
Chhattisgarh MSC Scam: छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण (EOW) ने वर्ष 2023 में चिकित्सा उपकरणों और रसायनों की खरीद में कथित अनियमितताओं के मामले में पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया. वहीं गिरफ्तारी के बाद इन अधिकारियों को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया.
7 दिन की रिमांड पर भेजे गए पांचों आरोपी
कोर्ट ने पांचों आरोपियों को महाप्रबंधक (उपकरण) के पद पर रहे बसंत कुमार कौशिक, बायोमेडिकल इंजीनियर दीपक कुमार बांधे, जीएम (उपकरण) कमलकांत पाटनवार, छिरोद रौतिया और स्वास्थ्य विभाग स्टोर इंचार्ज डॉ. अनिल परसाई को 7 दिन के लिए एसीबी की रिमांड पर सौंप दिया है.
एजेंसी के मुताबिक, इस वित्तीय अनियमितता के कारण राज्य के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार अधिकारियों की पहचान बसंत कुमार कौशिक, छिरोद रौतिया, कमलकांत पाटनवार, डॉ. अनिल परसाई और दीपक कुमार बांधे के रूप में हुई है, जो उस समय ‘छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड' (सीजीएमएससीएल) में तैनात थे.
उन्होंने बताया कि अधिकारियों को कथित घोटाले से संबंधित पूछताछ के बाद शुक्रवार रात को गिरफ्तार किया गया. अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों को तत्कालीन भारतीय दंड विधान और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया.उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों को शनिवार को एसीबी/ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां से पांचों को 28 मार्च तक एसीबी की हिरासत में भेज दिया गया.
एसीबी ने मामले के संबंध में हरियाणा, छत्तीसगढ़ के रायपुर और दुर्ग जिलों में एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापेमारी के बाद मोक्षित कॉरपोरेशन के निदेशक शशांक चोपड़ा को 29 जनवरी को गिरफ्तार किया था. चोपड़ा फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
बयान के मुताबिक, कथित घोटाले में स्वास्थ्य केंद्रों में वस्तुओं की आवश्यकता और उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना रसायनों और उपकरणों की खरीदी की गई.
क्या है CGMSC घोटाला?
बता दें कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (Chhattisgarh Medical Service Corporation) घोटाले में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 411 करोड़ रुपये का कर्जदार बना दिया. दरअसल, कई अधिकारियों ने मिलीभगत कर महज 27 दिनों में 750 करोड़ रुपये के सामान की खरीदी कर ली थी.
जानकारी के मुताबिक, मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने 8 रुपये में मिलने वाला EDTA ट्यूब 2,352 रुपये और 5 लाख वाली CBS मशीन 17 लाख रुपये में खरीदी थी. CGMSC ने 300 करोड़ रुपये के रीएजेंट भी खरीदे थे.
ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
दरअसल, दिसंबर 2024 में छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर (Nanki Ram Kanwar) ने पीएमओ, केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, सीबीआई, ईडी को लेटर लिखा था, जिसमें उन्होंने इस घोटाले का उजागर किया था. कंवर की शिकायत के बाद केंद्र ने ईओडब्ल्यू (EOW) को मामले की जांच के निर्देश दिए थे. इसके बाद EOW की टीम ने 5 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी.