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साइबर फ्रॉड छोड़िए छत्तीसगढ़ के गांव में खोल दिया पूरा फर्जी SBI बैंक, बेरोजगारों को नौकरियां भी दे डालीं

बैंक ट्रांजेक्शन में फ्रॉड, लेन-देन में धोखाधड़ी, जाली दस्तावेजों से बैंक में ठगी के कई मामले आपने पढ़े, सुनें और देखें होंगे, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो बैंकों में ठगी के अब तक दर्ज प्रकरणों से बिल्कुल जुदा है. किसी फिल्म की तरह अपराधियों ने यहां भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की न सिर्फ फर्जी शाखा खोल दी बल्कि बेरोजगारों को नौकरियां भी बांट दीं

साइबर फ्रॉड छोड़िए छत्तीसगढ़ के गांव में खोल दिया पूरा फर्जी SBI बैंक,  बेरोजगारों को नौकरियां भी दे डालीं

Fraud in Chhattisgarh: आपने फिल्म 'स्पेशल 26' में सुपर स्टार अक्षय कुमार (Akshay Kumar) को फर्जी सीबीआई टीम बना कर बड़े-बड़े कारोबारियों को लूटते देखा होगा कुछ ऐसा ही हुआ है छत्तीसगढ़ में. यहां रील लाइफ से रियल लाइफ में फर्क ये है कि यहां बदमाशों की टीम ने पूरा का पूरा फर्जी बैंक (fake bank) ही खोल दिया वो भी देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) का. यहां किसी फिल्म की तरह अपराधियों ने ठगी की कहानी तैयार की,पात्र और जगह का चयन किया और SBI का ब्रांच खोल दिया. इतना ही नहीं इन अपराधियों ने अपने ब्रांच में फर्जी नियुक्तियां भी दीं और उन्हें ट्रेनिंग भी देनी शुरू कर दी. हालांकि वे अपने मंसूबों को मुकाम तक पहुंचा पाते इससे पहले ही उनकी साजिश का पर्दाफाश हो गया. कहां हुआ ये सब पढ़िए इस रिपोर्ट में. 

सक्ती जिले के इसी गांव में ठगों ने फर्जी SBI का ब्रांच खोला था

सक्ती जिले के इसी गांव में ठगों ने फर्जी SBI का ब्रांच खोला था

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर सक्ती जिले में एक गांव है छपोरा. इस गांव में 10 दिन पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानि कि एसबीआई की नई ब्रांच खुली तो ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. बैंक में खाता खुलवाने, लेन-देन की प्रक्रिया की पूछताछ के लिए ग्रामीण भी पहुंचने लगे. इसी दौरान लोग यहां नौकरी की तलाश में भी पहुंचे. किसी को शक नहीं हुआ क्योंकि बैंक में फर्नीचर, कागजात और कामकाज का तरीका बिल्कुल प्रोफेशल बैंकों की तरह हो रहा था. इस बैंक में छह लोगों को नौकरी भी मिली. सबकुछ सही चल रहा था लेकिन 27 सितंबर को जो पूछताछ हुई उससे यहां नौकरी पाने वाले लोग सकते में आ गए क्योंकि वो पूछताछ करने पुलिस के साथ-साथ SBI के आला अधिकारी भी आए थे. इसी बीच बैंक का फर्जी मैनेजर यानी मास्टरमांड और अधिकारी-कर्मचारी सब फरार हो गए और पीछे छोड़ गए फर्जी नौकरी पाने वालों के साथ हुई लाखों की धोखाधड़ी.   

दरअसल छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसी वारदात सामने आई थी. वारदात की अब तक सामने आई कथा-पटकथा ने कई सवाल खड़े कर दिए. इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए NDTV ने अपनी पड़ताल शुरू की तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. 

सवाल-  फर्जीवाड़े पर शक़ कैसे हुआ?

मामले की शिकायत सबसे पहले ग्रामीण अजय कुमार अग्रवाल ने की. उन्होंने बताया कि मैंने छपोरा लोकेशन में एसबीआई कियोस्क के लिए एप्लाई किया था.इसी बीच मुझे पता चला कि छपोरा में रातों-रात एसबीआई का ब्रांच खुल गया है. अपना नजदीकी ब्रांच डबरा है इसलिए मुझे डाउट हुआ कि रातों रात एसबीआई का ब्रांच कैसे खुल सकता है? इसके बाद मैंने डबरा ब्रांच मैनेजर को इसकी जानकारी दी. इसके बाद वे खुद मौके पर आए और यहां के कर्मचारियों से बात की फर्जीवाड़े का पता चला. यहां के बोर्ड पर ब्रांच का कोई कोड नहीं लिखा था. 

छपोरा गांव के इसी कॉम्पलेक्स में ठगों ने SBI की फर्जी शाखा खोल दी थी

छपोरा गांव के इसी कॉम्पलेक्स में ठगों ने SBI की फर्जी शाखा खोल दी थी
Photo Credit: निलेश त्रिपाठी

सवाल- स्पेशल-6 की नियुक्ति कैसे हुई. 

