
Chhattisgarh Urban body elections 2025- छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव 2025 के नतीजों से बीजेपी (Chhattisgarh BJP) गदगद है. जबकि इसने कांग्रेस (Chhattisgarh Congress) को तगड़ा झटका दिया है. प्रदेश के 10 नगर निगम (Chhattisgarh Nagar Nigam Result) में अब बीजेपी ने कब्जा कर लिया है. वहीं नगर पालिका और नगर पंचायत में भी ज्यादातर जगहों में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कैसे की? वहीं कांग्रेस को करारी हार का सामना क्यों करना पड़ा?
इस रिपोर्ट में भाजपा की प्रचंड जीत के पांच प्रमुख कारणों, कांग्रेस की हार के पांच मुख्य कारणों पर विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं.
नगरीय निकाय चुनाव में क्यों भगवामय हुआ छत्तीसगढ़?
1. विधानसभा चुनाव की जीत ने किया बूस्टर डोज का कामछत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भारी बहुमत से सरकार बनाई थी. सरकार बनाने के बाद प्रमुख वादों को सरकार ने 1 साल के भीतर पूरा किया, जिसका असर निकाय चुनाव में भी देखने को मिला. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने लोकहितैषी योजनाओं प्राथमिकता दी, जिससे जनता में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा. सरकार की इन नीतियों और विकास कार्यों ने मतदाताओं को प्रभावित किया.
2. संगठन की मजबूत रणनीतिभाजपा संगठन ने चुनाव के मद्देनजर जमीनी स्तर पर कुशल रणनीति अपनाई. कार्यकर्ताओं ने सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया, जिससे पार्टी की पकड़ मजबूत हुई. बीजेपी हरदम चुनावी मोड में रहती है. एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव की तैयारी में जुट जाती है. ऐसे में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद से ही नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी संगठन स्तर पर शुरू कर दी गई थी.
3. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान, महतारी वंदन का मिला लाभभाजपा ने स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं को समझकर उनके समाधान के लिए ठोस प्रयास किए. इससे जनता में पार्टी के प्रति सकारात्मक धारणा बनी. सरकार की महतारी वंदन योजना पर महिलाओं का भरोसा रहा. नगरीय निकाय चुनाव में भी सरकार ने वादा किया है कि जैसे चुनाव संपन्न होगा फिर से रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल खोले जाएंगे, जिसका लाभ चुनाव में बीजेपी को मिला.
4. टिकट बंटवारा अहम फैक्टरबीजेपी ने टिकट बंटवारे में भी इस बात का खास ध्यान रखा था कि किसका चेहरा जनता पसंद कर सकती है. इसका फायदा भी पार्टी को मिला है.
5. विपक्ष की कमजोर स्थिति, एंटी इनकंबेंसी का फायदाकांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी और नेतृत्व संकट का लाभ उठाते हुए भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत की. विपक्ष की कमजोरियों ने भाजपा को बढ़त दिलाई. वर्तमान स्थिति में सभी नगर निगमों में कांग्रेस के मेयर थे और उनके ही ज्यादा पार्षद जीते थे. ऐसे में उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी बीजेपी को फायदा पहुंचाई.
क्यों हारी कांग्रेस?
1. आंतरिक गुटबाजी और नेतृत्व संकटकांग्रेस पार्टी में आंतरिक कलह और नेतृत्व की कमी ने संगठन को कमजोर किया. इससे चुनावी रणनीति प्रभावित हुई और मतदाताओं में नकारात्मक संदेश गया. साथ ही विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा. वहीं पार्टी के भीतर एक-दूसरे नेताओं पर आरोप-प्रत्यारोपों की झड़ी ने संगठन के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाया.
2. स्थानीय मुद्दों की अनदेखीकांग्रेस ने स्थानीय समस्याओं और जनता की आवश्यकताओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया. इससे मतदाताओं में पार्टी के प्रति उदासीनता बढ़ी. वहीं पार्टी अपनी हालिया हार से नहीं उबर पाई जिससे बीजेपी के खिलाफ प्रभावी रणनीति बनाने में वह नाकाम साबित हुई.
3. प्रभावी चुनाव प्रचार की कमीभाजपा के मुकाबले कांग्रेस का चुनाव प्रचार कमजोर रहा. पार्टी अपनी पिछली राज्य सरकार और निकाय की उपलब्धियों और योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में नाकाम रही.
4. विपक्ष की रणनीति का अभावकांग्रेस ने भाजपा की नीतियों और कार्यों के खिलाफ मजबूत विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई. इससे जनता में पार्टी की विश्वसनीयता कम हुई.
5. स्थानीय नेतृत्व का अभाव
कई इलाकों में कांग्रेस के पास मजबूत स्थानीय नेतृत्व की कमी रही. इससे पार्टी जमीनी स्तर पर संगठन को सुदृढ़ करने में नाकाम रही.