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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की ₹61 करोड़ की संपत्ति ED ने की कुर्क

Chaitanya Baghel assets attached: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई की है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की ₹61 करोड़ की संपत्ति अस्थायी रूप से अटैच (कुर्क) कर दी है. यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की ₹61 करोड़ की संपत्ति ED ने की कुर्क

Chhattisgarh Liquor Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई की है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की ₹61 करोड़ की संपत्ति अस्थायी रूप से अटैच (कुर्क) कर दी है. यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है. चैतन्य बघेल के वकील सौरभ पांडे ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि ED ने लिकर स्कैम की जांच के तहत यह कार्रवाई की है. उन्होंने बताया कि यह एक्शन PMLA अधिनियम के तहत 'सिविल नेचर' का है, जिसके तहत अपराध से अर्जित की गई संपत्ति (Proceeds of Crime) को कुर्क किया जाता है.

अभी ये फौरी कुर्की है: चैतन्य के वकील

वकील सौरभ पांडे ने जानकारी दी, "यह राशि लगभग ₹61 करोड़ है, जिसे विभिन्न जगहों पर लगाया गया था. इसमें कुछ पैसा आवासीय प्लॉटों, कृषि भूमि और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में लगाया गया था. यह अस्थायी अटैचमेंट 10 नवंबर को किया गया." बता दें कि चैतन्य बघेल पहले से ही इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं और फ़िलहाल न्यायिक हिरासत (Judicial Remand) में हैं. वकील सौरभ पांडे ने आगे की कानूनी प्रक्रिया समझाते हुए कहा, "ये संपत्ति अभी सिर्फ फ़िलहाल के लिए अटैच की गई है. अब एक एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी और चैतन्य बघेल को भी नोटिस भेजेगी. अगर जांच में यह साबित हो जाता है कि ED सही कह रही है, तभी यह फौरी कुर्की पक्की मानी जाएगी. इसके बाद भी उनके पास ऊपर की अदालतों में जाने का विकल्प खुला रहेगा.

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में यह घोटाला बड़े संगठित तौर पर अंजाम दिया गया है. इसमें सरकारी अफ़सरों, नेताओं और शराब कारोबारियों ने आपस में मिलकर ग़ैर-कानूनी तरीक़े से करोड़ों रुपये कमाए. ईडी का आरोप है कि इस पूरे खेल से राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है.. घोटाले में अवैध तरीक़े से जो पैसे जुटाए गए, उसे मनी लॉन्ड्रिंग के ज़रिए सफ़ेद (यानी कानूनी) बनाने की कोशिश की गई. चैतन्य बघेल पर आरोप है कि उन्होंने इसी ग़लत तरीक़े से कमाए पैसे को विभिन्न संपत्तियों में लगाया.

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