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This Article is From Aug 24, 2023

बालोद : पर्यावरण को ध्यान में रख बनाई जा रही इको फ्रेंडली राखी, मार्केट में जमकर हो रही डिमांड

इसे इको फ्रेंडली राखी इसीलिए कहा जाता है क्योंकि घरेलू सामग्रियों का उपयोग कर इसका निर्माण किया जा रहा है. जैसे चावल, दाल के दाने, सब्जियों के बीज, धान की बाली, और अब गोबर से राखियों का निर्माण किया जा रहा है. जिसकी डिमांड सिर्फ बालोद जिले में ही नही बल्कि अन्य जिलों से भी आ रही है.

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बालोद : पर्यावरण को ध्यान में रख बनाई जा रही इको फ्रेंडली राखी, मार्केट में जमकर हो रही डिमांड

बालोद  जिले का एक ऐसा गांव जो कि पहले नक्सली गतिविधियों के नाम से जाना जाता था. कभी यहां नक्सलियों की मौजूदगी रहती थी, ग्रामीण डर के साये में जिंदगी गुजारने मजबूर रहते थे. लेकिन आज ये गांव यहां की उन महिलाओं के नाम से जाना जाता है, जो अपने घर के चूल्हे चौके से बाहर निकल अपनी एक अलग पहचान बना रही है. जो आत्मनिर्भर बन रही है. बिहान से जुड़ी इन महिलाओं द्वारा निर्माण किये जा रहे धान, सब्जियों के बीज, अनाज के दाने और इस बार गोबर से बनाई जा रही इको फ्रेंडली राखियों से क्षेत्र में जाना पहचाना जा रहा हैं. इस कार्य से जुड़ महिलाएं अच्छी खासी आमदनी अर्जित कर रही है.

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इसे इको फ्रेंडली राखी इसीलिए कहा जाता है क्योंकि घरेलू सामग्रियों का उपयोग कर इसका निर्माण किया जा रहा है. जैसे चावल, दाल के दाने, सब्जियों के बीज, धान की बाली, और अब गोबर से राखियों का निर्माण किया जा रहा है. जिसकी डिमांड सिर्फ बालोद जिले में ही नही बल्कि अन्य जिलों से भी आ रही है.
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5 सालों से कर रही हैं देशी राखियों का निर्माण

दरअसल ये गांव है, कुमुड़कट्टा, जो कि जिले के आखिरी छोर और आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक डौंडी एवं घने पहाड़ों के बीच बसा वनांचल ग्राम है. जहां आज से करीबन 7-8 साल पहले तक इस गांव में नक्सलियों की धमक रहती थी. लेकिन आज यहां की तस्वीर अलग हैं. गांव की जय माँ पहाड़ों वाली स्व सहायता समूह की 12 महिलाएं अपनी एक अलग पहचान बना आत्मनिर्भर बन गई है. बिहान समूह की ये महिलाएं शासन की विभिन्न योजनाओं एवं तमाम तरह की गतिविधियों से जुड़कर अच्छी खासी आमदनी अर्जित कर रही है. आने वाले 30 अगस्त को रक्षाबंधन के लिए ये आकर्षक एवं इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही है. ये राखियां चाइनीज राखियों को कड़ी टक्कर दे रही है. इन राखियों की खास बात यह है कि ये सभी देशी सामग्रियों से बनी हैं. और ये महिलाएं इसका निर्माण विगत 5 सालों से करती आ रही है. लेकिन इस बार ये महिलाएं गोबर से भी राखियां बना रही हैं.