अपराधियों ने जिन लोगों को  फर्जी नौकरियां दीं थी हमने उनसे भी बात की. उसी में से एक ज्योति यादव ने बताया कि वे लोग छपोरा बैंक में ले गए थे. जहां उससे डॉक्यूमेंट जमा कराए गए और बायोमैट्रिक प्रिंट भी तैयार हुआ. इसके बाद आपका ज्वाइनिंग हो गया. उन लोगों ने कहा था 30 हजार रुपये सैलरी देंगे. इसके बाद मुझसे ऑनलाइन फॉर्म भरवाया गया. कुछ दिनों बाद मेरे पास जॉब का ऑफर लेटर भी आ गया. इसी तरह दूसरी कथित कर्मचारी संगीता ने भी अपनी आपबीती हमसे बताई. उन्हें 13 अक्तूबर को ज्वाइन करने के लिए बुलाया गया था.  

इधर अब तक की पड़ताल में हमें पता चल गया था कि ठगों का पहला निशाना बेरोजगार थे. छपोरा के फर्जी बैंक शाखा में कोरबा जिले के उरगा की की रहने वाली ज्योति, संगीता की तरह ही कोरबा के रामपुर के रहने वाले परमेश्वर राठौर, बालोद जिले के बुधनपुर के जयश देशमुख, सक्ती जिले की रोहिणी साहू और कबीरधाम जिले के पिंटू धुर्वे को फर्जी नियुक्ति पत्र नौकरी के लिए भेजा जा चुका था.

पुलिस जांच में पिंटू धुर्वे ने नौकरी के एवज में छह लाख रुपये देने की बात कही है. ऐसे में सवाल है कि क्या सबसे इतनी ही रकम वसूली गई.संगीता बताती हैं उनसे ढाई लाख रुपये और ज्योति यादव से 2 लाख रुपये लिए गए.

हालांकि उन  लोगों ने पांच लाख की डिमांड की थी. इसके लिए किसी ने गहने गिरवी रखे तो किसी ने लोन लेकर पैसे का इंतजाम किया. 

ठगों ने फर्जी ज्वाइनिंग लेटर भी बेरोजगारों को जारी कर दिए और उनसे पैसे ऐंठ लिए

ठगों ने फर्जी ज्वाइनिंग लेटर भी बेरोजगारों को जारी कर दिए और उनसे पैसे ऐंठ लिए
Photo Credit: निलेश त्रिपाठी

दरअसल बैंक में कैशियर, कम्प्युटर ऑपरेटर, मैनेजर से लेकर प्यून तक की नौकरी दी गई थी, इसके लिए बकायदा ऑफर और ज्वाइनिंग लेटर भी दिया गया. हर किसी से ठगों ने डिमांड लगभग एक जैसी की थी लेकिन सौदा अलग-अलग दर में तय हुआ. अब सवाल उठता है कि बेरोजगार ठगों के संपर्क में आए कैसे?
इसका जवाब दिया कथित कर्मचारी रोहिणी साहू ने. उन्होंने बताया कि उनके एक मुंहबोले भाई ने 15 दिन पहले उनसे पूछा था कि कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब करेगी. मैंने हां में जवाब दिया तो उसने बताया कि छपोरा में SBI का नया ब्रांच खुला है. वहां जॉब है. इसी के बाद नौकरी के लिए पैसे के लेन-देन की बात हुई. संगीता, ज्योति, रोहिणी की तरह ही परमेश्वर, जयश और पिंटू ने भी पुलिस को दिए बयान में कहा है कि उन्होंने अपने परिचितों से नौकरी के संबंध में चर्चा की थी और उन्हीं ने पिछले एक महीने में उन्हें छपोरा में एसबीआई के नए ब्रांच में वैकेंसी की जानकारी दी. पुलिस ने अब तक एफआईआर में जिन नामों को दर्ज किया है, उनमें रेखा साहू, मंधीर दास और पंकज हैं.

पंकज ने खुद को एसबीआई की नई छपोरा शाखा का मैनेजर बताया था. हालांकि पुलिस पड़ताल में कई और नाम भी आए हैं, जिन्हें केन्द्र में रखकर पुलिस जांच कर रही है.

इलाके के थाना प्रभारी राजेश पटेल के मुताबिक अब तक जांच में पता चला है कि आरोपियों का एक दूसरे से संबंध है. 
पड़ताल और बातचीत में हमें पता चला कि फर्जी ब्रांच में जितने भी लोगों को नियुक्ति दी गई, सबको ट्रेनिंग के लिए छपोरा भेजा गया था, उनसे कहा गया था कि ट्रेनिंग के बाद अलग-अलग जगहों पर उन्हें भेजा जाएगा.स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का फर्जी ब्रांच खोलकर किस स्तर की जालसाजी की तैयारी थी, धोखाधड़ी करने वाले कौन लोग हैं, उनका नेटवर्क कितना बड़ा है, क्या वे पकड़े जाएंगे, पकड़े जाएंगे तो कब पकड़े जाएंगे, इन सवालों का जवाब भविष्य की गर्भ में है, लेकिन जो लोग नौकरी के लिए चक्कर काट रहे थे, वे अब थानों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं.

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