
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में बिजली विभाग की लचर व्यवस्था के कारण एक ओर जहां आम नागरिक परेशान हैं वहीं अब इसका असर निगम के कामकाज पर पड़ रहा है. जनप्रतिनिधि तो अब मोबाइल टॉर्च से ही काम निपटा रहे हैं. ऐसे में अब निगम सभापति ही निगम अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
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पूरा मामला अम्बिकापुर नगर निगम के मुख्य कार्यालय में बिजली गुल होने का है. यहां महीनों से बिजली गुल होने पर जनप्रतिनिधि अंधेरे में काम करने को मजबूर हो गए हैं. बिजली नहीं रहने के कारण आम लोगों के काम भी अधूरे पड़े हुए हैं जिसकी वजह से निगम को लेकर आम जनता में गुस्सा है. वहीं, नगर निगम के सभापति अजय अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों के कार्यालय में व्यवस्था चकाचक हैं लेकिन जनप्रतिनिधि अव्यवस्था से परेशान हैं.
मामले में भाजपा के पार्षद मधुसूदन शुक्ला का कहना है कि “बिजली नहीं होने के कारण आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और शासकीय कार्यों में भी बाधा हो रही है. इसके बावजूद निगम के अधिकारी ना तो खराब जनरेटर को बनाने का प्रयास कर रहे हैं ना ही नए जनरेटर लगाने की बात सुन रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिजली गुल होने की समस्या से निगम कार्यालय ही नहीं पूरे अंबिकापुर की जनता काफी परेशान है एक दिन में आठ से दस बार यहां बिजली कट रही है.”
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150 करोड़ है अम्बिकापुर नगर निगम का वार्षिक बजट
अंबिकापुर नगर निगम छत्तीसगढ़ के बड़े नगर नगर निगम में से एक माना जाता है. इसका वार्षिक बजट लगभग 150 करोड़ रुपए है. इसके अंतर्गत 48 वॉर्ड आते हैं, जबकि आने वाले चुनाव में इन वार्डों की संख्या 60 होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है. जनप्रतिनिधि समय-समय पर लगाते रहे हैं कि भारी भरकम बजट होने के बावजूद नगर निगम के अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बातों को कभी भी महत्व नहीं देते हैं, हालांकि इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह भी है कि निगम के इतने बड़े कार्यालय में ना तो जनरेटर है और ना ही जनप्रतिनिधियों के कार्य करने के लिए इन्वर्टर की सुविधा है. बहरहाल, इस संबंध में निगम के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस संबंध में कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया है.