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मार्केटिंग के लिए सीएम ने किया ई रिक्शा प्रदान

इसे इको फ्रेंडली राखी इसीलिए कहा जाता है क्योंकि घरेलू सामग्रियों का उपयोग कर इसका निर्माण किया जा रहा है. जैसे चावल, दाल के दाने, सब्जियों के बीज, धान की बाली, और अब गोबर से राखियों का निर्माण किया जा रहा है. जिसकी डिमांड सिर्फ बालोद जिले में ही नही बल्कि अन्य जिलों से भी आ रही है. ग्राम कोटागांव निवासी प्रेमबती देवांगन जो कि मार्केटिंग का कार्य देखती है, वो बताती है कि जब शुरू में इसका निर्माण करना चालू किये तो उन्हें प्रचार प्रसार के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. लेकिन आज यह स्तिथि है कि डिमांड के स्वरूप हम राखियां नही बना पाते हैं. रोजाना 100 से 150 राखियां ही बना पाते है.यहां की निर्मित राखियां जिला मुख्यालय बालोद स्तिथ सी मार्ट, डौंडी, गुंडरदेही और डौंडीलोहारा ब्लॉक सहित आसपास के क्षेत्र एवं अन्य जिले में जैसे राजनांदगांव, डोंगरगढ़, कांकेर, भानुप्रतापपुर से भी व्यापारी आकर ले जाते है. हमारे काम से खुश होकर और मार्केटिंग के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ई-रिक्शा भी प्रदान किया है. इन दिनों शासकीय कार्यालयो में भी स्टॉल लगाकर बेच रहे हैं 

छत्तीसगढ़ की  रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर छात्र इको फ्रेंडली राखी बना रहे हैं

समूह की अध्यक्ष कुसुम सिन्हा बताती है कि पिछले 5 साल से वे धान, चावल, बांस और मयूर की राखी बनाती थी. बालोद बाजार के नाम से इसे बेचते आ रहे है. लेकिन इस वर्ष गोबर की भी राखियां बनाई गई हैं. जिसमें बीज भी डाल कर सजाया जा रहा है. ताकि रक्षाबंधन खत्म होने के बाद अगर राखियों से बीज निकालकर उसे कही लगा दिया जाएगा, तो वहां से बीज उग आएगा. कुसुम ने बताया कि पर्यावरण को ध्यान में रखकर उनके द्वारा इको फ्रेंडली राखियों का निर्माण किया जा रहा है. इस सीजन अब तक करीबन डेढ़ लाख की राखियां बेच चुके है. वही राखी के अलावा आचार, साबुन भी बनाते है.

अच्छी खासी हो रही आमदनी

समूह की सचिव लीला सिन्हा, कोषाध्यक्ष मधु कुलदीप और प्रीति सिन्हा ने बताया कि उन्हें घर मे चूल्हे चौके से बाहर निकल ऐसे काम करना अच्छा लग रहा है. उन्हें इससे अपनी अलग एक पहचान मिली है. लोग उन्हें जानने लगे है. बिहान योजना की तमाम गतिविधियों से जुड़कर वे स्वालंबी तो बनी है, साथ ही उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही हैं. जिससे घर की स्तिथि में काफी सुधार आया है. इस वर्ष आमदनी में भी बढ़ोत्तरी हुई हैं. 

मनाया जाएगा रक्षा दान त्यौहार

जिला पंचायत सीईओ डॉ. रेणुका श्रीवास्तव ने  बताया कि इस रक्षाबंधन रक्षा दान त्यौहार के रूप मनाया जा रहा है . बहने अपने भाईयों के कलाई में राखी बांध मतदान करने का भी वचन लेंगी. जो भाई रक्षाबंधन के समय राखी बंधवाने आ रहे है, बहने उसके चुनाव के समय भी मतदान करने आने का वचन लेंगी.

जिला पंचायत की सीईओ  डॉ. रेणुका श्रीवास्तव बताती हैं-  "जिले में तो कई जगहों पर महिलाएं राखियां बना रही है, लेकिन कुमुड़कट्टा की महिलाएं काफी मेहनत कर आकर्षक राखियां बना रही है. इस बार गोबर से भी राखियां बनाई जा रही है. पिछले वर्ष हमारा 5 लाख रुपये तक की राखियां बेचने के लक्ष्य था, इस बार उससे ज्यादा है. और इस बार हम रक्षा दान त्यौहार भी मनाएंगे. इस रक्षाबंधन बहने भाईयों से मतदान करने का भी वचन लेगी."
                   
 

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