
Anti Naxal Operation in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में माओवाद के ख़िलाफ़ चल रही लड़ाई अपने आखिरी चरण में है. सीपीआई (माओवादी) के जनरल सेक्रेटरी बसवराजू (Basavaraju) और सुधाकर जैसे बड़े माओवादी मारे जा चुके हैं. इसके अलावा, बीते डेढ़ साल में 425 माओवादियों को भी न्यूट्रलाइज्ड किया जा चुका है. वहीं, 1388 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं और 1443 को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस बीच माओवादियों के खिलाफ अभियान पर एनडीटीवी ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी (DM Awasthi) से बात की. इस दौरान उन्होंने बताया माओवाद कमजोर हुआ है, लेकिन जब तक पीएलजीए बटालियन नंबर वन का कमांडर हिड़मा मारा नहीं जाता, तब तक माओवाद को खत्म नहीं माना जा सकता है. प्रस्तुत है बातचीत के अंश.
रिपोर्टर : माओवाद के खिलाफ अभियान कहां पर है?
पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी: देखिए, जब से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने माओवाद को ख़त्म करने की डेड लाइन मार्च 26 तय की गई है. तब से फोर्स में उत्साह बढ़ा है. जवानों का आत्मविश्वास अपने चरम पर है. सभी एजेंसी मिल कर काम कर रही है और उसके परिणाम यह हुआ है कि एक साल में बड़े-बड़े ऑपरेशन हुए, जिसमें बड़ी सफलता मिली. यहां तक कि नक्सल संगठन के सबसे बड़े लीडर बसव राजू भी मारा जा चुका है. उन्होंने बताया कि महासचिव पद नक्सल संगठन का सबसे बड़ा पद होता है, लेकिन वह मारा जा चुका है. उनके साथी भी मारे गए है. ऐसे में मैं ये मानता हूं कि इस समय माओवाद पूरी तरह से बैकफुट पर है और फोर्सेस डोमिनेट कर रही है. इस वक्त लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. गृह मंत्री अमित शाह लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में लगातार उनका दौरा हो रहा है. वे हर दो से तीन महीने में समीक्षा मीटिंग कर रहे है.
रिपोर्टर: बसव राजू के मारे जाने के बाद कितने बड़े लीडर बचे हैं?
पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी: कुछ साल पहले देखे, तो नक्सली टॉप कमांडिंग में पोलित ब्यूरो और सीसी मेंबर की संख्या मिलाकर 25-30 होती थी. हालांकि, अभी बहुत कम हो गए हैं. बसव राजू की मौत हो गई है. इसके पहले गणपति ने सरेंडर कर दिया. वहीं, कई मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि नक्सलियों की टॉप लीडरशिप में काफी कमी आई है. फिलहाल, ये लोग उस जगह पर नहीं हैं, जहां पांच-सात साल पहले हुआ करते थे.
रिपोर्टर : नक्सली के किस लीडर के मारे जाने के बाद माओवाद बिल्कुल खत्म हो जाएगा?
पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी: अगर हम छत्तीसगढ़ को देखते हैं, तो पीएलजीए की बटालियन का प्रभाव सुकमा और बीजापुर में है. PLGA बटालियन no. 1 का कमांडर हिड़मा है. हिड़मा बड़ी चुनौती है. अगर PLGL बटालियन no. 1 पर सुरक्षाबलों को सफलता मिलती है, तो मैं समझता हूं कि ये छत्तीसगढ़ में माओवाद की अंतिम लड़ाई होगी.
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