Chhattisgarh High Court : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सरकारी स्कूलों में शौचालयों की कमी और उनकी बदतर हालत पर सख्त नाराजगी जताई है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के अधिकारों की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं होगी. दरअसल, ये मामला स्थानीय अखबार में छपी एक रिपोर्ट के बाद सामने आया. एक स्थानीय अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ के 150 सरकारी स्कूलों में शौचालय नहीं हैं. 216 स्कूलों में जो शौचालय हैं... उनकी हालत इतनी खराब है कि उनका इस्तेमाल करना मुश्किल है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि खराब शौचालयों की वजह से बच्चों को कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे यूरिनल इन्फेक्शन झेलनी पड़ रही हैं.
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने इस रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया. कोर्ट ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने पूछा, "इतनी डांट-फटकार के बाद भी स्थिति क्यों नहीं सुधरी? "
कोर्ट ने क्या निर्देश दिए ?
कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है. सचिव को 10 फरवरी 2025 तक कोर्ट को बताना होगा कि शौचालयों की स्थिति सुधारने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं.
रिपोर्ट में क्या कहा गया ?
रिपोर्ट में ये सवाल उठाया गया कि 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर सरकार किस विकास की बात कर रही है जबकि स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं की हालत दयनीय है. रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार आखिर बच्चों को बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं दे पा रही? शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा के बिना बच्चों का स्कूल जाना कितना मुश्किल हो सकता है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
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हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि सरकारी स्कूलों में शौचालयों की कमी को तुरंत दूर किया जाए. मामले में अगली सुनवाई 10 फरवरी 2025 को होगी. तब तक राज्य सरकार को इस समस्या का ठोस समाधान पेश करना होगा.