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AK-47, SLR और हथियारों के जखीरे के साथ तेलंगाना में 37 नक्सलियों का सरेंडर, छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं डाले हथियार? इनसाइड स्टोरी

तेलंगाना में 37 Naxalites ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया, जिनमें तीन State Committee Members शामिल थे. सात नक्सलियों ने AK-47, SLR, .303 Rifle और 346 Live Cartridges भी पुलिस को सौंपे. हिड़मा की मौत और लगातार पुलिस प्रेशर से CPI (Maoist) संगठन में डर है, जिसके चलते कैडरों ने Telangana Surrender Policy को सुरक्षित  माना. 

AK-47, SLR और हथियारों के जखीरे के साथ तेलंगाना में 37 नक्सलियों का सरेंडर, छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं डाले हथियार? इनसाइड स्टोरी

कुख्यात नक्सली हिड़मा की मौत के बाद छत्तीसगढ़ बस्तर में माओवादी संगठन को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है. शनिवार को तेलंगाना में CPI (माओवादी) के 37 भूमिगत नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया. इनमें तीन राज्य समिति सदस्य कोय्याडा सांबैया उर्फ़ आज़ाद, अप्पासी नारायण उर्फ़ रमेश और मुचाकी सोमड़ा उर्फ़ एर्रा शामिल हैं. सभी ने तेलंगाना DGP शिवधर रेड्डी की मौजूदगी में हथियार डाले और समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए. सरेंडर करने वाले 37 नक्सलियों में से 7 ने उनके पास मौजूद भारी हथियार भी पुलिस को सौंप दिए. इनमें 1 AK-47, दो SLR, चार 303 राइफल, एक G3 राइफल और 346 जिंदा कारतूस शामिल हैं.  

सरेंडर करने वाले किस नक्सली पर कितना इनाम?

सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर घोषित इनाम में तीन राज्य समिति सदस्यों पर 20-20 लाख, DVCM और पार्टी सदस्य पर 5 लाख, ACM पर 4 लाख और साधारण सदस्य पर 1 लाख का इनाम था. वहीं हथियारों के साथ सरेंडर करने पर अतिरिक्त इनाम दिया गया, जिसमें AK-47 पर 4 लाख, SLR पर 2 लाख, .303 राइफल पर 1 लाख और 410 मुस्कट राइफल पर 5 हजार रुपए दिए गए. तेलंगाना पुलिस ने एक करोड़ 41 लाख 5 हजार की राशि माओवादियों को चेक/डिमांड ड्राफ्ट के रूप में दी.

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सरेंडर के लिए तेलंगाना ही क्यों चुना?

दरअसल, 18 नवंबर को सुकमा-बीजापुर-आंध्र बॉर्डर के जंगल में हुई मुठभेड़ में टॉप मोस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा, उसकी पत्नी राजे और पांच अन्य नक्सलियों की मौत हो गई थी. माओवादी संगठन इस एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे हैं. कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता भी इसे संदिग्ध बता रहे हैं. ऐसे में हिड़मा के एनकाउंटर ने माओवादी संगठन और नक्सलियों के भीतर अविश्वास और डर को जन्म दे दिया है. नक्सलियों के तेलंगाना में सरेंडर करने के पीछे यही एक बड़ा कारण बताया जा रहा है.        

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लगातार दबाव से कमजोर हुआ माओवादी संगठन

नक्सलियों के सरेंडर को लेकर तेलंगाना DGP शिवधर रेड्डी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षा बलों की सघन कार्रवाई, जंगलों में बढ़ी सुरक्षा चौकियां, संगठन के अंदर नेतृत्व विवाद और विचारधारा से मोहभंग ने माओवादी के नेटवर्क को कमजोर किया है. वरिष्ठ कैडरों में इस बात को लेकर असंतोष बढ़ा कि नेतृत्व की विचारधारा और जमीन की हकीकत में भारी फर्क है. इसी कारण नक्सली लगातार सरेंडर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 में अकेले तेलंगाना में 2 केंद्रीय समिति सदस्य (CCM), 11 राज्य समिति सदस्य (SCM), 2 डिविजनल कमेटी सचिव (DVCs), 11 डिविजनल कमेटी सदस्य (DVCM/CyPCM), 44 क्षेत्रीय समिति सदस्य (ACM/PPCM) समेत कुल 465 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं.  

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CM रेवंत रेड्डी की अपील का असर 

बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने 21 अक्टूबर को माओवादियों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की थी. इस अपील के बाद इन 37 कैडरों ने दबाव, अंदरूनी मतभेद और संगठन में टूट को वजह बताते हुए आत्मसमर्पण का फैसला किया. वहीं, हिड़मा की मौत के बाद संगठन में भय और अविश्वास की स्थिति बनी है, जिससे कई कैडर मुख्यधारा में लौटने को मजबूर हुए हैं.  

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