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पैड से कर्ज तक...  फिंगेश्वर की वो 10 महिलाएं जिनकी ज़िंदगी में डर, दर्द और इंतज़ार ही बाकी है! जानिए पूरा मामला 

अक्षय कुमार की फ़िल्म पैडमैन तो 2018 में आई, लेकिन बकली की कल्याणी महिला स्व-सहायता समूह की कई महिलाएं साल 2011 में ही पैड बनाने के सपने को साकार करने निकल पड़ी थीं. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते कर्ज के बोझ तले दब चुकी हैं. 

पैड से कर्ज तक...  फिंगेश्वर की वो 10 महिलाएं जिनकी ज़िंदगी में डर, दर्द और इंतज़ार ही बाकी है! जानिए पूरा मामला 
नेटरी पैड बनाने वाली मशीनें कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं.

Chhattisgarh News:  छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में कभी महिलाओं की सेहत की चिंता ने उन्हें नया रास्ता दिखाया था,  अब वही रास्ता उन्हें कर्ज, डर और मायूसी के अंधेरे में धकेल चुका है. बात हो रही है फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम बकली की, जहां 15 साल पहले ‘सेनेटरी नैपकिन' बनाने के लिए महिलाओं ने हिम्मत जुटाई थी, लेकिन अब वही हिम्मत भारी कर्ज के नीचे दम तोड़ रही है. 

2009 में पैडमैन नहीं था, पर बकली में जज्बा था

अक्षय कुमार की फ़िल्म पैडमैन तो 2018 में आई, लेकिन बकली की कल्याणी महिला स्व-सहायता समूह की कदौरी बाई, फन्नी मारकंडे,सरिता मन्नाडे सहित कई महिलाएं उससे कई साल पहले 2011 में ही पैड बनाने के सपने को साकार करने निकल पड़ी थीं. बिहान योजना के तहत 10 महिलाओं ने ग्रामीण बैंक से करीब 4 लाख का लोन लिया, मशीन खरीदी, ट्रेनिंग ली और सेनेटरी नैपकिन बनाना शुरू किया.

प्रसासनिक उदासीनता से धराशायी हुआ मॉडल 

पैड बनकर तैयार हुए लेकिन प्रशासनिक बेरुखी ने पूरा मॉडल ही धराशायी कर दिया. ना बिक्री की व्यवस्था हुई, ना प्रचार-प्रसार की. मशीनें खराब होने लगीं तो तकनीकी मदद के लिए कोई हाथ थामने नहीं आया. महिलाएं मैकेनिक की तलाश में इधर-उधर भटकीं लेकिन अंत में सब थक हार गईं. इनकम शून्य रही, ऊपर से घर की पूंजी झोंकनी पड़ी. 

अब मशीनें कबाड़ और महिलाएं डर में 

आज हालत यह है कि सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीनें कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं और बैंक से लगातार नोटिस मिल रहे हैं. जिन महिलाओं ने कभी गांव की बेटियों की सेहत के लिए सपना देखा था, अब वही महिलाएं डर में जी रही हैं कि कहीं कोई आत्महत्या न कर ले. एक-एक नोटिस उनके घर की दीवारों पर मौत की परछाइयों जैसे लगते हैं.

प्रशासन से महिलाओं ने लगाई गुहार 

कल्याणी समूह की महिलाएं अब प्रशासन से गुहार लगा रही हैं कर्ज माफ किया जाए, मशीनों को फिर से ठीक कराया जाए और उन्हें दोबारा काम पर लौटने दिया जाए. उनका कहना है कि गलती उनकी नहीं, सिस्टम की थी. लेकिन अभी तक ना कोई जांच हुई, ना कोई जवाब एक सपना था, जो सिस्टम ने तोड़ दिया. अब आंखों में सिर्फ आंसू हैं और इंतज़ार कि शायद कोई फिर से हाथ थामे.

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अधिकारी बोले देखते हैं 

महिला बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी अशोक पांडे ने कहा कि उक्त मामले की उन्हें जानकारी मिली है कि हम प्रयास कर रहे हैं कि दोबारा से उनका कार्य शुरू कराया जाए. प्रशासन भी और महिला बाल विकास विभाग भी सेनेटरी नैपकिन के प्रति काफी जवाबदेह है . हमारे द्वारा कई जगहों पर सेनेटरी पैड मशीन और भस्मक मशीन लगाई जा रही हैं.

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