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Bilaspur: अनाज माफियाओं ने गरीबों के राशन पर डाला था बड़ा डाका, अब 6 महीने बाद दो आरोपी चढ़े हत्थे

Bilaspur Government ration scam: अधिकारियों ने जांच में पाया था कि 272.50 क्विंटल चावल कम था, जबकि 377 क्विंटल शक्कर और 8.04 क्विंटल नमक अतिरिक्त पाया गया.

Bilaspur: अनाज माफियाओं ने गरीबों के राशन पर डाला था बड़ा डाका, अब 6 महीने बाद दो आरोपी चढ़े हत्थे

Government ration scam in Bilaspur: बिलासपुर में सेवा सहकारी समिति मस्तुरी के शासकीय चावल, शक्कर और नमक की हेराफेरी के मामले में छह महीने बाद आखिरकार प्रबंधक मनोज रात्रे और विक्रेता मनीराम कुर्रे को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. 

कैसे हुई गिरफ्तारी?

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (IPS), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उदयन बेहार और उप पुलिस अधीक्षक डी.आर. टंडन के निर्देश पर पुलिस ने यह कार्रवाई की. 18 मार्च 2025 को आरोपियों को उनके घर से गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में दोनों ने अपराध स्वीकार कर लिया, जिसके बाद उन्हें न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया.

यह मामला तब सामने आया जब खाद्य निरीक्षक ललिता शर्मा की टीम ने 22 अगस्त 2024 को राशन वितरण की जांच की. रिपोर्ट में बड़ी अनियमितता पाई गई, जिसे 27 अगस्त 2024 को कलेक्टर खाद्य शाखा बिलासपुर को भेजा गया था. जांच के बाद 16 अक्टूबर 2024 को अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन मामले की फाइल को दबाकर रखा गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई.

कलेक्टर के आदेश के बाद आखिर क्यों छह महीने तक दबी रही फाइल?

यह सबसे बड़ा सवाल है कि जब कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए थे, तो एफआईआर दर्ज करने में छह महीने की देरी क्यों हुई?
क्या कोई अधिकारी इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा था? क्या आरोपियों को बचाने का प्रयास किया गया?

दरअसल, अधिकारियों ने जांच में पाया था कि 272.50 क्विंटल चावल कम था, 377 क्विंटल शक्कर और 8.04 क्विंटल नमक अतिरिक्त पाया गया, यह साफ दिखाता है कि राशन की जमाखोरी और कालाबाजारी की गई.

कई गांवों में ग्रामीणों को नहीं मिल रहा राशन, शिकायतों का अंबार

बिलासपुर जिले में कई गांवों में महीनों से राशन नहीं मिल रहा. ग्रामीण लगातार कलेक्टर के पास शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं. ऐसे में खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. क्या विभाग में ही कोई बड़ा खेल चल रहा है? क्यों गरीबों को मिलने वाला राशन खुले बाजार में बेचा जा रहा है?

अब उठ रहे गंभीर सवाल

आखिर फाइल किसने और क्यों दबाई? क्या और भी बड़े अधिकारी इसमें शामिल हैं? कई क्षेत्रों में ग्रामीणों को महीनों से राशन क्यों नहीं मिल रहा? क्या अब इस घोटाले की पूरी परतें खुलेंगी?अब प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि खाद्य विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए.

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