
Jungali Mushroom: आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले के जंगलों से अब अम्बिकापुर के बाजार में व्यापक पैमाने में जंगली मशरूम आने लगा है. इसे लोकल भाषा में पुटू और खुखड़ी कहां जाता है. आवक ज्यादा होने के साथ ही अब इसकी कीमत में कुछ कमी हुई है. यह वर्तमान में 400 से 600 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. वहीं अब आम लोगों के बजट में आने के कारण लोग अब इसे खरीदने के लिए उमड़ पड़े हैं. क्योंकि पहले इसकी कीमत 1000 रुपये किलो तक जा चुकी है. सरगुजा जिले का 70 प्रतिशत भाग आज भी घनघोर जंगलों से घिरा हुआ है. इन्हीं जंगलों बरसात से पूर्व बिना बीज से पैदा होने वाला जंगली मशरूम होता है, जिसे जनजाति समुदाय के लोगों के द्वारा जंगलों से लाया जाता है. यह जंगली मशरूम जनजाति समुदाय का इनकम का एक जरिया भी है.

क्यों खास है ये मशरूम?
इस जंगली मशरूम में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन का स्त्रोत होने के साथ इसका स्वाद लोगों को काफी अच्छा लगता है. यही कारण है कि जंगली मशरूम की मांग इस मौसम में ज्यादा होती है.
बच्चे और वृद्ध खाने से बचें
बायोटेक वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा बताते हैं कि जंगली मशरूम में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होती है. ऐसे में 10 से कम उम्र के बच्चे और 60 साल से ज्यादा वृद्ध व्यक्तियों को मशरूम नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ये इसे पचाने में दिक्कत होती है. जिससे उल्टी दस्त की शिकायत सकती है. इसके साथ ही सरगुजा के जंगलों में बिलाई खुखड़ी, कटूआ खुखड़ी, पियूरी खुखड़ी है, इनमें एल्केलाइट की मात्रा ज्यादा होती है जिसे खाने से उल्टी-दस्त या फिर मौत भी हो सकती है. इसलिए इन्हें खाने से बचें.
जाने कौन सा मशरूम खाने योग्य है?
बायोटेक वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा बताते हैं कि बरसात के दिनों में बाजारों जंगली मशरूम बेचने वालों की भीड़ देखी जाती है. ऐसे में आप को कैसे पता लगा की जो जंगली मशरूम ले रहे हैं वह अच्छा है या फिर खराब?
प्रकृति का एक महत्वपूर्ण तोहफा है मशरूम
बायोटेक वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा बताते हैं कि वे पिछले 20 वर्षों से मशरूम पर रिसर्च कर रहे हैं मशरूम उत्पादन से आम लोगों की आमदनी बढ़ाने को भी काम कर रहे हैं. इसे लेकर सरगुजा जिला प्रशासन के द्वारा उन्नत किस्म की मशरूम की बीज भी व्यवसायों को उपलब्ध कराया जाता हैं. लेकिन जंगली मशरूम प्रकृति का एक महत्वपूर्ण तोहफा है. आमतौर पर आदिवासी महिलाएं जंगलों में सुबह निकलती हैं और साल के पेड़ के आसपास जमीन के नजर आने वाले इस जंगली मशरूम को बड़ी सावधानी से जमीन के निकालती हैं. जंगली मशरूम जमीन के अंदर 3 से 5 सेंटीमीटर अंदर होता है जिसे हाथों से ही मिट्टी हटाने पर बाहर निकल आता है.
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