Journalisy Threatened in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बीजापुर (Bijapur) में ठेकेदार के भ्रष्टाचार को उजाकर करने वाले पत्रकार मुकेश चंद्राकर (Mukesh Chandrakar) की हत्या का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अब कोरिया (Korea) जिले के बैकुंठपुर (Baikunthpur) से एक ठेकेदार की ओर से एक पत्रकार को किया गया धमकी भरा फोन कॉल वायरल हो रहा है. इस ये भ्रष्ट ठेकेदार खुलेआम पत्रकार को मुकेश जैसा हश्र करने की धमकी देता सुनाई दे रहा है.
दरअसल, कोरिया जिले में पत्रकार सुनील शर्मा को एक ठेकेदार की ओर से धमकी देने और रिश्वत का प्रलोभन देने का मामला सामने आया है. यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा, बल्कि उनके काम के माहौल पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है.
छत्तीसगढ़ में अब एक और पत्रकार को ठेकेदार ने दी मुकेश चंद्राकर जैसा हश्र करने की धमकी#Chhattisgarh pic.twitter.com/yGfzxxL6h4
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) January 12, 2025
घटिया सड़क निर्माण की की रिपोर्टिंग बनी खतरे की वजह
सुनील शर्मा के अनुसार यह घटना तब शुरू हुई, जब ग्रामीणों ने खराब सड़क निर्माण की शिकायत की. उन्होंने इस मुद्दे की जांच के लिए मौके पर पहुंचकर अधिकारियों से बात करने की कोशिश की. सुपरवाइजर ने उन्हें ठेकेदार से बात करने को कहा. ठेकेदार ने पहले मामले को दबाने के लिए रिश्वत की पेशकश की और जब सुनील शर्मा ने इसे ठुकरा दिया, तो धमकी दी कि बस्तर में जो हुआ, देखा है ना? अगर मामला नहीं संभाला, तो अंजाम वैसा ही होगा.
लगातार धमकियों से बढ़ा खतरा
सुनील शर्मा ने बताया कि ठेकेदार रोज उन्हें 21-22 बार फोन कर धमकाता है. उन्होंने तुरंत इस घटना की जानकारी कोरिया जिले के एसपी को दी. हालांकि, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
पत्रकारिता पर मंडराता खतरा
यह घटना केवल सुनील शर्मा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पत्रकारों पर बढ़ते खतरों का प्रतीक बनती जा रही है. पत्रकारिता, जो कि सच्चाई को सामने लाने का माध्यम है, अब छत्तीसगढ़ में खुद चुनौतियों से घिरी है.
मीडिया की स्वतंत्रता और सुरक्षा की मांग
इस घटना के बाद राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सरकार और प्रशासन को सख्त कदम उठाने की मांग की गई है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि पत्रकार बिना डर और धमकियों के अपने कर्तव्य का पालन कर सकें.
पत्रकार सुनील शर्मा ने उटाया ये मुद्दा
इस पूरे मामले पर पत्रकार सुनील शर्मा ने कहा कि हमारा काम जनता की आवाज उठाना है, लेकिन जब हमें ही धमकियां मिलेंगी, तो हम कैसे निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर पाएंगे?
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यह घटना उन चुनौतियों की याद दिलाती है, जो सच्चाई की आवाज उठाने वाले पत्रकारों के सामने अक्सर खड़ी होती हैं. ऐसे में, प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकारों को सुरक्षित और स्वतंत्र माहौल मिले.
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