Guru Ghasidas Jayanti 2025: समानता एकता और भाई चारे का संदेश देने वाले, सतनाम पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास बाबा (Guru Ghasidas Jayanti) की आज जयंती हैं. इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Vishnu Deo Sai) ने कहा- "समता, करुणा और मानवता के महान पथप्रदर्शक बाबा गुरुघासीदास जी की जयंती पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ. उनका अमर संदेश ‘मनखे-मनखे एक समान' आज भी सामाजिक समरसता, न्याय और समानता का प्रकाशस्तंभ है. आइए, उनके विचारों को आत्मसात कर एक सशक्त, समरस और मानवीय छत्तीसगढ़ के निर्माण का संकल्प लें." वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने भी संत शिरोमणि गुरु घासीदास की जयंती पर उनका पुण्य स्मरण किया है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि "गुरु घासीदास ने अज्ञानता, आडंबर, भेदभाव से पीड़ित समाज का श्रद्धा, प्रेम और बंधुत्व के माध्यम से कल्याण कर मानवता का मार्ग दिखाया. समरसता, जीवदया और सेवा के लिए समर्पित गुरु घासीदास के विचार सदैव समाज को नई दिशा प्रदान करते रहेंगे."
|| सतनाम घट-घट म समाय हे ||
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) December 18, 2025
छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर जन्मे सतनाम पंथ के प्रवर्तक, महान समाज सुधारक श्रद्धेय बाबा गुरु घासीदास जी ने सत्य, अहिंसा और समानता का जो कालजयी संदेश दिया, वह आज भी समाज को दिशा और चेतना प्रदान कर रहा है।
“मनखे-मनखे एक समान” और “सतनाम” का उनका अमर दर्शन… pic.twitter.com/2Ht6IXLaBe
कौन थे बाबा गुरू घासीदास महराज? (Who is Baba Guru Ghasidas)
छत्तीसगढ़ की सामाजिक सांस्कृतिक परम्पराओं की धुरी और संत परम्परा में अग्रणी गुरु घासीदास का नाम सर्वोपरि है. गुरु घासीदास का जन्म चौदशी पौष माह संवत 1700 को बिलासपुर जिले के गिरौदपुर नामक ग्राम में हुआ था. इनकी माता अमरौतिन तथा पिता का नाम महंगूदास था. गुरु घासीदास बाल्यावस्था से ही समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को देखकर व्यथित हो जाते थे. शोषित वर्ग और निर्बल लोगों के उत्थान के लिए इस नन्हें बालक का हृदय छटपटाने लगता था, तड़प उठता था.
गुरु घासीदास जी ने भक्ति का अति अद्भुत और नवीन पंथ प्रस्तुत किया, जिसे सतनाम पंथ कहा गया. जिसमें सतनाम पर विश्वास, मूर्ति पूजा का निषेध, हिंसा का विरोध, व्यसन से मुक्ति, पर स्त्री गमन की वर्जना और दोपहर में खेत न जोतना हैं. उनका स्पष्ट कहना था.
मिट्टी का तन यह मिट्टी में मिल जाएगा, निरीह पशुओं से प्रेम करो प्रेम मिल जाएगा ,
भीतर के ईश्वर को खोजो उसे देखो, ईश्वर सबके हृदय के भीतर मिल जाएगा.
छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लोक विधा पंथी नृत्य को गुरु घासीदास जी की वाणी को मन में धारण कर भाव विभोर होकर नृत्य करते हैं. संत शिरोमणि गुरुघासीदास जी 30 फरवरी 1850 को ब्रह्मलीन हो गए.
सीएम साय ने ऐसे दी बधाई
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास जी की जयंती पर समस्त प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं. बाबा गुरू घासीदास जी ने सम्पूर्ण मानव जाति को 'मनखे-मनखे एक समान' का प्रेरक संदेश देकर समानता और मानवता का पाठ पढ़ाया. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सामाजिक और आध्यात्मिक जागरण की आधारशिला रखी. उनका जीवन दर्शन और विचार मूल्य आज भी प्रासंगिक और समस्त मानव जाति के लिए अनुकरणीय है.
यहां है बाबा की कर्मभूमि
बलौदाबाजार से लगभग 40 किलोमीटर दूर भैसा से आरंग मार्ग में ग्राम तेलासी स्थित है. जहां पर बाबा गुरू घासीदास की कर्मभूमि स्थित है. इसे सतनामी पंथ के संत अमर दास की तपोभूमि व स्थानीय लोगों द्वारा तेलासी बाड़ा भी कहा जाता है. सतनाम पंथ के लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. सन 1840 के लगभग तेलासी बाड़ा का निर्माण गुरु घासीदास के द्वितीय पुत्र बालक दास द्वारा किया गया और उनका तेलासी बाड़ा में जीवन यापन चलता रहा, जो कि आज भी प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर के रूप में स्थित हैं.
यह भी पढ़ें : MP High Court: 'भौकाल' के लिए पुलिस सुरक्षा पर हाईकोर्ट सख्त; सरकार से मांगा जवाब, जानिए क्या है मामला?
यह भी पढ़ें : Lok Sabha News: लोकसभा में पास हुआ VB-G RAM G बिल 2025; कांग्रेस का हंगामा, BJP ने ये कहा
यह भी पढ़ें : Bhavantar Yojana: किसानों के लिए खुशखबरी; अब सरसों व मूंगफली में भी भावांतर भुगतान, जल्द नई बीमा योजना
यह भी पढ़ें : MP में लाएंगे जंगली गैंडे व जीराफ; वन मेले में CM मोहन मोहन यादव ने कहा- वन, वनोपज-वन्य प्राणी हमारी पहचान