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5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट, ट्रेन में करवाया सफर, दिखाया ऐसा डर कि 49 लाख स्वाहा

Bhilai Digital Arrest case: साइबर ठगों ने भिलाई के शख्स को फर्जी सुप्रीम कोर्ट के अरेस्ट वारंट और कई तरह के मामलों को जोड़कर डराया धमकाया. 5 दिनों तक वीडियो कॉल के माध्यम से उनसे जुड़े रहे, उनके हर एक क्रियाकलापों पर नजर रखी और फिर उनसे 49 लाख रुपये की ठगी कर ली गई.

5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट, ट्रेन में करवाया सफर, दिखाया ऐसा डर कि 49 लाख स्वाहा

Bhilai Digital Arrest case: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में डिजिटल अरेस्ट का बड़ा मामला सामने आया है. यहां भिलाई में ठगों ने 5 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट के बाद पीड़ित व्यक्ति से 49 लाख रुपये ठग लिए.

यह पूरा मामला भिलाई नगर थाना क्षेत्र का है, जहां प्राइवेट कंपनी के वॉइस प्रेसिडेंट इंद्रप्रस्थ कश्यप ने शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने बताया की साइबर ठगों ने उन्हें फर्जी सुप्रीम कोर्ट के अरेस्ट वारंट और कई तरह के मामलों को जोड़कर डराया धमकाया. 5 दिनों तक वीडियो कॉल के माध्यम से उनसे जुड़े रहे, उनके हर एक क्रियाकलापों पर नजर रखी और फिर उनसे 49 लाख रुपये की ठगी कर ली गई. फ़िलहाल पुलिस इस मामले की जाँच में जुट गई है.

ऐसे दिखाया डर कि देने पड़ गए 49 लाख

पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में एक निजी कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत इंद्रप्रकाश कश्यप को साइबर अपराधियों ने जाल में फंसाकर 49 लाख रुपये की ठगी की. मामले की शिकायत भिलाईनगर थाने में दर्ज कराई गई. पुलिस के अनुसार, रुआंबांधा सेक्टर के निवासी इंद्रप्रकाश कश्यप (51) “रश्मि ग्रुप” कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट हैं. और ठगों ने उनसे फर्जी दस्तावेज और कानूनी डर दिखाकर पैसे हड़प लिए.

ठगी की शुरुआत

7 नवंबर को खड़गपुर में रहते हुए इंद्रप्रस्थ कश्यप को एक कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अधिकारी बताया. उसने दावा किया कि इंद्रप्रकाश कश्यप के आधार कार्ड से एक सिम जारी किया गया है, जिसका इस्तेमाल 29 लोगों को आपत्तिजनक मैसेज भेजने के लिए किया गया है. इसके बाद कॉल को कथित तौर पर मुंबई साइबर ब्रांच के एक “अधिकारी” से जोड़ा गया.

डराने-धमकाने की रणनीति

साइबर अपराधी ने कश्यप को डराने के लिए बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल मलाड, मुंबई के केनरा बैंक में एक खाता खोलने और करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन के लिए किया गया है. इतना ही नहीं, ठग ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार जेट एयरवेज के संस्थापक के नाम का हवाला देते हुए कहा कि उनके खाते से भी संदिग्ध लेन-देन जुड़ा हुआ है.

कथित तौर पर यह भी बताया गया कि सीबीआई कोलाबा ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. इससे भयभीत पीड़ित कश्यप ठगों के झांसे में आ गए.

डिजिटल अरेस्ट और ठगी का जाल

साइबर अपराधियों ने कश्यप को “जांच पूरी होने तक निगरानी में रहने” के लिए मजबूर किया. ठगों नें 5 दिन तक पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट करके रख, वे समय-समय पर वीडियो कॉल करके उनकी गतिविधियों पर नजर रखने लगे. उन्होंने “सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट (SSA)” के नाम पर एक खाता खोलने का झांसा दिया, जिसमें कश्यप को अपने सभी बैंक खातों की रकम ट्रांसफर करनी थी. ठगों ने यह पैसा वापस करने का आश्वासन दिया.

सुप्रीम कोर्ट का फर्जी वारंट और कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर ठगों ने आखिरकार कश्यप से 49,01,190 रुपये अपने बताए खातों में ट्रांसफर करवा लिए.

भिलाई तक नजर रखी

कश्यप के खातों से जुड़े दस्तावेज भिलाई में थे, ठगों ने उन्हें भिलाई आने के लिए कहा. ट्रेन में भी उनकी गतिविधियों पर ऑनलाइन नजर रखी गई. 11 नवंबर को भिलाई पहुंचकर पीड़ित इंद्र प्रकाश कश्यप ने ठगों के बताए खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए. जिसके बाद से ठगों ने फ़ोन बंद कर लिया है. बहरहाल, पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और साइबर अपराधियों की पहचान व पकड़ के प्रयास जारी हैं.

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