
E Sakshya App के बाद से शायद कानूनी प्रकिया से जुड़े साबूतों में छेड़छाड़ कम हो पाएगी. E Sakshya छत्तीसगढ़ पुलिस की सरकार के नेतृत्व में एक पहल है, जिससे कानूनी विवेचना को मजबूती दी जा सके. बदलती दुनिया के साथ पुलिस के काम-काज के तरीकों में तकनीकी बदलाव देखने को मिल रहा है. जटिल चीजों को आसान किया जा रहा है. ताकि किसी भी केस को प्रभावित न किया जा सके. पारदर्शिता स्थापित हो. कुछ इसी तरह होने वाला है E Sakshya की नई प्रणाली में...
बलौदा बाजार जिले में ई-साक्ष्य को लेकर पुलिस अधिकारियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया. नए आपराधिक कानून बीएनएस और बीएनएसएस के तहत 1 मई से अब विवेचकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है कि वे जांच के दौरान घटनास्थल से ही वीडियो साक्ष्य ई-साक्ष्य प्लेटफॉर्म पर अपलोड करें.
इसी दिशा में जिले के कुल 128 विवेचना अधिकारियों को चरणबद्ध प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें अंतिम दिन भाटापारा संभाग के 49 अधिकारियों को ई-साक्ष्य के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी गई.
'ई-साक्ष्य अब विवेचना का अभिन्न हिस्सा'
बता दें, टेक्नोलॉजी में कमज़ोर प्रधान आरक्षकों और वरिष्ठ आरक्षकों को तकनीकी रूप से मजबूत साथियों ने 'बडी फेयर' के रूप में प्रशिक्षण में सहयोग किया. पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने इस दौरान कहा कि विवेचकों को लगातार सीखते रहना होगा क्योंकि ई-साक्ष्य अब विवेचना का अभिन्न हिस्सा बन चुका है.
रिफ्रेशर और क्रैश कोर्स संचालित होंगे
ई साक्ष्य (E-Evidence) क्या है? तो बता दें, इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध साबूत या डेटा, जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, ईमेल, सोशल मीडिया या डिटल गेजेट्स में मौजूद सामग्री ई साक्ष्य कहलाती हैं. इनका इस्तेमाल कानूनी और अपराधिक गितविधियों के विवेचना के लिए किया जा सकता है.
प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि जल्द ही रिफ्रेशर और क्रैश कोर्स भी संचालित किए जाएंगे. एसपी भावना गुप्ता ने कहा कि आने वाले समय में जब केस ट्रायल की स्थिति में पहुंचेंगे, तब इस डिजिटल प्रणाली का प्रभाव स्पष्ट रूप से नजर आएगा. राज्य में ई साक्ष्य पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने के मामले में बड़ौदा बाजार जिलों को मॉडल जिला बनना है. इसके लिए काम करें. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि ई साक्ष्य जिसको समझ नहीं आ रहा है वे हर दिन चल रहे 11 से 2 तक की ट्रेनिंग प्रोग्राम में जुड़ सकते हैं और जो समस्याएं हैं उसका वहां से समाधान निकाल सकते हैं.
पेन ड्राइव की परेशानी अब खत्म होगी
पूर्व में न्यायालय में पेन ड्राइव से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्रस्तुत किए जाते थे, जिससे तकनीकी बाधाओं और खर्च की समस्या आती थी. लेकिन अब ई-साक्ष्य को सीधे क्लाउड पर अपलोड करने से कोर्ट में डिजिटल माध्यम से ही साक्ष्य देखे जा सकेंगे. इससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल होगी.
सभी थानो को मिला टैब, तैयार हुआ ई-साक्ष्य रजिस्टर
ई-साक्ष्य प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी थानों को टैबलेट प्रदान किए गए हैं, जिससे जिन अधिकारियों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है, वे भी इसका उपयोग कर सकें. साथ ही, जिले के हर थाने में ई-साक्ष्य रजिस्टर तैयार कर लिया गया. और सभी विवेचकों को ई-साक्ष्य आईडी आवंटित की जा चुकी है.
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महिला अपराध व आबकारी मामलों पर विशेष ध्यान
प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि महिला अपराध के मामलों में पीड़िता का बयान रिकॉर्ड कर उसे ई-साक्ष्य में अपलोड करना अनिवार्य होगा. वहीं, आबकारी मामलों में भी विशेष सतर्कता के साथ कार्रवाई का वीडियो साक्ष्य अपलोड किया जाना चाहिए. बिना वीडियो कार्रवाई करने की स्थिति में भी उसका विवरण बाद में ई-साक्ष्य ऐप पर डालना आवश्यक होगा.
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