गरियाबंद के कलेक्टर आकाश छिकारा ने शिक्षा के क्षेत्र में सफल प्रयोग करने के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में नया प्रयोग किया है. कलेक्टर छिकारा ने इस बार प्रसूताओं के हित में नई योजना शुरु की है. दरअसल, जिले के ट्राईवल ब्लॉक के विषम भौगोलिक परिस्थितियो के कारण प्रसूताओं को समय पर अस्पताल पहुंचने में कठिनाई होती है. यहां के क्षेत्रों में एम्बुलेंस के पहुंचने में काफी समय लगता है. जिसके कारण कई बार प्रसूताओं की जान का खतरा भी बन आता है. इसी समस्या को सुलझाने के लिए गरियाबंद के युवा कलेक्टर आकाश छिकारा ने 'मोर जचकी मोर गाड़ी' योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत आज पहले दिन 12 निजी वाहनों को कलेक्टर की मौजूदगी में सीएमएचओ केसी उराव ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
क्या है "मोर जचकी मोर गाड़ी" योजना
इस योजना के तहत स्थानीय वाहनों को प्रसूता के लिए तत्काल उपलब्ध कराया जाएगा. कलेक्टर आकाश छिकारा ने बताया कि हाई रिस्क श्रेणी के डिलवरी में एंबुलेंस कॉलिंग पर प्रसूता के घर तक जाने में समय लग जाता है, इस परिस्थिति में एक-एक मिनट का समय कीमती होता है. इसीलिए सूचना के बाद तत्काल वाहन पहुंचाने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है.
कलेक्टर ने बताया कि स्थानीय वाहन मालिक जो स्वेच्छा से समाजिक कार्य में सरोकार रखते हैं, ऐसे 100 से भी ज्यादा वाहन मालिकों ने सहमति दी है. इनके नाम, पता व मोबाइल नंबर जिला के सभी स्वास्थ्य कर्मी व मितानिन के पास मौजूद रहेंगे. वाहन मालिकों के लिए इस सेवा के बदले प्रोत्साहन राशि भी निर्धारित की गई है. कलेक्टर छिकारा ने बताया कि योजना के प्रथम चरण में गरियाबंद व मैनपुर को शामिल किया गया है. योजना के दूसरे चरण में दुरस्त ब्लॉक देवभोग व छुरा को शामिल किया जाएगा.
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युवा कलेक्टर पहले भी शिक्षा क्षेत्र में कर चुके हैं सफल प्रयोग
जिले के युवा कलेक्टर आकाश छिकारा आम जन की सुविधा व विकास के लिए नवाचार करते रहे हैं. सोमवार को उन्होंने मोर जचकी मोर गाड़ी योजना की शुरुआत की. इसमें पहले रोजाना सरकारी स्कूल के बच्चे प्रार्थना के बाद अपना विचार अभिव्यक्त करते हैं. इसके लिए बारी-बारी से सभी बच्चों को भीड़ में संबोधन की शैली सिखाई जा रही है और बकायदा प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है.
प्रतियोगिता में ब्लॉक स्तर पर चयनित बच्चों को जिला स्तर के मंच पर प्रस्तुति देने का अवसर दिया गया. कलेक्टर आकाश छिकारा के इस अभियान से बच्चे आत्मनिर्भर होने के अलावा बेबाक और भीड़ में संबोधन की शैली सीख रहे हैं. बच्चे अपनी बात रखने में अब झिझक नहीं रहे हैं. जिला प्रशासन की इस पहल की जमकर सराहना हुई है. अब बस्तर के बीहड़ों में बाइक एंबुलेंस की तर्ज पर निजी वाहनों को जचकी अभियान से जोड़े जाने पर शिशु मातृ मृत्यु दर में कमी आ सकेगी.
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