
Chhattisgarh Assembly Election 2023: 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए प्रथम चरण की वोटिंग हो चुकी है. वहीं, दूसरे चरण के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इस बीच राज्य की दोनों ही प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के लिए दिन-रात एक किए हुई है. भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और कई केंद्रीय मंत्री व कई राज्यों के मुख्यमंत्री भाजपा को जीत दिलाने के लिए राज्य में पसीना बहा रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी,सांसद राहुल गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हुए हैं. फिलहाल, कांग्रेस राज्य में 71 सीटों के साथ सत्ता में है. वहीं, विपक्षी भाजपा के पास मात्र 15 विधायक है. वहीं, अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो साल 2018 में भाजपा और कांग्रेस के बीच पहली बार बड़ा फासला नजर आ रहा है. ऐसे में वोट प्रतिशत के इस फासले को पाटे बिना भाजपा के लिए जीत हासिल करना मुश्किल होगा.

भाजपा कभी भी कांग्रेस को नहीं दे पाई करारी मात
दरअसल, छत्तीसगढ़ में हुए 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को 43.0% वोट मिले थे, जबकि भाजपा, कांग्रेस से 10 प्रतिशत पिछड़ कर मात्र 33.0% वोट पाने में ही सफल रही थी. इससे पहले जब भाजपा 15 वर्षों तक सत्ता में रही थी, तो भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट प्रतिशत के साथ ही सीटों का अंतर भी ज्यादा बड़ा नहीं होता था.
2013 में सत्ता हासिल करने वाली भाजपा को 41 प्रतिशत वोट मिले थे. इसके साथ ही पार्टी 90 में से 49 सीट जीतने में सफल रही थी. वहीं, कांग्रेस को 40.3% प्रतिशत वोट मिले थे और उसके खाते में 39 सीटें आई थी. अगर बात 2008 की करें, तो इस चुनाव में जीत हासिल करने वाली भाजपा को 40.3% प्रतिशत वोट मिले थे. इसके साथ ही पार्टी 90 में से 50 सीटें जीतने में सफल रही थी. वहीं, कांग्रेस 38.6% प्रतिशत वोटों के साथ 38 सीटें जीतने में सफल रही थी.
यानी दोनों पार्टियों में लगभग 2 प्रतिशत वोटों का अंतर था. इससे पहले वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में सत्ता पर पहली बार काबिज होने वाली बीजेपी को 39.3% प्रतिशत वोट मिले थे. तब भाजपा राज्य की 90 में से 50 सीट जीतने में सफल रही थी. वहीं, कांग्रेस 36.7% प्रतिशत वोटों के साथ 37 सीटें जीतने में सफल रही थी.
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प्रत्याशियों की संख्या बढ़ने से कांग्रेस को मिला फायदा
आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि 2018 में कांग्रेस की जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण प्रत्याशियों की अधिक संख्या है. 2003 से लेकर 2013 तक जब राज्य में 800 से 1000 तक प्रत्याशी चुनाव मैदान में होते थे. इस दौरान कुछ प्रतिशत वोटों से कांग्रेस पिछड़ जाती थी और भाजपा मात्र एक से 3 प्रतिशत वोट ज्यादा पाने के बाद सत्ता हासिल करने में सफल हो जाती थी. लेकिन, 2018 के चुनाव में जैसे ही प्रत्याशियों की संख्या 1200 के पार हुई, तो कांग्रेस अपने वोट प्रतिशत में बहुत ही बड़ा जंप दर्ज करते हुए 68 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही. यानी ज्यादा प्रत्याशी का सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ.
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