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कैसे बड़ी हो रही बप्पा की प्रतिमा ? आज तक नहीं सुलझा इस गणेश मंदिर का रहस्य

Chhattisgarh Ganesh Temple : सैकड़ो वर्ष पुराने इस मंदिर की कहानियां और इनसे जुड़े चमत्कार बड़े ही रोचक है. कहते है कि यहाँ मन्नत मांगने वाले भक्तों को भगवान श्री गणेश निराश नहीं करते. निःसंतान दम्पप्ति हो या अन्य कोई भक्त, छोटी सी सूंड के साथ विराजमान भगावन श्री गणेश सभी की मनोकामना पूरी करते हैं.

कैसे बड़ी हो रही बप्पा की प्रतिमा ? आज तक नहीं सुलझा इस गणेश मंदिर का रहस्य
कैसे बड़ी हो रही बप्पा की प्रतिमा ? आज तक नहीं सुलझा इस गणेश मंदिर का रहस्य

Ganesh Chaturthi Special :  देश भर में भगवान गणेश के कई मंदिर है. उन मंदिरों की अपनी अलग मान्यता व कहानियां है. छत्तीसगढ़ के कांकेर में भी एक ऐसा गणेश मंदिर है जो अपनी चमत्कारी मान्यताओं के लिए मशहूर है. भानुप्रतापपुर के संबलपुर गांव का श्री गणेश मंदिर भी उन मंदिरों में से एक है, जो भगवान गणेश की देश में 5 जीवंत प्रतिमाओं में से एक है. सैकड़ो वर्ष पुराने इस मंदिर की कहानियां और इनसे जुड़े चमत्कार बड़े ही रोचक है. कहते है कि यहाँ मन्नत मांगने वाले भक्तों को भगवान श्री गणेश निराश नहीं करते. निःसंतान दम्पप्ति हो या अन्य कोई भक्त, छोटी सी सूंड के साथ विराजमान भगावन श्री गणेश सभी की मनोकामना पूरी करते हैं.

जानिए इस गणेश मंदिर से जुड़ी रोचक कहानी

कहा जाता है कि पहली बार भगवान गणेश की प्रतिमा संबलपुर गांव से कुछ दूरी पर बसे गांव, गढ़बाँसला में देखी गई थी. गढ़बाँसला वही जगह है, जिसे उस दौर के कंडरा राजा की राजधानी कहा जाता था. ये स्थान विभिन्न देवी देवताओं का निवास स्थान है. यहाँ वर्तमान में माँ शीतला माता और माँ दंतेश्वरी का मंदिर भी है. यही बने एक तालाब में भगावन गणेश तैरते नजर आए थे.

एक के बाद एक टूटते गए बैलगाड़ी के पहिये

इस मंदिर की कहानी बड़ी ही रोचक है. मंदिर के पुजारी लाल बहादुर मिश्रा व ने स्थानीय लोगो ने बताते है कि गढ़बाँसला के तालाब में तैरता देकर इसे संबलपुर में लाने की तैयारी की गई. उस दौर में प्रतिमा छोटी थी. लेकिन भगवान श्री गणेश का भार एक आम इंसान के बस में नहीं था. बैलगाड़ी मंगवाकर बड़ी मशक्कत कर लेजाने का प्रयास किया गया. थोड़ी दूर बढ़ने के बाद बैलगाड़ी के पहिए टूट गए. लोगों ने दूसरी बैलगाड़ी मंगवाई और फिर से एक बार लेजाने का प्रयास किया. हुआ वही जो पहले हुआ था, इस बार भी बैलगाड़ी के पहिए टूट गए. 7 किलोमीटर की इस दूरी में भगवान श्री गणेश ने अपने भक्तों की खूब परीक्षा ली और एक के बाद एक बैलगाड़ी के पहिये टूटते चले गए. इस तरह लगभग 12 बैलगाड़ी के पहिए टूट गए. अंतिम बैलगाड़ी का पहिया संबलपुर के एक स्थान पर जाकर टूट गया. जहाँ से भगवान की प्रतिमा को कोई हिला नहीं सका, मूर्ति वहीं, स्थापित हो गई.

और फिर वहीं पर स्थापित हो गया मंदिर

स्थानीय बताते है कि भगवान श्री गणेश की मूर्ति, अंतिम बैलगाड़ी के पहिये टूटने के बाद से जिस स्थान पर स्थापित हुई है.... आज भी उसी स्थान पर स्थापित है. आज तक उन्हें कोई हिला नहीं सका. भगवान श्री गणेश जमीन तल में स्थापित है. मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आदिगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को बुलाया गया. मंदिर प्रवेश के बाद उन्होंने बताया कि भगवान गणेश यहाँ जीवंत रूप में विराजमान है. यह भगवान गणेश की 5 जीवंत मूर्तियों में से एक है. जिनके साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है. जिसके कारण आज भी भगवान गणेश मंदिर के जीर्णोद्धार के बावजूद जमीन तल के गर्भगृह में आज भी विराजमान हैं.

धीरे-धीरे स्वयं बड़ी हो रही ये प्रतिमा

स्थानीय बताते है कि उनके पूर्वजों ने बताया है कि भगवान गणेश की प्रतिमा पूर्व में छोटी थी. जिनकी आकृति स्वयं ही धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. उन्हें भी अब यह महसूस होने लगा है कि वाकई में प्रतिमा की आकृति में बदलाव हो रहा है.

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भक्तों की हर मनोकामनाएं होती है पूरी

गांव में आज भी भगवान श्री गणेश को निमंत्रण भेजे बिना कोई भी कार्य नहीं किया जाता. यहाँ स्थानीय लोगो के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सहित दूसरे राज्य के लोग भी काफी संख्या में बप्पा के दर्शन को पहुंचते है. कहते है कि भगवान गणेश अपने भक्तों की हर मनोकामनाओं को पूरा करते है. निःसंतान दंपत्ति हो या अन्य सभी भक्तों की मुरादे विघ्नहर्ता भगवान पूरी करते आ रहे है. प्रत्येक मंगलवार को यहाँ काफी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

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