
Chhattisgarh News: दुनिया के 20 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में शामिल होने के बाद कभी उपेक्षित रहे बस्तर के धुड़मारास गांव में अब बदलाव आने लगा है. यहां अब सरकार मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने पूरा ध्यान दे रही है. इस गांव का अंधकार दूर हुआ है. पूरा गांव सौर ऊर्जा की रोशनी से जगमगा उठा है. यहां पीने का साफ पानी सहित अन्य सुविधाएं पहुंच रही हैं. यहां गांव के गली-मोहल्लों से लेकर स्कूलों में सोलर लाइट की व्यवस्था की गई है. ऐसे में इस इलाके के ग्रामीण बहुत खुश हैं.
छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के माध्यम से गांव में 03 नग सोलर ड्यूल पम्प की स्थापना कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया गया है. 02 नग सोलर हाईमास्ट संयंत्र की स्थापना कर रात के वक्त प्रकाश की व्यवस्था की गई है. गांव की गलियों में सोलर पावर स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं.
प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में सौर ऊर्जा आधारित विद्युत आपूर्तिकी जा रही है. क्रेडा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी और मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेश राणा द्वारा परियोजनाओं की निरंतर निगरानी कर कार्यों को गुणवत्ता पूर्ण ढंग से सम्पन्न कराया गया.
ये सुविधाएं मिल रही हैं
प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक जीवनशैली से परिपूर्ण यह गांव, अब सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में बस्तर अंचल में पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ स्थानीय सुविधाओं के विकास के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है. धुड़मारास गांव में क्रेडा विभाग ने सौर ऊर्जा आधारित विभिन्न परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन कर स्वच्छ पेयजल, रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था और शैक्षणिक संस्थानों में विद्युत आपूर्ति की जा रही है.
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा बस्तर जिले के धुड़मारास गांव और चित्रकोट गांव को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ गांव के रूप में पुरस्कृत किया गया है. प्राकृतिक रूप से समृद्ध धुड़मारास गांव कांगेर नदी की सुरम्य धारा, हरियाली, जैव विविधता और पारंपरिक बस्तरिया संस्कृति पर्यटकों को आकर्षित करती है.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा ट्रैकिंग ट्रेल, कैंपिंग साइट और होम-स्टे की सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. स्थानीय शिल्पकारों व कलाकारों को प्रोत्साहन देकर पारंपरिक हस्तशिल्प को बाजार से जोड़ा जा रहा है. सड़क एवं परिवहन सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है.
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आसपास के गांवों को भी मिल रहा है बढ़ावा
धुड़मारास गांव में ईको-पर्यटन विकास समिति द्वारा कांगेर नदी में कयाकिंग और बांस राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, जिससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर आजीविका के अवसर प्राप्त हो रहे हैं. पर्यटकों हेतु प्रतीक्षालय, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास भी ग्रामीण स्तर पर किया जा रहा है. राज्य शासन के वन और पर्यटन विभाग द्वारा धुड़मारास को ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की दिशा में योजनाबद्ध कार्य किए जा रहे हैं. इसी तर्ज पर नागलसर और नेतानार जैसे गांवों में भी ईको पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है.
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