Bastar Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा (Vijay Sharma) ने एक बार फिर नक्सलियों से बातचीत का प्रस्ताव सामने रखा है. विजय शर्मा सोमवार को भिलाई (Bhilai) के दौरे पर थे, जहां उन्होंने एक दिन पहले बीजापुर (Bijapur) में शहीद हुए रामाशीष के अंत्येष्टि कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस मौके पर डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने मीडिया से कहा कि हम नक्सलियों (Naxalites) से बातचीत के लिए तैयार हैं, जो मुख्य धारा से आना चाहे उनका स्वागत है, उनकी पूरी बात सुनकर उनको मुख्यधारा में शामिल किया जाएगा.
शर्मा ने कहा कि बस्तर के कोने-कोने में विकास पहुंचाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्धता है. इस मार्ग पर जो भी अवरोध आएगा, उसे चर्चा से, प्रेम से या फिर शक्ति से उस अवरोध को दूर किया जाएगा. आपको बता दें कि पूर्व में भी छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा नक्सलियों से बातचीत के पेशकश की थी. हालांकि, इसका नक्सलियों पर कोई असर नहीं पड़ा. नक्सली राज्य में लगातार हिंसक वारदातों को अंजाम देने में जुटे हैं.
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ये है सरकार की इच्छा
डिप्टी सीएम ने नक्सलियों से बातचीत की पेशकश करते हुए कहा था कि नक्सली भारत के संविधान पर भरोसा करें और मुख्य धारा में जुड़ें. छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों से वर्चुअल माध्यम से बातचीत के लिए जुड़ने का प्रस्ताव दे चुके हैं. सरकार का कहना है कि नक्सली हथियार छोड़ कर मुख्य धारा से जुड़ जाएं. सरकार की ओर से प्रस्ताव दिया गया है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ेंगे उन्हें हर सुविधाओं का लाभ दिया जाएगा. सरकार की ओर से कहा गया है कि हमारा उद्देश्य बस्तर में नक्सली हिंसा को समाप्त करना है. सरकार हर हाल में बस्तर के अंदरूनी इलाकों तक पहुंच बनाने का काम जारी रखेगी. नक्सलियों से बातचीत कर उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने की कोशिश इसी का एक हिस्सा है.
ये चाहते हैं नक्सली
नक्सलियों का आरोप है कि आदिवासियों के हित के लिए सरकार काम नहीं करती है. सरकार जल, जंगल, जमीन को छीनने के लिए आदिवासियों पर अत्याचार करती है. लिहाजा, हमारी ये लड़ाई जल, जंगल, जमीन को बचाने का संघर्ष है. नक्सलियों की मुख्य मांग ये है कि सुरक्षा बल के जवानों को बस्तर के जंगलों से हटाया जाए और जंगलों में सुरक्षाबलों के नए कैंप न खोले जाएं.
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इसलिए नहीं बन पाती है बात
सरकार बातचीत की पेशकश तो करती है, लेकिन, जब भी बातचीत हुई है तो दोनों ही पक्ष एक दूसरे की मांग मानने को तैयार नहीं होते हैं. सरकार कहती है नक्सली हथियार छोड़ें और नक्सली कहते हैं बस्तर के जंगलों से सुरक्षा बलों के कैंप को हटाया जाए. बस्तर में फोर्स को कैंप और थानों तक ही सीमित रखा जाए. यहीं पर बात बिगड़ जाती है. दोनों ही पक्ष एक दूसरे की बात को मानने में असहमत दिखते है, जिससे वार्ता आगे नहीं बढ़ पाती है.
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