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PM Awas Yojana : मृत व्यक्ति के नाम पर निकाली गई पीएम आवास की राशि, झोपड़ियों में हो रहा लोगों का गुजर-बसर

Corruption in PM Awas Yojana :  प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) में कैसे भ्रष्टाचार किया जा रहा है. ये जानकर आप भी हैरान हो सकते हैं. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक मृत व्यक्ति के नाम पर पीएम आवास योजना की राशि निकाल ली गई है.

PM Awas Yojana : मृत व्यक्ति के नाम पर निकाली गई पीएम आवास की राशि, झोपड़ियों में हो रहा लोगों का गुजर-बसर
PM Awas Yojana: पीएम आवास योजना में बिलासपुर में बड़े पैमाने पर हो रहा भ्रष्टाचार, टूटी झोपड़ी में कट रही जिंदगी.

PM Awas Yojana News : प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को पक्का मकान दिलाने की मंशा पर भ्रष्टाचार ( Corruption) भारी पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) जिले के मस्तूरी जनपद की ग्राम पंचायत कर्रा में इस योजना में भारी गड़बड़ी सामने आई है, जहां एक मृत व्यक्ति के नाम पर तीनों किस्तों का भुगतान निकाल लिया गया, लेकिन मकान जमीन पर आज तक नहीं बना.

रूप सिंह धनवार, जिनका नाम वर्ष 2016-17 में पीएम आवास योजना के लाभार्थियों में शामिल किया गया था, उनकी मौत तीन साल पहले हो चुकी है. इसके बावजूद वर्ष 2024-25 में योजना की तीनों किस्त निकाल ली गईं. हैरानी की बात यह है कि न तो मृतक के परिवार को इसकी जानकारी थी और न ही किसी अधिकारी को भनक लगी.

भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद

इन भ्रष्टाचारियों के हौसले इतने बुलंद हैं .. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक मृत व्यक्ति के नाम पर आवास के तीनों किस्तों का आहरण कर लिया जाता है और इस बात की भनक न तो मृतक के परिवार को होती है और न ही किसी अधिकारी को... अब ये सवाल बैंक प्रबंधन की कार्यशैली पर भी उठाना लाजमी है.

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री आवास योजना जिसके तहत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को शासन के द्वारा 1 लाख 20 हजार रुपए तीन किस्तों में दिया जाता है. लेकिन इस योजना में किस तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है. 

पक्के मकान की उम्मीद में अपने कच्चे मकान तोड़ दिए

ग्राम पंचायत कर्रा में रूप सिंह धनवार ही नहीं, बल्कि शिव कुमार संतराम, गीता बाई, कुमारी बाई जैसे कई ग्रामीण ऐसे हैं जिनके नाम से पैसे आहरित कर लिए गए, लेकिन उनके घर आज भी कच्चे और झोपड़ी जैसे हालात में हैं. कई परिवारों ने पक्के मकान की उम्मीद में अपने कच्चे मकान तोड़ दिए, लेकिन उन्हें सिर्फ झूठा आश्वासन मिला.

हितग्राही बताते हैं कि रोजगार सहायक उनसे अंगूठा तो लगवाता है लेकिन यह नहीं बताता कि किस दस्तावेज़ पर और किस काम के लिए. अंजोरा बाई और गीता बाई जैसी पीड़ित महिलाओं ने बताया कि उन्हें आज तक किसी किश्त की जानकारी नहीं दी गई.

अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई- टीकम कौशिक

ग्राम के सरपंच प्रतिनिधि टीकम कौशिक ने बताया कि इस पूरे भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों ने कलेक्टर संजय अग्रवाल, जिला सीईओ संदीप अग्रवाल और जनपद सीईओ मस्तूरी से की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. NDTV की टीम जब मौके पर पहुंची, तो वहां सिर्फ टूटे आशियाने और टूटी उम्मीदें नजर आईं.

अब आगे क्या?

कलेक्टर संजय अग्रवाल से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने धीमे स्वर में जांच की बात जरूर कही, लेकिन ग्रामीणों को अभी भी न्याय की आस है. वहीं, बैंक से बिना दस्तखत पैसे कैसे निकले,यह सवाल अब बैंकिंग व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है.

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