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This Article is From Jul 11, 2023

बस्तर में किसान ने कर दिया कमाल, बना दिया 'ईडन गार्डन' जैसा स्टेडियम

बस्तर में एक किसान ने क्रिकेट के प्रति जुनून में एक बेहतरीन क्रिकेट स्टेडियम तैयार कर दिया. जिसमें सभी अंतराष्ट्रीय मानकों का पालन किया है...इसके लिए चार एकड़ खेत की जमीन को कुर्बान कर दिया. जानिए क्या है स्टोरी

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बस्तर में किसान ने कर दिया कमाल, बना दिया 'ईडन गार्डन' जैसा स्टेडियम

Chhattisgarh news: कहा जाता है कि शौक बड़ी चीज होती है...लेकिन जब यही शौक जुनून बन जाए तो इंसान असंभव को भी संभव कर सकता है. कुछ ऐसा ही हुआ है नक्सल प्रभावित बस्तर (Naxalite affected Bastar) में. यहां क्रिकेट के शौकीन एक किसान ने बिना किसी कंपनी,सरकार या संस्था के सहायता से इंटरनेशनल लेवल का क्रिकेट स्टेडियम (cricket stadium) तैयार कर दिया. ये मैदान हूबहू वैसा ही है जैसा आप अपने टीवी सेट पर किसी लाइव क्रिकेट मैच के दौरान देखते हैं. इस जुनूनी शख्स का नाम है प्रदीप गुहा (Pradeep Guha)और उन्होंने अपने गांव कालीपुर में ये स्टेडियम तैयार किया है. कालीपुर बस्तर जिला मुख्यालय (Bastar District Headquarters) से महज 5 किमी दूर है. 

बेटे-बेटी के लिए बना दिया क्रिकेट स्टेडियम !

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प्रदीप गुहा की मेहनत से तैयार स्टेडियम में अब रोज बच्चे लेते हैं ट्रेनिंग

मैदान की तारीफ सुनकर जब NDTV की टीम मौके पर पहुंची तो पहली बार आंखों पर भरोसा नहीं हुआ. कालीपुर गांव  जाने के लिए जगदलपुर शहर से लगे धरमपुरा क्षेत्र को पार करके पहुंचना होता है. गांव के किनारे तार से घिरा एक बड़ा इलाका है जहां सुन्दर हरी घास उगाई गई है और पूरे मैदान में ये ठीक वैसा ही है जैसा कोलकाता का ईडन गार्डन में है. प्रदीप गुहा द्वारा इतने बड़े क्रिकेट के मैदान को बनवाने के पीछे की कहानी भावुक कर देने वाली है.

दरअसल प्रदीप 43 साल के हैं और क्रिकेट के प्रति उनकी दीवानगी काफी पुरानी है. उनका कहना है कि बचपन से ही वे क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं और क्रिकेट खेलना उनका शौक नहीं पागलपन है.

बचपन से ही क्रिकेट खेलने के लिए वे अलग-अलग गांवों में होने वाले टूर्नामेंट में जाया करते थे. वे खुद बड़े लेवल पर क्रिकेट खेलना चाहते थे लेकिन बस्तर में इस तरह की सुविधाएं नहीं होने से उनका सपना परवान नहीं चढ़ सका. जिसके बाद उन्होंने अपने बेटे और बेटी को क्रिकेट का बल्ला थमा दिया.  दोनों बच्चों को बड़ा क्रिकेटर बनाने के सपने को पूरा करने के लिए प्रदीप ने पहले तो अपने घर के बाहर ही नेट लगवाकर उन्हें प्रैक्टिस कराई. लेकिन बाद में अपनी चार एकड़ जमीन में स्टेडियम जैसा मैदान बनवा दिया. 

50 बच्चे ले रहे हैं क्रिकेट की ट्रेनिंग

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कालीपुर जैसे छोटे से गांव में अंतरराष्ट्रीय स्टार का स्टेडियम तैयार करने के पीछे की कहानी पर प्रदीप गुहा कहते हैं कि बच्चों को क्रिकेट में आगे बढ़ने के उद्देश्य से वे लगातार अथक प्रयाश कर रहे हैं. शुरुआत में उन्होंने बच्चों के प्रशिक्षण के लिए घर पर ही नेट लगवाया और सारे किट की व्यवस्था की. इतना ही नहीं बच्चों को देश के दूसरे हिस्सों में ले जाकर नामी खिलाड़ियों के संस्थानों में दाखिला भी दिलवाया. अभी उनका बेटा अंडर 16 में स्टेट टीम में खेल रहा है.

उनका कहना है कि उनके बच्चों में प्रतिभा है और वे आगे बढ़ सकते हैं इसी उद्देश्य से उन्होंने अपने चार एकड़ के खेत को अंतरराट्रीय स्तर के मैदान में तब्दील करने का फैसला किया ताकि बच्चों को क्रिकेट का पूरा माहौल दे पाएं.

उन्होंने राजस्थान और रायपुर से मिटटी मंगवाकर टर्फ पिच का निर्माण करवाया. इस मैदान को छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के एक्सपर्ट्स की देखरेख में बनवाया गया है ,जिसमें लगभग तीन साल का समय लग गया. मैदान के लिए महाराष्ट्र से दो रोलर मंगवाए गए हैं और विदेशी ड्रिप कंपनी से पूरे मैदान की घास में पानी का छिड़काव किया जाता है. प्रदीप के मुताबिक मैदान को तैयार करने में अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन किया गया है. उन्होंने अपने बनाए इस मैदान को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्टेडियम नाम दिया है. फिलहाल यहां BCCI से मान्यता प्राप्त कोच करणदीप करीब 50 बच्चों को प्रशिक्षण करा रहे हैं. यहां दो टीमें बनाकर रेगुलर मैच कराया जाता है. इसके साथ ही बच्चों को सेहतमंद भोजन भी कराया जाता है. 

मजूदर पिता का बेटा बन रहा है क्रिकेटर 

इस मैदान पर सिर्फ प्रदीप गुहा के ही सपने परवान नहीं चढ़ रहे हैं बल्कि कई ऐसे बच्चे भी हैं जिनके पैरेंट्स उन्हें क्रिकेट खिलाना तो चाहते हैं लेकिन उनकी माली हालत ठीक नहीं है. यहां प्रशिक्षण ले रहे बच्चों में से एक जगन्नाथ बघेल ने बताया कि उन्हें क्रिकेट का बेहद शौक है लेकिन एक तो उनके पिता मजदूर हैं और दूसरे उनके गांव में संसाधन नहीं है. लिहाजा वे यहीं क्रिकेट की ट्रेनिंग लेते हैं. जगन्नाथ और उन जैसे कई बच्चों को यहां मुफ्त में जर्सी और क्रिकेट का किट मिलता है. प्रदीप ने भी बताया कि जो भी परिवार सक्षम हैं उनके बच्चों को यहां ट्रेनिंग देने के लिए वे पैसे लेते हैं लेकिन गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त में सुविधाएं मुहैया कराते हैं. अब आलम ये है कि प्रदीप की पहल का अब पूरा बस्तर कायल हो चुका है.

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