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90 डिग्री मोड़ वाले ओवरब्रिज मामले में समिति गठित, जानें अब क्या होगा आगे...

MP News: भोपाल के ऐशबाग स्टेडियम के पास बने 90 डिग्री मोड़ वाले रेलवे ओवरब्रिज मामले में लोक निर्माण विभाग ने एक समिति गठित की है. यह समिति रेलवे सहित सभी हितधारकों से बात करेगी और सुधारात्मक कदम उठाएगी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि पुल को कैसे सुगम बनाया जाए और वह दुर्घटना रहित हो.

90 डिग्री मोड़ वाले ओवरब्रिज मामले में समिति गठित, जानें अब क्या होगा आगे...

Bhopal News: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के ऐशबाग स्टेडियम के पास आलोचना और चर्चा का विषय बने 90 डिग्री के एक अजीबोगरीब मोड़ वाले ‘रेलवे ओवरब्रिज' (आरओबी) मामले में राज्य के लोक निर्माण विभाग ने एक समिति गठित की है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे.

राज्य के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि मामले की जांच के गठित राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की टीम ने पाया है कि जमीन की अनुपलब्धता के कारण पुल पर अजीबोगरीब मोड़ बन गया.

अधिकारियों के मुताबिक, 18 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस रेलवे ओवरब्रिज की लंबाई 648 मीटर और चौड़ाई 8.5 मीटर है. इसमें 90 डिग्री का एक अजीबोगरीब मोड़ है, जिसे लेकर स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर उपयोगकर्ताओं ने सवाल खड़े किए थे.

राकेश सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, ‘‘आगे का रास्ता निकालने और लोगों के सुरक्षित आवागमन को मद्देनजर रखते हुए हमने दो मुख्य अभियंताओं की एक समिति गठित की है. यह समिति रेलवे सहित सभी हितधारकों से बात करेगी और फिर सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे.''

सिंह ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया जाएगा कि पुल को कैसे सुगम बनाया जाए और वह दुर्घटना रहित हो.

जमीन की थी कमी...

उन्होंने कहा, ‘‘एनएचएआई के दल ने पुल का परीक्षण किया और पाया कि जमीन कम होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई.''

भोपाल के ऐशबाग स्टेडियम के सामने बनकर लगभग तैयार हो चुके इस रेलवे ओवरब्रिज से महामाई बाग और पुष्पा नगर सहित स्टेशन क्षेत्र के लोगों की आवाजाही सुनिश्चित होगी. इस ओवरब्रिज का निर्माण कार्य शुरू होने के समय सरकार की ओर से कहा गया था कि इससे ऐशबाग क्षेत्र के लोगों को न तो फाटक पर इंतजार करना पड़ेगा और न ही लंबा चक्कर लगाने की जरूरत पड़ेगी.

सरकार का दावा था कि इस ओवरब्रिज के बन जाने से प्रतिदिन लगभग तीन लाख शहरी आबादी लाभान्वित होगी.

पुल के डिजाइन को लेकर विवाद होने के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने भी दलील दी थी कि ओवरब्रिज को रेलवे की जमीन पर बनाया गया है और मेट्रो स्टेशन होने के कारण वहां जमीन की उपलब्धता कम है.

रेलवे से मांगी गई जमीन 

सूत्रों ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने इस पुल की खामी को सुधारने के लिए रेलवे से कुछ अतिरिक्त जमीन मांगी है.

इस बारे में रेलवे के अधिकारियों से बात की गई तो इसके प्रवक्ता नवल अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि अभी तक इस बारे में लोक निर्माण विभाग की ओर से कोई पत्राचार नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘जब भी कोई औपचारिक प्रस्ताव आएगा, हम इस पर विचार करेंगे.'' लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यदि अतिरिक्त जमीन मिल जाती है तो पुल के तीखे मोड़ को कुछ हद तक गोलाई में बदला जा सकेगा और इससे वाहनों के मुड़ने में सुविधा होगी. ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग बंद होने के बाद इस इलाके में रेलवे ओवरब्रिज की मांग हो रही थी. एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, इस ओवरब्रिज का निर्माण कार्य 21 मार्च 2023 को शुरू हुआ था.

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