Bastar Dussehra News: अपनी अनोखी व आकर्षक परंपराओं के लिए विश्व में प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के महत्वपूर्ण रस्मों में एक काछन जात्रा बुधवार रात सम्पन्न हुई. दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति लेने की यह परम्परा भी अपने आप में अनूठी है. काछन गादी में एक नाबालिग कुंवारी कन्या कांटों के झूले पर लेटकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है.
ऐसे मिली अनुमति
बस्तर का महापर्व दशहरा बिना किसी बाधा के संपन्न हो इस मन्नत और आशीर्वाद के लिए काछनदेवी की पूजा होती है.बुधवार रात काछनदेवी के रूप में अनुसूचित जाति के एक विशेष परिवार की कुंआरी कन्या पीहू दास ने बस्तर राजपरिवार को दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति दी. पिछले 700 सालों से इस पंरपरा को निभाने के बाद अनुराधा की जगह अब उसकी ही बहन 8 साल की पीहू ने काछनदेवी के रूप में कांटो के झूले पर लेटकर सदियों पुरानी इस परंपरा को निभाने के लिए अनुमति दी.
हर साल पितृमोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभा कर राज परिवार यह अनुमति प्राप्त करता है. इस दौरान बस्तर का राजपरिवार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों की संख्या में लोग इस अनूठी परंपरा को देखने काछन गुड़ी पहुंचते हैं.
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