Chhattisgarh Foundation Day 2025: 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग कर केन्द्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने छत्तीसगढ़ को देश के 26वें राज्य के रूप में स्थापित किया. राज्य स्थापना के बाद विधायकों की संख्या के आधार पर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी, जिसका कार्यकाल 3 साल का था. राज्य बनने के बाद पहली बार साल 2003 में विधानसभा के चुनाव हुए. 2003 के बाद साल 2008, साल 2013, साल 2018 और फिर साल 2023 में विधानसभा चुनाव हुए. यानि कि वर्तमान में राज्य सरकार का छठा कार्यकाल चल रहा है, लेकिन इन छह कार्यकालों में वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राज्य के चौथे मुखिया हैं. छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे. इसके बाद तीन कार्यकाल तक लगातार बीजेपी के डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री थे. इसके बाद कांग्रेस के भूपेश बघेल और फिर बीजेपी के विष्णु देव साय को राज्य की कमान संभाल रहे हैं. 25 साल के छत्तीसगढ़ राज्य के इन चारों के ही मुख्यमंत्री बनने की अपनी अपनी दिलचस्प कहानियां हैं.
दिग्गी ने चुना अजीत जोगी को
आईपीएस छोड़ आईएएस और फिर आईएएस छोड़ नेता बने अजीत जोगी के मुख्यमंत्री बनने का किस्सा दिलचस्प है. कहा जाता है कि मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ नया राज्य बना और इसके पहले मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा शुरू हुई. तब कांग्रेस के केन्द्रीय नेताओं की पसंद अजीत जोगी सीएम पद की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन उनका मुकाबला पूर्व केन्द्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ला से था.
कांग्रेस को डर था कि शुक्ला अपने समर्थक विधायकों के साथ कोई खेल न कर दें. विधायकों को जोगी के पक्ष में लामबंद करने की जिम्मेदारी कांग्रेस नेतृत्व ने दिग्गी राजा के नाम से मशहूर दिग्विजय सिंह को दी. पार्टी के निर्देश पर दिग्गी राजा ने रायपुर पहुंच विधायकों से मिले और जोगी का समर्थन करने की अपील की. दिग्गी की बिछाई बिसात के आगे शुक्ला की एक नहीं चली. जोगी को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया और इसका ऐलान दिग्विजय सिंह ने ही किया. हालांकि यह भी एक इत्तेफाक है कि इस घटना से करीब 14 साल पहले दिग्गी राजा ने एक राजनीतिक कार्यक्रम में अजीत जोगी के लिए कहा था कि यह एक दिन सीएम बनेगा.
रमन सिंह: एक फोनकॉल ने बदली किस्मत
दिसंबर 2003 से 16 दिसंबर 2023 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह के सीएम बनने की कहानी भी काफी चर्चित है. डॉ. रमन सिंह की राजनीतिक सफलता के बारे में कहा जाता है कि एक फोन कॉल ने उनकी किस्मत बदल दी. साल 2000 में अटल की सरकार में डॉ. रमन केंद्रीय राज्यमंत्री थे. छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद 2003 में पहला विधानसभा चुनाव होना था. तीन सालों में अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस और मजबूत हुई, लेकिन बीजेपी में बिखराव की स्थिति थी.
इसके बाद नायडू ने फोन कर डॉ. रमन से बात की और उन्हें जिम्मेदारी दी. फिर साल 2003 के चुनाव में बीजेपी को 90 में से 50 सीटों पर जीत मिली और रमन सिंह छत्तीसगढ़ के दूसरे मुख्यमंत्री बने.
भूपेश बघेल: आखिरी मौके पर बदला फैसला
छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने शपथ ली. 15 सालों से लगातार बीजेपी की सरकार के बाद राज्य में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की तब भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे. राज्य में पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद भूपेश बघेल ने अपने सियासी अनुभव का उपयोग करते हुए खूब मेहनत की. बिखरी पड़ी कांग्रेस को एकजुट किया, अजीत जोगी जैसे कद्दावर नेता को अनुशासनहिनता और कांग्रेस विरोधी कार्य के आरोपों के बीच कांग्रेस से बाहर होना पड़ा.
कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री के नाम के ऐलान से पहले दिल्ली में चारों ही नेताओं को मुलाकात के लिए बुलाया. कहा जाता है कि शपथ ग्रहण के एक दिन पहले आलाकमान ने चारों से चर्चा के बाद ताम्रध्वज साहू का नाम मुख्यमंत्री के लिए तय कर दिया, लेकिन इसके कुछ देर बाद ही अन्य वरिष्ठ नेताओं ने आपत्ति की और आपसी सहमति बनाकर भूपेश बघेल का नाम तय किया गया. हालांकि इस बीच ढाई-ढाई साल के फार्मूले की भी चर्चा हुई, जिसमें शुरू के ढाई साल भूपेश बघेल और उसके बाद टीएस सिंहदेव के सीएम बनने की चर्चा थी, लेकिन पांच साल के पूरे कार्यकाल में भूपेश बघेल ही सीएम बने रहे.
विष्णुदेव साय, आदिवासी वर्ग और अनुभव
साल 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर वापसी की और तमाम घोटालों का आरोप झेल रही भूपेश बघेल सरकार सत्ता से बाहर हो गई. लेकिन चर्चा इस बात की थी कि प्रदेश का नया मुखिया किसको बनाया जाएगा. बीजेपी संगठन ने चुनाव परिणाम के करीब 5 दिन बाद प्रदेश कार्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की मौजूदगी में पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, तीन बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे आदिवासी वर्ग के अनुभवी नेता विष्णुदेव साय के नाम का ऐलान हुआ. लेकिन इस बात की चर्चा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए आए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद से ही शुरू हो गई थी, जिसमें उन्होंने कुनकुरी की जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि आप विष्णुदेव साय को जिताइये और बड़ा आदमी इन्हें हम बनाएंगे.
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