Subsidy Loan Fraud Case: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सब्सिडी लोन के नाम पर धोखाधड़ी के शिकार उन किसानों की प्राथमिकी आईजी के दखल के बाद दर्ज कर ली गई है, जो एफआईआर दर्ज कराने के एवज में पैसे देकर थाना प्रभारी के धोखे के शिकार हुए थे. पीड़ितों से मामले में FIR दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी द्वारा 52 हजार रुपए की वसूले गए थे.
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सब्सिडी लोन के नाम पर कुल 166 किसानों के साथ की गई धोखाधड़ी
मामला जिले के धमधा का है, जहां सब्सिडी लोन के नाम पर कुल 166 किसानों के धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. आरोप हैं कि एक निजी बैंक कर्मचारी की मदद से एक एजेंट ने किसानों को पशुपालन/डेयरी योजना के तहत 40 फीसदी सब्सिडी दिलाने के नाम पर निजी लोन दिला दिया था.
FIR दर्ज करने के एवज मेंथाना प्रभारी ने किसानों से वसूले 52 हजार
अपने साथ हुए धोखेधड़ी की शिकायत लेकर जब पीड़ित किसान थाने पहुंचे तो आरोप है कि धमधा थाना प्रभारी ने FIR दर्ज करने के एवज में पीड़ित किसानों से 52 हजार रुपए वसूल लिए, लेकिन फिर भी पीड़ितों की शिकायत दर्ज नहीं की. हारकर किसान IG ऑफिस पहुंचे, तब जाकर सोमवार देर शाम धोखाधड़ी को लेकर आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज किए गए.
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एजेंट ने पीड़ित किसानों को सब्सिडी लोन की जगह निजी लोन दिलाया
गौरतलब है धमधा क्षेत्र के कुल 166 किसानों को साल 2024 में पशुपालन लोन के नाम पर ठगा गया था. किसानों ने बैंक कर्मचारी विकास सोनी और बैंक एजेंट मधु पटेल पर आरोप लगाया है कि दोनों ने मिलकर सब्सिडी लोन धोखाधड़ी की साजिश रची थी, लेकिन सब्सिडी लोन की जगह उन्हें निजी लोन दिला दिया गया था.
सिक्योरिटी चार्ज के नाम पर किसानों से तीन-तीन ब्लैंक चेक ले लिए गए
पीड़ित किसानों ने बताया कि उन्होंने भरोसा करते हुए निजी बैंक से 5–10 लाख रुपए तक का लोन लिया था और बदले में आरोपियों ने लोन दिलाने के नाम पर उनसे 10 फीसदी पैसा कमीशन ले लिए. वहीं, बीमा के नाम पर उनके अकाउंट से 50 हजार रुपए भी ले लिए. इतना ही नहीं, सिक्योरिटी चार्ज के नाम पर किसानों से तीन-तीन ब्लैंक चेक भी लिए गए.
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बैंक से नोटिस मिला, तो पीड़ित किसानों के पैरों तले जमीन खिसक गई
रिपोर्ट कहती है कि किसानों को धोखे का एहसास तब हुआ, जब HDFC बैंक से ऋण चुकाने का नोटिस मिला. बैंक कर्मचारी और एजेंट्स के मुताबिक किसानों को सब्सिडी के बाद की राशि 5 साल बाद चुकानी थी, लेकिन बैंक ने 6 महीने के अंदर ही नोटिस भेज दिया, यह देखकर किसानों के पैरों तले जमीन खिसक गई.
आरोपियों ने बैंक ऋण प्रक्रिया पूरी की, किसानों को बैंक जाने से रोका गया
किसानों ने बताया कि दोनों आरोपियों ने ही बैंक में उनके खाते खुलवाए और ऋण प्रक्रिया पूरी की, लेकिन उन्हें बैंक जाने से रोका गया. कई किसानों के घर जाकर ही उन्होंने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए. पूरे मामले में किसानों ने सितंबर 2024 में ही एसपी और आईजी से शिकायत की थी, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन मिला.
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धमधा थाना प्रभारी ने आरोपियों पर FIR दर्ज करने के एवज में मांगे पैसे
किसानों के मुताबिक वो लगातार धमधा थाना प्रभारी से न्याय की गुहार लगाते रहे, लेकिन दो महीने पहले थाना प्रभारी ने FIR दर्ज करने के एवज में 52 हजार रुपए मांगे. किसानों ने आपस में पैसे इकट्ठा थाना प्रभारी को इस उम्मीद में 52 हजार रुपए दिए कि उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन थाना प्रभारी ने पैसे लेने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज नहीं किए.
IG ने एसपी दुर्ग को सौंपी जांच, आरोपियों पर जीरो में दर्ज हुआ FIR
किसानों ने IG रामगोपाल गर्ग को लिखे पत्र में थाना प्रभारी द्वारा FIR के बदले पैसे लेने का आरोप लगाया, लेकिन रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पीड़ित किसानों को ही धमकाने लगे. मामले को गंभीरता से लेते हुए IG ने एसपी दुर्ग को जांच के निर्देश दिए, जिसके बाद पुलगांव थाना में आरोपियों के खिलाफ जीरो में FIR दर्ज किया गया.
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एडिशनल एसपी बोले, आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए रवाना हुई टीम
एडिशनल एसपी अभिषेक झा ने बताया कि FIR दर्ज होने के बाद तत्काल आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम रवाना की गई है. वहीं, थाना प्रभारी द्वारा लिए गए पैसों के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच समिति गठित की जाएगी और एसपी के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.