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Elephant attacks in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के नरसिंहपुर में बीते दिन जंगली हाथी (Wild Elephant)के द्वारा कुचलने से एक बुजुर्ग की मौत हो गई. वो बुजुर्ग अपने रिश्तेदार के यहां होली मनाने आया था. अब बलरामपुर जिले के दर्जनों गांवों में दहशत का माहौल है. हाथियों ने यहां कई एकड़ में खड़ी फसल को भी तबाह कर दिया है. इस जिले में बीते दो महीने से करीब 30-35 जंगली हाथी उत्पात मचा रहे हैं. दरअसल पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में जंगली हाथियों ने कोहराम मचा रखा है. राज्य के वन विभाग (Forest Department) के पास जो ताजा डाटा मौजूद है उसके मुताबिक अकेले साल 2022 में हाथियों के हमले (Elephant attacks)में 296 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य के सरगुजा,जशपुर,रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर,अंबिकापुर और बलरामपुर (Surguja, Jashpur, Raigarh, Korba, Surajpur, Ambikapur and Balrampur.) में हाथियों का आतंक चरम पर है. इससे पहले हाथियों के हमले में इसी साल जशपुर में एक महिला की मौत हो गई थी. इसके अलावा फरवरी महीने में ही 10 दिनों तक हाथियों ने बलरामपुर में इतना उत्पात मचाया कि पांच स्कूलों को कई दिनों के लिए बंद करना पड़ा.फरवरी में ही बलरामपुर के वाड्रफनगर में हाथियों ने 10 दिनों तक तोड़फोड़ मचाई.
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अगर देखा जाए तो हाथियों के आतंक की बढ़ती घटनाओं के पीछे बड़ी वजह घटते जंगल और उनकी बढ़ती संख्या है. साल 2002 में राज्य में जगंली हाथियों की संख्या महज 32 थी जो अब बढ़कर 350 से 400 के बीच पहुंच चुकी है.
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राज्य सरकार के वन विभाग के पास फिलहाल 2022 का ही डाटा मौजूद है. जाहिर है 2024 तक हालात और बिगड़े ही है. राज्य में हाथियों का आतंक इस कदर है कि साल 2018 में ही सरकार ने इससे निपटने के लिए आकाशवाणी से बाकयदा 'हाथी समाचार' का प्रसारण भी शुरू किया.
देखा जाए तो गुस्सैल हाथियों की समस्या से केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि झारखंड, ओडिशा, केरल, असम, बिहार समेत 14 राज्य परेशान हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ते टकराव की मुख्य वजह है घटते जंगल और इनकी वजह से हाथियों को होने वाली खाने की समस्या. इसके अलावा पानी की कमी भी उनके लिए बड़ी समस्या है. भोजन-पानी समाप्त होने की वजह से हाथी विकल्प की तलाश में इंसानी बस्तियों की ओर रूख कर रहे हैं. WWF की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में फिलहाल 50 हजार हाथी बचे हैं उनमें से भी 60 फीसदी भारत में हैं. देश के 14 राज्यों में 32 स्थान हाथियों के लिए संरक्षित हैं. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ही पूरे देश में पिछले साल हाथियों के हमले में 605 लोगों की मौत हो चुकी है और ये संख्या हर बीतते साल के साथ बढ़ती जा रही है. ऐसे में जरूरी है गजराज की सुरक्षा के साथ-साथ इंसानों की सुरक्षा के लिए भी तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं.
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