अंबिकापुर रेलवे स्टेशन में शुक्रवार को जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा द्वारा छत्तीसगढ़ में रेल गाड़ियों के सफर में बढ़ रही समस्याओं के लिए ट्रेन रोक कर विरोध प्रदर्शन किया गया. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा रेल किराया वृद्धि, रेल सुविधाओं में गिरावट और ट्रेनों की कटौती करने के विरोध में देश की राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया. प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और रेलवे पुलिस व स्थानीय पुलिस के बीच विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने समय रहते मामला शांत करा दिया. इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अंबिकापुर से मनेंद्रगढ़ की ओर चलने वाली पैसेंजर ट्रेन को रोक कर जमकर नारेबाजी की.
मोदी सरकार रेलवे को निजी हांथों में सौंपना चाहती है
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि वर्षों से भारतीय रेल आम जनता का भरोसेमंद, सस्ता एवं सुलभ परिवहन का पर्याय हुआ करता था. मोदी सरकार इसकी विश्वसनीयता को खत्म करते हुए निरंतर ऐसे साजिशों में जुटी हुई है जिससे रेलवे को घाटे में लाकर इसे निजी हाथों में सौंप दिया जाए. इसकी एक बानगी छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रही है, जहां विगत 3 वर्षों से 67382 सवारी रेलगाडियों के फेरों को मेनेटेनेंस के नाम पर अनायास बंद किया गया, जबकि इसी दौरान मालगाडियां धडल्ले से दौड़ती रही हैं.
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परिवहन के सस्ते और सुलभ माध्यम से वंचित हो रही है जनता
जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सवारी रेल गाडियों के 200 स्टॉपेज समाप्त किए गए. प्लेटफार्म टिकट की कीमतों में बेतहाशा बढोत्तरी किया गया. स्पेशल गाडियों के नाम पर आज भी छत्तीसगढ़ के रेल यात्रियों से अधिक किराया वसूला जा रहा है. बुजुर्गों एवं विद्यार्थियों को टिकट में मिलने वाली छूट को समाप्त किया गया है. रेलवे के द्वारा किए जा रहे इन अन्यायपूर्ण कार्यों के कारण छत्तीसगढ़ के रेल यात्रियों को लगातार परिवहन के इस सस्ते और सुलभ माध्यम से वंचित होना पड़ रहा है. पूर्व निर्धारित यात्राओं पर प्रभाव पड़ रहा है. यात्रियों पर अधिक आर्थिक भार पड़ रहा है.
राकेश गुप्ता ने आगे कहा कि देश व प्रदेश की जनता ने मोदी सरकार को इस विश्वास के साथ चुना है कि वो देश व जनता के कल्याण के लिए काम करेगी, लेकिन मोदी सरकार लगातार आम जनता की उपेक्षा कर निजी हितों के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ राज्य आदिवासी जनजाति बहुल राज्य है. प्रदेश की बड़ी आबादी कम आयवर्ग की है. ऐसे में रेलवे विभाग के ये कदम जनहितकारी नहीं हैं.
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