
आमतौर पर बेहद सरल और सहज दिखाई देने वाले सतना एसपी आशुतोष गुप्ता अपनी जिम्मेदारी भी सहजता के साथ निभाते हैं. जिन अपराधों को बेहद चुनौतीपूर्ण माना गया उन्हें चुटकियों में सुलझाकर यह दिखाया कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, सतना के आईआईटीएन एसपी से बच नहीं सकता. एसपी का कुछ ऐसा ही प्रदर्शन विगत दिनों में तब देखने को मिला जब यूपी की गैंग ने जेल के अंदर से प्लानिंग कर शराब कंपनी के मुनीम की गोली मार कर हत्या कर दी और कैश लूटकर फरार हो गए. शुरूआत में पुलिस के पास कोई सुराग नहीं था, तभी एसपी ने मुनीम के आसपास चलने वाले वाहनों की डिटेल खंगाली और यूपी के जौनपुर की गैंग तक बड़ी आसानी से पहुंच अपराधियों को पकड़ा. ऐसे तमाम किस्से हैं जो बताते हैं कि एसपी की अगुवाई में सतना पुलिस ने कई उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित की. गुप्ता को सतना की जिम्मेदारी संभाले अभी एक साल ही पूरा हुआ है, लेकिन उनकी कार्यशैली जनता को खूब पसंद आ रही है.
बीएचयू से की है IIT की पढ़ाई
सतना एसपी आशुतोष गुप्ता का जन्म 3 अक्टूबर 1988 को आगरा उत्तर प्रदेश में हुआ, पिता अवनींद्र कुमार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से रिटायर्ड अफसर हैं और मां गृहणी हैं. एसपी आशुतोष गुप्ता की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ से और इंटर की पढ़ाई महानगर ब्यॉयज इंटर कॉलेज से पूरी हुई है. इसके बाद वर्ष 2011 में एसपी आशुतोष गुप्ता ने इलेक्ट्रॉनिक्स से इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीएचयू से पूरी की, जिसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी की और 2014 में आईपीएस में चयनित हुए. वर्तमान समय में उनकी पत्नी संस्कृति जैन (IAS) रीवा नगर निगम की आयुक्त हैं. उनकी दो जुड़वां बेटियां हैं जो अभी चार साल की हैं.

सतना एसपी आशुतोष मिश्रा
लोगों की पहुंच बढ़ी और हमारी जिम्मेदारियां भी
चर्चा के दौरान एसपी गुप्ता ने कहा कि अब आमजन की पहुंच बढ़ गई है इसलिए निश्चित तौर पर हमारी जवाबदेही भी बढ़ी है. कोई भी आमजन बड़े ही सहजता और आसान तरीके से जमीनी स्तर के अधिकारी से लेकर सर्वोच्च स्तर के अधिकारी तक पहुंच सकता है. सोशल मीडिया सबकी पहुंच में है और उसके माध्यम से कोई भी अपनी आवाज संबंधित अधिकारी तक पहुंचा सकता है.
व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के लिए वक्त नहीं
सतना एसपी ने बताया कि उन्हें स्क्वैश खेलना बेहद पसंद है. इसके अलावा उन्हें स्विमिंग और ट्रैवलिंग में भी दिलचस्पी रहती है. लेकिन आज की व्यस्तताओं के बीच उन्हें अपनी पसंद और प्राथमिकताओं के लिए वक्त ही नहीं मिलता. बड़ा पद होने से जिम्मेदारी भी बड़ी होती है. उनका कहना है कि जब भी वक्त मिलता है वो अपनों के बीच रहना पसंद करते हैं.
झाबुआ में एसपी के तौर पर पहली पोस्टिंग
आशुतोष गुप्ता बताते हैं कि झाबुआ में पुलिस अधीक्षक कार्यकाल के दौरान काफी कुछ करने को मिला. जिला पुलिस बल के लिए पुलिस वेलफेयर पेट्रोल पंप, पुलिस कैंटीन, पुलिस लाइन, टेनिस कोर्ट, सर्व सुविधायुक्त पार्क के साथ -साथ घोड़ों के लिए भी अलग विशेष ट्रैक बनवाया. ये घोड़े पुलिस की हीं एक विशेष बटालियन का हिस्सा हैं.
राज्यपाल के एडीसी(ADC) भी रह चुके हैं
2014 बैच के आईपीएस ऑफिसर आशुतोष गुप्ता मध्य प्रदेश के राज्यपाल के एडीसी का पदभार भी संभाल चुके हैं. उन्होंने कहा कि तब केवल वीआईपी (VIP) लोगों से ही मेल मुलाकात होती थी. अब आम लोगों के बीच रहने का भी अवसर प्राप्त होता है. उनकी परेशानियां नजदीक से देखने को मिलती है और उनकी मदद कर अच्छा अनुभव होता है.
हर जिले में हो साइबर विशेषज्ञ
एसपी आशुतोष गुप्ता ने कहा कि सभी जिलों में अब साइबर विशेषज्ञ की तैनाती की जानी चाहिए. जिस प्रकार से साइबर अपराध बढ़ा है और आने वाले दिनों में लगातार बढ़ता दिख रहा है उसे देखते हुए यह आवश्यकता महसूस हो रही है. इसके अलावा उन्होंने लीगल एडवाइजर के लिए भी जोर दिया. गुप्ता ने कहा कि जिला स्तर पर लीगल एडवाइजर होने से विवेचकों को हर समय कानूनी मदद मिल सकेगी. इससे केस डायरी में अपराधियों के बचने की संभावना खत्म हो जाएगी, साथ ही तकनीकी आधार पर त्रुटि रहित मजबूत डायरी तैयार होगी. कई बार विवेचक या अनुसंधान अधिकारी ऐसी गैर इरादतन त्रुटियां कर देते हैं जिनका लाभ आरोपियों को न्यायालय में मिल जाता है. यदि विधिक सलाहकारों से समय समय पर सही सलाह मिलेगी तो प्रकरणों को हर प्रकार से मजबूत बनाया जा सकेगा, जिससे अपराधियों को दंड भी मिलेगा.
सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों पर नियंत्रण बड़ी चुनौती
एसपी आशुतोष गुप्ता का मानना है कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों पर नियंत्रण करना सबसे कठिन चुनौती है. सही और भ्रामक जानकारियों के बीच महीन सा अंतर होता है, जिसे पहचानने के लिए सर्वर पर कमांड अतिआवश्यक है, दुर्भाग्य यह है कि अधिकतर सर्वर का नियंत्रण विदेशों में है. ऐसे में किसी भी कंटेंट की प्रमाणिकता तय करना बड़ा टास्क हो जाता है. यदि एक बार गलत चीज प्रसारित कर दी गई तो उसे रोकना, डिलीट कराना मुश्किल काम हो जाता है.
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