छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की मैनपुर जनपद पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को लेकर बड़ा प्रशासनिक एक्शन हुआ है. जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्वेता वर्मा को पद से हटा दिया गया है. यह कार्रवाई जिला पंचायत CEO प्रखर चंद्राकर द्वारा की गई है.
पूरा मामला प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने ग्रामीण आवासों से जुड़ा है. आरोप है कि श्वेता वर्मा के कार्यकाल में कई ऐसे आवासों को कागज़ों में पूर्ण दर्शा दिया गया, जिनका निर्माण वास्तविक रूप से अधूरा था. जांच में सामने आया कि इन अपूर्ण आवासों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल गृह प्रवेश कार्यक्रम में शामिल किया गया. कार्यक्रम के दौरान कागज़ी रिकॉर्ड में यह दर्शाया गया कि लाभार्थी अपने नए घरों में प्रवेश कर चुके हैं. जबकि वास्तविक स्थिति यह थी कि कई मकानों में छत, दरवाजे और खिड़कियां तक नहीं लगी थीं. प्रशासनिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि लक्ष्य पूरा दिखाने के लिए रिकॉर्ड में हेरफेर किया गया.
जनपद CEO के पद से हटाया
जिला पंचायत CEO प्रखर चंद्राकर को जब इस अनियमितता की जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल संज्ञान लिया. प्रारंभिक जांच में गंभीर लापरवाही और नियमों के उल्लंघन की पुष्टि होने के बाद श्वेता वर्मा को जनपद CEO के पद से हटा दिया गया. प्रशासन का मानना है कि इस तरह की चूक से न केवल सरकारी रिकॉर्ड प्रभावित हुआ, बल्कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचा है.
लापरवाही बर्दाश्त नहीं
प्रशासन ने साफ किया है कि गरीबों के लिए बनी योजनाओं में किसी भी तरह की लापरवाही या कागज़ी खेल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. फिलहाल मामले की विस्तृत जांच जारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस अनियमितता में और कौन-कौन अधिकारी या कर्मचारी शामिल थे और कितने लाभार्थियों को इसका नुकसान हुआ.
प्रशासनिक तंत्र को कटघरे में
प्रधानमंत्री आवास योजना में सामने आई इस अनियमितता ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया है. वर्चुअल गृह प्रवेश जैसे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में अधूरे आवासों को शामिल करना सिस्टम की निगरानी पर सवाल खड़े करता है. इस मामले के बाद अन्य जिलों में भी आवास योजना की समीक्षा तेज होने की संभावना है.