मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में दो डायमंड प्रोजेक्ट से डायमंड कॉरिडोर तैयार किए जाएंगे. पन्ना जिले से मिली जानकारी के अनुसार पन्ना- अजयगढ़ प्रोजेक्ट हर्षा-1 और छतरपुर के राजनगर तहसील में हर्षा-2 के बीच ये कॉरिडोर बनेगा. दोनों प्रोजेक्ट केन नदी के किनारे स्थित होंगे. कॉरिडोर बनने से पन्ना के बाद अब छतरपुर जिले की पहचान भी हीरा उत्पादन के लिए होगी. जीएसआई (जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) राजनगर तहसील इलाके में हीरा मिलने के बाद प्रोजेक्ट के क्षेत्र की गूगल मैपिंग कराई गई है. इसके साथ जिला खनिज अधिकारी ने ही प्रोस्पेक्टिंग लीज के लिए टेंडर जारी किए ताकि क्षेत्र में हीरे की उपलब्धता, मात्रा और क्वालिटी का पता लगाया जा सके.
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राजनगर के 6 गांव हुए चिन्हित
इसके साथ छतरपुर वन मंडल के अनुसार इस प्रोजेक्ट में 58.290 हेक्टेयर वन भूमि जाएगी. इस ज़मीन से वन विभाग को भी लाभ होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. बताया जा रहा है कि इस ज़मीन में सागौन के पेड़ पाए जाते हैं और वन्य प्राणी की सुरक्षा को देखते हुए इसे सुरक्षित किया जाएगा.
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मिनरल्स रिसोर्स डिपार्टमेंट में छतरपुर पन्ना के हर्षा 1 और हर्षा 2 ब्लॉक के लिए ऑनलाइन टेंडर बुलाए गए हैं. छतरपुर जिले के राजनगर में डायमंड प्रोजेक्ट में 6 गांव की 1612 हेक्टेयर जमीन को चिन्हित किया गया है. छतरपुर और पन्ना डायमंड प्रोजेक्ट के लिए मिनरल्स रिसोर्स डिपार्टमेंट ने रिजर्व प्राइस डिपॉजिट और ऑक्शन के रिकॉर्ड जमा करने के लिए 9 अगस्त की तारीख निर्धारित की है. दरअसल, बक्सवाहा के बंदर डायमंड ब्लॉक का साल 2005 से 2011 के बीच पता लगाया गया. उसके बाद 2012 में इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की रियो टिंटो कंपनी को 954 हेक्टेयर क्षेत्र के माइनिंग लीज के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) दिया गया. हालांकि रियो टिंटो ने कई मंजूरी प्राप्त कर ली लेकिन साल 2017 में वह इस परियोजना से बाहर चली गई. इसके बाद यह परियोजना मध्य प्रदेश सरकार को वापस मिल गई.
वहीं, खनिज अधिकारी अमित मिश्रा का कहना है कि "जीएसआई के सर्वे में जिले के राजनगर तहसील के 6 गांव में हीरा पाए जाने की पुष्टि के बाद एरिया की गूगल मैपिंग कराई गई. डायमंड प्रोजेक्ट के लिए राजस्व और फॉरेस्ट एरिया को चिन्हित किया गया है. हीरा खदान के ऑक्शन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी."