
Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (High Court Chhattisgarh) ने विधानसभा में विपक्ष के नेता (Leader off Opposition) नारायण चंदेल के बेटे पलाश चंदेल को एक आदिवासी महिला से बलात्कार करने, उसका गर्भपात कराने और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत लगे आरोपों से मुक्त कर दिया है.
किया आरोप मुक्त
पलाश चंदेल के वकील हरि अग्रवाल ने बताया कि उच्च न्यायालय (High Court) में न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय की एकल पीठ ने पलाश को एक आदिवासी महिला से बलात्कार करने, गर्भपात कराने और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत लगे आरोपों से मुक्त कर दिया.
उन्होंने बताया कि न्यायालय ने पुलिस की प्राथमिकी, आरोप पत्र और कार्यवाही को रद्द कर दिया है. अधिवक्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने चंदेल के खिलाफ मारपीट की धारा-323 के संबंध में निचली अदालत को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
ये भी पढ़ें;
जनवरी में लगा था आरोप
अग्रवाल ने बताया कि पलाश चंदेल के खिलाफ एक आदिवासी महिला ने इस वर्ष जनवरी माह में बलात्कार का आरोप लगाया था. उसकी शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी. उन्होंने बताया कि जांजगीर-चांपा जिले की रहने वाली शिकायतकर्ता महिला ने पुलिस को बताया था कि 2018 में फेसबुक के माध्यम से उसकी दोस्ती पलाश से हुई थी. पीड़िता का आरोप था कि पलाश ने उसे शादी करने का झांसा देकर लंबे समय तक उसका शारीरिक शोषण किया.
देता था धमकी
अग्रवाल ने बताया कि महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि शारीरिक शोषण की वजह से वह 2021 में गर्भवती हो गई, लेकिन पलाश ने धोखे से उसे गर्भपात की दवा खिला दी, जिससे उसका गर्भपात हो गया था. उन्होंने बताया कि महिला का आरोप था कि पलाश ने उसके साथ मारपीट की और जातिगत अपशब्द बोले. महिला ने आरोप लगाया था कि पलाश अपने पिता के रुतबे का डर दिखाकर उसे धमकाया करता था तथा सरकारी नौकरी से निकलवाने की भी धमकी दिया करता था.
उच्च न्यायाल में चल रही थी सुनवाई
अधिवक्ता ने बताया कि पीड़ित महिला ने पहले रायपुर में राज्य महिला आयोग और बाद में महिला थाने में शिकायत दर्ज की और पलाश चंदेल के खिलाफ मामला दर्ज कराया. अग्रवाल के अनुसार पलाश ने गिरफ़्तारी से बचने के लिए उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई थी. अप्रैल महीने में उच्च न्यायालय ने उसके अग्रिम जमानत आवेदन को स्वीकार कर लिया था. इसके बाद मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय में चल रही थी.
उच्च न्यायालय में 23 अगस्त 2023 को मामले की अंतिम सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.