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This Article is From Oct 02, 2023

Gandhi Jayanti Special: Blood Bank के नाम से क्यों फेमस हुए बीलभद्र यादव? जानें पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद (Gariyaband) में बीलभद्र यादव (Bilbhadra Yadav) 45 के उम्र में 58 बार रक्तदान (Blood donation) किया है. उन्होंने ब्लड बैंक खोलने के लिए अपनी पूरी जिंदगी को भी दांव पर लगा दिया. 

Gandhi Jayanti Special: Blood Bank के नाम से क्यों फेमस हुए बीलभद्र यादव? जानें पूरी कहानी
Bilbhadra Yadav को चलता फिरता बल्ड बैंक के नाम से जानते हैं.
गरियाबंद:

2 अक्टूबर को हर वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Gandhi Jayanti) की जयंती मनाई जाती है. इस बार देश बापू की 154वीं जयंती मना रहा है. ऐसे में आज इस खास मौके पर ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रही हूं. जो आज के दौर में भी गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद (Gariyaband) में बीलभद्र यादव (Bilbhadra Yadav) नाम के इस शख्स ने ब्लड बैंक खुलवाने के लिए अपनी पूरी उम्र न केवल दांव पर लगाया, बल्कि 45 के उम्र में 58 बार रक्तदान (Blood donation) भी किया. गरियाबंद में बीलभद्र यादव को लोग चलता फिरता ब्लड बैंक भी कहते हैं.

 23 साल की उम्र से कर रहे रक्तदान

बता दें कि देवभोग निवासी बीलभद्र यादव राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ही अपने जीवन में भगवान मानते हैं और अपनी दिन की शुरुआत महात्मा गांधी की तस्वीरों की पूजा करके किया करते हैं. बीलभद्र  23 साल की उम्र में पहली बार एक महिला को रक्त दिया था और तब से लेकर आज तक वो 58 बार रक्तदान कर चुके हैं.

देवभोग में ब्लड बैंक खुलवाने के लिए जो मैंने संघर्ष संकल्प लिया और उसके लिए मुझे जीवन दाव पर लगानी पड़ी उसके लिए कोई गम नहीं है, मुझे हमेशा इस बात की खुशी होता है कि मैं किसी के काम आया.
 

बीलभद्र यादव

20 साल बाद देवभोग में खुला ब्लड स्टोरेज यूनिट

दरअसल, जब बीलभद्र  23 साल के थे उस समय गरियाबंद के देवभोग इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव था. इलाके के लोग ओडिशा के अस्पतालों पर निर्भर थे और कई बार खून के अभाव में लोगों को जान भी गवानी पड़ी थी. वहीं साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का आस्तित्व आते ही यादव ने ब्लड बैंक की मांग को लेकर पत्राचार शुरू किया. साथ ही ब्लड बैं  नहीं खुलने तक अविवाहित जीवन जीने का संकल्प लिया. हालांकि उस दौरान कई रिश्ते आए और परिवार का भी दबाव बना, लेकिन वो अपने भीष्म प्रतिज्ञा पर कायम रहे. हालांकि 20 साल बाद देवभोग में ब्लड  स्टोरेज यूनिट खुल गया है.

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स्वच्छता और नशा मुक्ति को लेकर फैलाते हैं जागरूकता

अपनी जवानी को दांव पर लगाने वाले बीलभद्र यादव आज क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. ब्लड बैंक खुलवाने के संघर्ष में इनके साथ 100 से भी ज्यादा युवा जुड़े हुए हैं जो जरूरतमंदों लोगों को तत्काल रक्तदान कर उनके जिंदगी को बचाते हैं. इतना ही नहीं बीलभद्र स्वच्छता और नशा मुक्ति को लेकर भी जागरूकता फैलाते रहते हैं. बता दें कि बीलभद्र यादव को इस संघर्ष और बलिदान के लिए कई बार सम्मानित भी किया गया है. वहीं देवभोग पंचायत के वार्ड 3 से दो बार पंच चुने गए हैं.

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