Navratri 2023 : नवरात्रि के दिनों में जगह-जगह माता के भक्त झांकी लगाते हैं और मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं. देवी मां मंदिरों को लेकर कई कहानियां भक्तों के द्वारा सुनाई जाती हैं. आज हम आपको मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) की ऐसी ही एक कहानी के बारे में बता रहे हैं.
कर्फ्यू वाली माता की ऐसी है कहानी
भोपाल में कर्फ्यू वाली माता (Curfew Mata Mandir) के नाम से प्रसिद्ध मंदिर है. साल 1981 में अश्विन माह की नवरात्रि में मां की मूर्ति एक चबूतरे पर स्थापित की गई थी. मूर्ति जयपुर से लायी गई थी, लेकिन षष्ठी के दिन मंदिर की स्थापना को लेकर इलाक़े में काफ़ी बवाल हुआ जिसके बाद से वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा और फिर इस मंदिर का नाम कर्फ्यू वाली माता पड़ गया.
मंदिर में जलती है घी और तेल की दो शाश्वत ज्वाला
मंदिर में घी एवं तेल की दो अखंड ज्योति जलती है. छह महीने में 45 लीटर तेल एवं 45 लीटर घी लगता है. यह मंदिर सुबह 5 बजे खुल जाता है और मंदिर के निर्माण से लेकर अब तक माता की पहली आरती रोज़ सुबह साढ़े छह बजे की जाती है. उसके बाद सुबह 9 बजे दूसरी आरती होती है, दोपहर साढ़े 12 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं और शाम को साढ़े चार बजे पुनः खोले जाते हैं. नवरात्रि के समय माता 12 बजे तक अपने भक्तों को दर्शन देती हैं. इस मंदिर का इतिहास बेहद दिलचस्प है कहते हैं कि श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं और नारियल में अर्ज़ी लिखकर मां के चरणों में रख देते हैं. माता भक्त की हर मनोकामना पूरी करती हैं.