छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल में बीते कुछ वर्षों से हाथियों का आतंक देखने को मिल रहा है. वन मंडल के आस पास के गांवों में किसानों की धान की फसल को हाथियों ने काफी नुकसान पहुंचाया है. हाथियों के उत्पात से परेशान किसानों ने प्रशासन को आवेदन लिखकर इसकी जानकारी दी. साथ ही हाथियों को मरवाही सीमा से बाहर निकालने का भी अल्टीमेटम दिया है.
दरअसल, हाथियों का झुंड मरवाही वन मंडल के दर्जन भर गांवों में लगातार नुकसान पहुंचा रहा है. पहले ये हाथी रात के अंधेरे में कुछ घरों व फसलों को नुकसान पहुंचाते थे, लेकिन इन दिनों पांच हाथियों का दल दिन में भी ग्रामीणों के घरों व फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वहीं ग्रामीण फसलों की सुरक्षा में अपना जान जोखिम में डालकर हाथियों को खदेड़ने में लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद इसका कोई स्थाई हल नहीं निकल रहा है.
आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रशासन को दिया 2 दिन का अल्टीमेटम
हाथियों के उत्पात से परेशान ग्रामीणों ने प्रशासन को आवेदन लिखकर इसकी जानकारी दी थी, लेकिन अब तक विभाग द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने हाथियों को मरवाही सीमा से बाहर निकालने के लिए प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है.
स्थाई हल निकालने के लिए प्रशासन ने ग्रामीणों को किया आश्वस्त
ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन इसका स्थाई हल निकाले.अन्यथा ग्रामीण सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. हालांकि इस बीच शुक्रवार की देर शाम हाथी प्रभावित गांव चिचगोहना में एक बैठक रखी गई. इस बैठक में हाथी प्रभावित दर्जनों गांव के लोग शामिल हुए. बैठक के दौरान वन विभाग की व्यवस्था और लापरवाही से नाराज ग्रामीणों ने इस पर चर्चा की. इतना ही नहीं प्रशासन द्वारा इसका स्थाई हल नहीं निकालने पर ग्रामीण सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने की भी बात कही. वहीं इस बैठक में वनमंडलाधिकारी भी शामिल हुए और ग्रामीणों और हाथियों की सुरक्षा को लेकर स्थाई हल निकालने के लिए ग्रामीणों को आश्वस्त किया.
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ग्रामीणों के साथ हाथी भी हो सुरक्षित: वनमंडलाधिकारी
मरवाही मंडल के वनमंडलाधिकारी शिशिर कुमार ने बताया कि वन विभाग तैयारी में जूटी हुई कि ग्रामीणों के जान माल की सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों से समन्वय बनाकर हाथी को सुरक्षित जंगल में ही रखा जाए. ग्रामीण और वनवासी दोनों ही सुरक्षित रहे यह हमारी जिम्मेदारी है. ग्रामीण हाथी के नजदीक न पहुंचे इस पर वन विभाग का निचला अमला काम कर रहा है.
वनमंडलाधिकारी शिशिर कुमार ने बताया कि ग्रामीणों का आक्रोश भी जायज है. हाथी अपने स्थाई रहवास को तलाशते हुए जो नुकसान कर रहा है, उसका मुआवजा स्थाई हल नहीं है, बल्कि उन्हें हमेशा जान माल का खतरा बना हुआ होता है वो चिंता का मुख्य कारण है.