछ हिसाब किताब भी नजर आया.

यहां हुई थी गोलीबारी

दिन में हमें इस मुठभेड़ स्थल में पहुंचने में पसीने छूट गये आप अंदाजा लगाइये कि किस बेहतरीन प्लांनिग के साथ दंतेवाड़ा से जवान हथियार और समान का वजन लेकर नक्सलियों के कोर नेटवर्क में रात के अंधेरे में पहाड़ियों को पार करते हुये वो नक्सलियों के पूरे सूचनातंत्र को फेल करते हुए इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया होगा.

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