
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) में छठ महापर्व को लेकर उत्साह का माहौल है. चार दिनों तक मनाई जाने वाली लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja 2023) की शुरुआत शुक्रवार, 17 नवंबर नहाय खाय से हो गई है. वहीं आज शनिवार को छठ पूजा का दूसरा दिन है. आज के दिन व्रती सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला व्रत रखते हैं. हालांकि इस बीच श्रद्धालुओं को अर्घ्य देने के लिए बिलासपुर के अरपा नदी के घाट को आकर्षक लाइट से सजा दिया गया है.
भोजपुरी समाज के द्वारा बिलासपुर में मनाया जाता छठ महापर्व
दरअसल, भोजपुरी समाज के द्वारा बिलासपुर में कई सालों से छठ महापर्व का आयोजन किया जाता है जिसे देखने पूरे प्रदेश से लोग और श्रद्धालु यहां आते हैं.
ऊषा अर्घ्य के साथ होगा छठ महापर्व का समापन
छठ महापर्व पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है और व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती है. बता दें कि 17 नवंबर को छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो गई. 18 नवंबर को खरना पर्व है. इस दिन व्रती को पूरे दिन व्रत रखना पड़ता है. शाम को व्रती महिलाएं खीर का प्रसाद बनाती हैं. 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और 20 नवंबर ऊषा अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो जाएगा.
छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की परंपरा है. यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही डूबते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. इस महापर्व को सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस त्योहार को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.
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