
Arpa river existence in danger: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर (Bilaspur) जिले की जीवन दायिनी अंत:सलिला अरपा नदी (Arpa River) का अस्तित्व खतरे में है. एक ओर जहां शहर की गंदगी और नाले का पानी अरपा को प्रदूषित कर रही है, वहीं दूसरी ओर अरपा के उद्गम स्थल की जमीन पर निर्माण होने से नदी का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है और नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर हैं.
रेत माफियाओं के उत्खनन से खतरे में अरपा नदी
दरअसल, एक समय में अरपा नदी में सालों पानी भरा करती थी, लेकिन आज ये सूखा पड़ा हुआ है. इसमें प्रवाह होने के लिए पानी नहीं है. बदलते मौसम चक्र, दूषित जलवायु, बढ़ते प्रदूषण, रेत माफियाओं के द्वारा उत्खनन, नदी में हो रही गंदगी, मल-मूत्र, शहरों कस्बों के गंदे पानी का इसमें मिलना, प्रदूषित जल और अन्य ऐसे कई कारक हैं जो अरपा को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर कर रहा है.
पानी नहीं रहने से किसान नहीं कर पा रहे हैं खेती
जहां एक ओर नदी में पानी नहीं है तो वहीं दूसरी ओर इसमें लगातार रेत उत्खनन हो रही है, जिसके चलते इसके स्वरूप बिगड़ गया है.. ये वही अरपा नदी है जो कभी कल-कल, छल-छल सालोभर बहती थी, जिससे पीने का जल भी मिला करता था. इतना ही नहीं जिले के हजारों किसान खेती के लिए अरपा पर आश्रित थे. आज वो किसान पानी की कमी के कारण खेती नहीं कर पा रहे हैं.
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प्रशासन की लापरवाही से बदहाल हुई अरपा नदी
किसी ना किसी तरह से लगातार नदी का दोहन हो रहा है, जिसके चलते नदी का जल स्तर तो घटा ही है. साथ ही पानी भी दूषित हो गया है. जो शहर के विकास के साथ अरपा के सामने गंभीर समस्या के रूप में उभरी है. बता दें कि अविभाजित मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बन जाने के बाद भी सरकार की ओर से इसके उत्थान के लिए गंभीरता से नहीं लिया गया. इतना ही नहीं दोहन से बचाने के लिए प्रशासन ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया.
आज ना केवल बिलासपुर शहर, बल्कि पूरा जिला अरपा नदी के स्वच्छ पानी के लिए तरस रही है. शहर का गंदा पानी नालियों के माध्यम से अरपा नदी में बहाया जा रहा है. हालांकि इसे रोकने के लिए ना तो जिला प्रशासन की ओर से और ना ही नगर निगम इस पर ध्यान दे रही है.
हालांकि NDTV की टीम ने अरपा नदी को स्वच्छ करने की पहल पर नगर निगम आयुक्त कुणाल दूदावत से बात करने की कोशिश की, लेकिन वो सवालों के जवाब देने से बचते नजर आए.
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