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This Article is From Jan 02, 2024

छत्तीसगढ़: Hit & Run कानून को लेकर जमकर बवाल, जनता पर भारी पड़ रही ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल

महज़ 2 दिनों में ही लोग पेट्रोल-डीजल की किल्लत से परेशान नज़र आने लगे हैं. वहीं, हालात ऐसे बनने लगे हैं. 1 -2 दिन में स्थिति नहीं सुधरी तो आम लोगो का भी आक्रोश देखने को मिल सकता है

छत्तीसगढ़: Hit & Run कानून को लेकर जमकर बवाल, जनता पर भारी पड़ रही ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल
Hit & Run कानून को लेकर जमकर बवाल, जनता पर भारी पड़ रही ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल

Hit & Run: केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून (Hit & Run Law) के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर बालोद जिले में साफ तौर पर देखा जा रहा है. ज़िला ड्राइवरों ने छत्तीसगढ़ ड्राइवर महासंगठन के आंदोलन को अपना समर्थन दिया गया हैं जिससे सभी मालगाड़ी समेत यात्री गाड़ियों के पहिये एक दम थम गए हैं. गाड़ियां जस के तस रुक गई है. हड़ताल का असर धान, चावल एवं खाद परिवहन, सब्जी-अनाज समेत तमाम चीज़ों पर देखने को मिल रहा है. इसका असर जिले में बाहर से सब्जी-अनाज के आवक पर पड़ा हैं. ज़िले में कुछ पेट्रोल पंप बंद हैं तो कहीं पर पेट्रोल डीजल पहुंचते ही गाड़ियों की लंबी लाइनें देखने को मिल रही है. 

जानिए हड़ताल में शामिल ड्राइवरों का क्या है कहना? 

इस देशव्यापी हड़ताल में शामिल ट्रक ड्राइवरों का साफ कहना है कि हिट एंड रन मामले में नया कानून चालकों के खिलाफ है. इनकी मानें तो ज्यादातर हादसे छोटी गाड़ियों की गलती से होती है..लेकिन हर बार मामला बड़ी गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ ही बनता है. वहीं, घटना के बाद ट्रक ड्राइवरों को भीड़ का शिकार होना पड़ता हैं. ऐसे में ट्रक ड्राइवरों को वहां से खुद का जान बचाना भी चुनौतीपूर्ण होता है.. नए कानून में 7 लाख तक जुर्माना और 10 साल की सजा से ट्रक चालक सकते में है...साथ ही इस कानून को काला कानून का नाम देकर इस कानून को बदलने की मांग पर अड़े हैं. ड्राइवरों का कहना है कि कानून संशोधन नहीं होने तक इसी तरह आंदोलन जारी रखने की बातों पर अड़े हुए हैं. 


वहीं, इस आंदोलन से पेट्रोल डीजल तथा रसोई गैस सिलेंडर की किल्लत पर खाद्य विभाग का कहना है कि जिले में हड़ताल के चलते आम लोगो को भी दिक्कत  हुई है...लेकिन प्रशासनिक तौर पर पेट्रोल पंप संचालकों से तालमेल बनाकर आम लोगों को पेट्रोल उपलब्ध करवाने के दावे किए जा रहे हैं. आम लोगों से अपील भी की जा रही है कि एक दो दिन लोग सहयोगात्मक रवैया अपनाएं और बहुत ज्यादा जरूरी नहीं होने पर अपने टू-व्हीलर्स या गाड़ी का इस्तेमाल से बचें. खाद्य विभाग 2 से 3 दिनो में हालात को पूरी तरह सुधारने के भी दावे करते नज़र आए. 

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आपको बता दें कि इस आंदोलन के चलते आम लोग भी परेशान होते नजर आ रहे हैं. महज़ 2 दिनों में ही लोग पेट्रोल-डीजल की किल्लत से परेशान नज़र आने लगे हैं. वहीं, हालात ऐसे बनने लगे हैं. 1 -2 दिन में स्थिति नहीं सुधरी तो आम लोगो का भी आक्रोश देखने को मिल सकता है. पेट्रोल-डीजल की किल्लत से सामान्य कर्मचारी, शिक्षक और बड़े अधिकारियो के भी गाड़ियों के पहिए भी थम सकते हैं. 

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