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Raipur Bypoll: रायपुर दक्षिण से भाजपा और कांग्रेस के ये हैं दावेदार, जानें, किसको मिल सकता है टिकट

South Raipur Assembly Seat: छत्तीसगढ़ के रायपुर विधानसभा उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. दोनों ही पार्टियां प्रत्याशियों के चयन के लिए माथापच्ची कर रही है. ये प्रमुख नामों पर दोनों ही पार्टियों की ओर से विचार किए जा रहे हैं. जानें- कौन से हैं वे नाम?

Raipur Bypoll: रायपुर दक्षिण से भाजपा और कांग्रेस के ये हैं दावेदार, जानें, किसको मिल सकता है टिकट

Chhattisgarh Bypoll 2024: रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशी चयन को लेकर पार्टी के अंदर मंथन तेज हो गया है. रायपुर दक्षिण चालीस साल से बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है. पार्टी एक मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतारने के लिए मंथन कर रही है.

रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होगा. नामांकन भरने की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है. इसके पहले बीजेपी और कांग्रेस को अपने प्रत्याशी की घोषणा करनी है. बीजेपी की तरफ़ से दर्जन भर नेता टिकट की दावेदारी कर रहे है लेकिन चार नामों को लेकर पार्टी संगठन के अंदर मंथन चल रहा है बीजेपी में पेंच इस बात को लेकर है कि बृजमोहन अग्रवाल अपनी पसंद का प्रत्याशी चाहते है, क्योंकि इस सीट से बृजमोहन अग्रवाल आठ बार विधायक रहे हैं. वहीं, संगठन अपनी पसंद के चेहरे को मैदान में उतारना चाहता है. बीजेपी का कहना है प्रत्याशी कोई महत्व नहीं रखता, संगठन महत्वपूर्ण है. इसलिए जीत बीजेपी की होगी.

भीजेपी ने भरा जीत का दंभ

इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास कहते है कि BJP का कोई प्रत्याशी महत्वपूर्ण नहीं होता है. संगठन महत्वपूर्ण होता है.विधानसभा में आपने देखा कि नए-नए प्रत्याशी उतारे और जीत कर आए. विष्णु देव सरकार ने 10 महीने में महिलाओं को आमजन और किसान के लिए काम हुए हैं. ऐसे में कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा है. लिहाजा, उपचुनाव भी बीजेपी जीतेगी. वहीं, प्रत्याशी के नाम पर उन्होंने कहा कि जल्द ही योग्य प्रत्याशी को मैदान में उतरेगी.

ये हैं बीजेपी के प्रमुख दावेदार

पूर्व सांसद सुनील सोनी रायपुर दक्षिण से चुनाव लड़ना चाहते हैं. सोनी बृजमोहन अग्रवाल की पसंद भी हैं.हालांकि, उनके नाम पर संगठन की मुहर अभी बाकी है. इसके अलावा, संजय श्रीवास्तव को भी चुनाव लड़ना चाहते हैं. वह बीजेपी के महामंत्री रह चुके हैं. यानी वह संगठन के दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं. संजय श्रीवास्तव एक प्रमुख दावेदार है. इसके अलावा, नंदन जैन तीसरे चेहरे हैं. वह बीजेपी के कोषाध्यक्ष हैं. नंदन जैन की संगठन और संघ में अच्छे रिश्ते हैं. इस वजह से उनके नाम को मजबूत माना जा रहा है.इसके अलावा, जो चौथा नाम सामने आ रहा है. वह केदार गुप्ता का है. वह भी बीजेपी के सीनियर नेता हैं. संगठन में लंबे समय से काम कर रहे हैं. बताया जाता है कि केदार गुप्ता संगठन की पसंद हो सकते हैं. एक नाम भी चर्तचा में हैं और वह अनुराग अग्रवाल  हैं. वह बीजेपी मीडिया सह प्रभारी हैं. वह रायपुर दक्षिण से आते हैं.संघ से उनका परिवार जुड़ा रहा है. इसके अलावा, अग्रवाल समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है.

ये हैं कांग्रेस के दावेदार

अगर बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस के प्रमुख दावेदारों में प्रमोद दुबे का नाम सबसे ऊपर है. वह रायपुर नगर निगम के सभापति हैं. इससे पहले वह रायपुर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.प्रमोद दुबे ब्राह्मण हैं और  रायपुर दक्षिण सीट में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या निर्णायक है.इसलिए इनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. उनके अलावा ज्ञानेश शर्मा का नाम भी सामने आ रहा है. वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और रायपुर नगर निगम में पार्षद रहे हैं. पिछली सरकार में योग आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.इसके अलावा, वे संगठन के नेताओं के करीबी माने जाते हैं. तीसरे नंबर पर जिस दावेदार का नाम सामने आता है. उनका नाम आकाश शर्मा है. वह कांग्रेस के युवा नेता हैं. वर्तमान में छ्त्तीसगढ़ युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. युवा होने के साथ ही ब्राह्मण होने की वजह से उनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है. इनके अलावा, कन्हैया अग्रवाल भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. वह ऐसे कांग्रेस नेता हैं, जो 2018 में रायपुर दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ चुनाव लड़ चुके है. बीजेपी से अग्रवाल समाज का प्रत्याशी नहीं होने पर अग्रवाल समाज का उन्हें समर्थन मिल सकता है. सन्नी अग्रवाल भूपेश बघेल के करीबी हैं. भूपेश बघेल सरकार में संनिर्माण कर्मकार मंडल के चेयरमैन रह चुके हैं. वह युवा हैं और दक्षिण विधानसभा में लंबे समय से काम कर रहे हैं.


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रायपुर दक्षिण उप चुनाव बीजेपी के लिए साख का विषय है. वहीं, कांग्रेस इसे अवसर मान रही है. हालांकि, दोनों ही पार्टियां दावा तो कर रही है, लेकिन प्रत्याशी के चयन के बाद किसका पलड़ा भारी या हल्का होगा. यह तो 23 नवंबर को जीत की घोषणा के बाद ही पता चल पाएगा. 

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