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एक ही परिवार के तीन मासूम की मौत! घर वाले करवाते रहे झाड़-फूंक, अब कारण जानने में जुटा स्वास्थ्य विभाग

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में Chhattisgarh child deaths मामले ने सबको हिला दिया, जहां झाड़-फूंक पर भरोसा करने से तीन बच्चों की जान चली गई. Health department investigation जारी है और शुरुआती जांच में faith healing risks तथा इलाज से दूरी सामने आई है.

एक ही परिवार के तीन मासूम की मौत! घर वाले करवाते रहे झाड़-फूंक, अब कारण जानने में जुटा स्वास्थ्य विभाग

Chhattisgarh Child Deaths: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक बेहद ही दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां झाड़-फूंक के भरोसे इलाज करवाने के चलते एक ही परिवार के तीन मासूम बच्चों की जान चली गई. इस त्रासदी ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है और अब स्वास्थ्य विभाग मौत के असली कारणों की जांच में जुटा है.

दरअसल, धनोरा गांव में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत की खबर मिलते ही राज्य स्तरीय जांच दल मौके पर पहुंचा. टीम में राज्य टीकाकरण अधिकारी, महामारी नियंत्रण विशेषज्ञ और ज़िले के वरिष्ठ डॉक्टर शामिल थे. सभी ने मामले की बारीकी से जांच शुरू की. हालांकि, अभी तक कोई पुख्ता सबूत स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिले हैं.

तीन घंटे चली पूछताछ

जांच दल ने परिजनों, पड़ोसी और स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों से तकरीबन तीन घंटे पूछताछ की. इसके बावजूद भी बच्चों की मौत का पक्का कारण सामने नहीं आ सका. हर किसी के बयान में सिर्फ इतना साफ हुआ कि परिवार ने इलाज के बजाय झाड़-फूंक को ज्यादा अहमियत दी.

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झाड़-फूंक पर भरोसा, इलाज से दूरी

शुरुआती जांच में पता चला कि परिजन बच्चों की बीमारी को दैविक प्रकोप मानकर लगातार झाड़-फूंक कराते रहे. स्वास्थ्य कर्मियों ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन परिवार ने किसी भी तरह की मेडिकल सुविधा लेने से इनकार कर दिया. जानकारी के अनुसार, बच्चों को 5 नवंबर से सर्दी, जुकाम और बुखार था. डॉक्टरों ने माना कि इतने दिनों तक लगातार लक्षण बने रहने से बच्चों का शरीर काफी कमजोर हो गया होगा. यह कमजोरी आगे चलकर मौत का कारण बन सकती है.

अब जागरूकता अभियान चलेगा

इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग अब ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. विभाग ने बैगा-गुनिया सम्मेलन आयोजित करने और गांव-गांव जाकर जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है. साथ ही मोबाइल मेडिकल यूनिट भी लगातार गांवों में भेजी जाएगी, ताकि ग्रामीणों का स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा बढ़ सके.

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