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This Article is From Mar 23, 2024

Ambikapur: इलाज में लापरवाही बरतने पर कोर्ट का एक्शन, अस्पताल और नर्सिंग होम प्रभारी के खिलाफ सुनाया बड़ा फैसला

Ambikapur transfusion of Blood Group: सरगुजा के एक निजी अस्पताल में बच्ची को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने से मौत हो गई थी. इसको लेकर शनिवार को जिला कोर्ट ने अधिकारियों पर दो-दो लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया.

Ambikapur: इलाज में लापरवाही बरतने पर कोर्ट का एक्शन, अस्पताल और नर्सिंग होम प्रभारी के खिलाफ सुनाया बड़ा फैसला
गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने से हुो गई थी बच्ची की मौत

Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कोर्ट (Ambikapur Local Court) ने इलाज में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की है. यह मामला सरगुजा (Surguja) का है जहां तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (Health Officer) और प्रभारी अधिकारी नर्सिंग होम के द्वारा एक बच्ची के ईलाज के दौरान लापरवाही (Negligence During Treatment) बरती गई थी. इसके साथ ही नर्सिंग होम द्वारा कोर्ट में जांच रिपोर्ट भी पेश नहीं किया गया था. जिसके बाद अंबिकापुर कोर्ट (Ambikapur Court) ने सख्ती बरतते हुए नर्सिंग होम और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को 2-2 लाख का क्षतिपूर्ति देने का फैसला सुनाया है.

वहीं, इस मामले में तीन साल बीतने के बाद भी पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश नहीं किया. बता दें कि पीड़ित परिवार का मुखिया पुलिस विभाग में ही हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत है.

डॉक्टरों की लापरवाही से हुई थी बच्ची की मौत

दरअसल, प्रतापपुर के कदमपारा ग्राम निवासी प्रधान आरक्षक अमरेश कुमार दुबे सूरजपुर पुलिस लाइन में पदस्थ हैं. उन्होंने आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपनी पुत्री अदिति दुबे को 7 दिसंबर 2020 को अंबिकापुर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. जहां चिकित्सकों की लापरवाही से उनकी बच्ची को दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया गया. इस वजह से उसकी मौत हो गई थी. इस मामले में पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने निजी चिकित्सालय के खिलाफ अपराध दर्ज भी किया था.

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कोर्ट ने इसलिए किया एक्शन

गलत खून चढ़ाने की संभावना जताते हुए मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने पर स्थाई लोक अदालत ने तत्कालीन मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी और प्रभारी अधिकारी नर्सिंग होम को दो-दो लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि पीड़ित पिता को देने के आदेश जारी किए. अदालत ने अधिनिर्णय तिथि से 30 दिन के भीतर यह राशि जमा नहीं करने पर सात परसेंट वार्षिक ब्याज के दर से राशि देने को कहा है. इस मामले में निजी चिकित्सालय और पुलिस अधिकारी मीडिया के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

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